दुमका: सरकार विकास के लाख दावे करे पर धरातल पर हकीकत कुछ और ही नजर आती है. झारखंड राज्य गठन के 22 वर्ष बीतने के बाद भी लोगों को पीने के पानी के लिए मशक्कत करनी पड़ रही है. हम बात कर रहे हैं दुमका जिले के जामा प्रखंड के धावाडीह गांव की. लगभग 400 की आबादी वाले आदिवासी बहुल इस गांव के प्रति प्रशासन ने किस तरह अनदेखी की है यह आप यहां देख सकते हैं. इस गांव में 5 चापाकल हैं, पर सभी के सभी खराब पड़े हुए हैं. जबकि पिछले 2 महीने से भीषण गर्मी पड़ रही है और लोगों को पानी की ज्यादा आवश्यकता है.
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30 लाख की लागत वाला सोलर वाटर प्लांट बंद: सबसे बड़ी बात यह है कि इस गांव में कुछ वर्ष पहले लगभग 30 लाख की लागत से एक सोलर वाटर प्लांट स्थापित किया गया था लेकिन वह भी महीनों से बंद पड़ा हुआ है. ऐसे में बस्ती से थोड़ी दूर पर बने एक कुएं से लोग पानी लाने को विवश हैं.
क्या कहते हैं ग्रामीण: ईटीवी भारत की टीम जब धावाडीह गांव पहुंची तो कई लोग हाथ में बर्तन लिए पानी लाने के लिए जा रहे थे. हमने गांव के कई लोगों को एकत्रित कर उनसे बात की. उन्होंने बताया कि हमारे गांव में पानी की भीषण समस्या है. गांव के सभी पांच चापाकल खराब हो चुके हैं, कोई बनाने नहीं आता. सरकार ने कुछ वर्ष पहले एक सोलर वाटर प्लांट बड़ी राशि से बनाया लेकिन वह भी महीनों से बंद पड़ा हुआ है. कभी-कभी उसे ठीक करने के लिए मैकेनिक भी आते हैं, पर बिना ठीक किए हैं वे वापस लौट जाते हैं. कुल मिलाकर सरकार ने जो चापाकल लगाया या सोलर वाटर प्लांट लगाया किसी से हमें पानी उपलब्ध नहीं हो रहा है. ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा कि हमारे लिए पानी की व्यवस्था कर दीजिए हमलोग काफी परेशान हैं.