दुमकाः उपराजधानी को क्लीन बनाने की योजना परवान चढ़ती नजर नहीं आ रही है. बीच शहर में कचरे का पहाड़ खड़ा हो गया है, सड़ रहे कचरे से उठ रही दुर्गंध से लोगों का जीना हराम हो गया है, लेकिन पॉश इलाकों में रहने वाले नेताओं-अफसरों को आम लोगों की फिक्र नहीं है. इस कचरे के पहाड़ को हटाने की योजना बनाकर वाहवाही तो बटोर ली, मगर इसके बाद सब चैन की बंशी बजाने लगे और समस्या भूल गए. हाल यह है कि ठोस कचरा प्रबंधन व्यवस्था के लिए जमीन अधिग्रहण भी कर लिया गया, मगर इसके बाद Waste management plan Thadi फाइल में दब गई.
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दुमका नगर परिषद की ओर से शहर के बक्शी बांध इलाके में कचरा डंप किया जाता है. पूरे शहर का कचरा लगभग 70 से 80 वर्ष से यहीं डंप किए जाने से यहां कचरा पहाड़ के रूप में तब्दील हो गया है. अब इससे उठ रही दुर्गंध इस इलाके में रह रहे हजारों लोगों के लिए मुसीबत बनी हुई है. कभी-कभी असामाजिक तत्व कचरे के पहाड़ में आग लगा देते हैं. इससे परेशानी और बढ़ जाती है. कई दिनों तक यहां से उठते जहरीले धुएं से प्रदूषण के कारण लोगों को और परेशानी होती है.
यहां के स्थानीय लोगों का कहना है कि कचरे के पहाड़ में जब कभी आग लगाई जाती है. आसपास के इलाकों में धुआं भर जाता है. इससे घरों में रहना, आना-जाना मुश्किल हो जाता है. वे लंबे समय से मांग कर रहे हैं कि नगर परिषद यहां से कचरा डंपिंग ग्राउंड हटाए, लेकिन कोई ध्यान नहीं देता. लोगों का कहना है कि कई बार यहां के लोगों ने सड़क जाम कर प्रदर्शन किया, ताकि जिम्मेदारों का ध्यान समस्या की ओर जाए. लेकिन सुनवाई नहीं हो रही है.
क्या हुआ ठोस कचरा प्रबंधन योजनाः डेढ़ वर्ष पहले सदर प्रखंड के ठाड़ी गांव में ठोस कचरा प्रबंधन इंतजाम के लिए 12 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था. इस पर लगभग दस करोड़ रुपये खर्च भी किए गए. साथ ही चाहरदीवारी पर भी बड़ी राशि खर्च की गई लेकिन इस अधिग्रहित जमीन पर काम नहीं शुरू हो सका. इस संबंध में दुमका नगर परिषद की अध्यक्ष श्वेता झा का कहना है कि वर्षों मेहनत के बाद ठाड़ी गांव में जमीन मिल पाई है लेकिन अभी कुछ उपकरण आने बाकी हैं जिससे कचरा प्रबंधन का काम नहीं शुरू हो सका है.
दुमका नगर परिषद अध्यक्ष श्वेता झा का कहना है कि सरकार के नगर विकास विभाग से इस बाबत बातचीत हो रही है और बहुत जल्द सारी मशीन आ जाएगी. इसके बाद कचरा प्रबंधन की व्यवस्था शुरू हो जाएगी और लोगों को राहत मिलेगी.