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शिकारीपाड़ा में कोल ब्लॉक और कोल रैक प्वाइंट खोलने का विरोध, 40 गांवों के लोगों ने किया प्रदर्शन

Villagers protest in Shikaripara. दुमका के शिकारीपाड़ा में कोल ब्लॉक और कोल रैक प्वाइंट खोलने की कवायद के विरोध में तीस से चालीस गांवों के महिला-पुरुषों ने पारंपरिक हथियारों के साथ प्रदर्शन किया. ग्रामीणों ने स्थानीय जनप्रितिनिधि और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की.

Villagers protest in Shikaripara
Villagers protest in Shikaripara
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Jan 6, 2024, 10:44 PM IST

दुमका: जिले के शिकारीपाड़ा थाना क्षेत्र के हुलसडंगाल हटिया परिसर में शनिवार को तीस से चालीस गांवों के हजारों महिला-पुरुष पारंपरिक हथियार के साथ एकजुट हुए. उन्होंने शिकारीपाड़ा प्रखंड के कोल ब्लॉक और हरिनसिंघा-पगदाहा स्टेशन पर कोयला रैक प्वाइंट खोलने की कवायद का कड़ा विरोध किया.

क्या है पूरा मामला: दरअसल, दुमका जिले के शिकारीपाड़ा प्रखंड में एक दर्जन से अधिक कोल ब्लॉक आवंटित किये गये हैं, जिन्हें चालू करने का प्रयास किया जा रहा है. दूसरी ओर, दुमका-रामपुरहाट रेलखंड पर स्थित हरिनसिंघा-पगदाहा स्टेशन पर कोयला रैक प्वाइंट बीजीआर कंपनी को आवंटित किया गया है. कंपनी की ओर से स्टेशन पर कोयला परिवहन के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है. ग्रामीण पिछले कुछ महीनों से कोल ब्लॉक और कोल रैक प्वाइंट दोनों को खोलने का विरोध कर रहे हैं, लेकिन आज शनिवार को प्रभावित क्षेत्र के 30 से 40 गांवों के हजारों लोग पारंपरिक हथियारों के साथ एकत्र हुए.

एकत्रित सभी स्त्री-पुरुषों के हाथों में चाकू, तलवारें, हंसिया, धनुष-बाण थे. उन्होंने कोयला कंपनी, प्रशासन और स्थानीय विधायक नलिन सोरेन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. ग्रामीणों ने कहा कि जल, जंगल और जमीन हमारी है. अगर कोयला कंपनी यहां आयी तो हमें भारी नुकसान होगा. हमारी जमीन चली जायेगी. कृषि, जो हमारी आजीविका प्रदान करती है, छीन ली जायेगी. साथ ही इस क्षेत्र के पर्यावरण को भी काफी नुकसान होगा.

बैरियर को हटाने से बढ़ा गुस्सा: ग्रामीणों में सबसे ज्यादा गुस्सा इस बात को लेकर था कि उनके द्वारा कोल ब्लॉक और स्टेशन रोड में एक जनवरी को जो बैरियर और चुड़का बांस (विरोध का एक प्रतीकात्मक तरीका) लगाया गया था. शिकारीपाड़ा अंचल के सीओ कपिलदेव सिंह ने ग्राम प्रधान को सूचना दिये बगैर पुलिस की मदद से उसे हटा दिया. ग्रामीणों का कहना है कि इसके लिए संबंधित अधिकारी को सार्वजनिक रूप से आकर माफी मांगनी होगी. अन्यथा हम वाहनों का आवागमन पूरी तरह बंद कर देंगे.

ग्रामीणों ने कहा कि किसी भी काम को रोकने के लिए चुड़का लगाना हमारा पारंपरिक अधिकार है. प्रशासन ने इसे जबरदस्ती क्यों हटाया? यहां ग्रामीणों ने जिला प्रशासन के साथ-साथ स्थानीय जन प्रतिनिधियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. ग्रामीणों का कहना है कि स्थानीय जन प्रतिनिधि उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. वैसे जो भी व्यक्ति कोयला कंपनी में दलाली कर रहा है उसे होश में आना चाहिए.

यह भी पढ़ें: दुमका के शिकारीपाड़ा प्रखंड में कोल ब्लॉक खोलने का विरोध, परंपरागत शस्त्रों के साथ सैकड़ों ग्रामीणों ने किया प्रदर्शन

यह भी पढ़ें: हिलटॉप आउटसोर्सिंग कोल माइंस के खिलाफ प्रदर्शन, ओबी डंप करने के विरोध में सड़क पर उतरे ग्रामीण

यह भी पढ़ें: कोल माइंस जमीन अधिग्रहण के प्रस्तावित बिल पर झारखंड सरकार ने जताई आपत्ति, कहा-राज्यों को होगा नुकसान

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क्या है पूरा मामला: दरअसल, दुमका जिले के शिकारीपाड़ा प्रखंड में एक दर्जन से अधिक कोल ब्लॉक आवंटित किये गये हैं, जिन्हें चालू करने का प्रयास किया जा रहा है. दूसरी ओर, दुमका-रामपुरहाट रेलखंड पर स्थित हरिनसिंघा-पगदाहा स्टेशन पर कोयला रैक प्वाइंट बीजीआर कंपनी को आवंटित किया गया है. कंपनी की ओर से स्टेशन पर कोयला परिवहन के लिए इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है. ग्रामीण पिछले कुछ महीनों से कोल ब्लॉक और कोल रैक प्वाइंट दोनों को खोलने का विरोध कर रहे हैं, लेकिन आज शनिवार को प्रभावित क्षेत्र के 30 से 40 गांवों के हजारों लोग पारंपरिक हथियारों के साथ एकत्र हुए.

एकत्रित सभी स्त्री-पुरुषों के हाथों में चाकू, तलवारें, हंसिया, धनुष-बाण थे. उन्होंने कोयला कंपनी, प्रशासन और स्थानीय विधायक नलिन सोरेन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. ग्रामीणों ने कहा कि जल, जंगल और जमीन हमारी है. अगर कोयला कंपनी यहां आयी तो हमें भारी नुकसान होगा. हमारी जमीन चली जायेगी. कृषि, जो हमारी आजीविका प्रदान करती है, छीन ली जायेगी. साथ ही इस क्षेत्र के पर्यावरण को भी काफी नुकसान होगा.

बैरियर को हटाने से बढ़ा गुस्सा: ग्रामीणों में सबसे ज्यादा गुस्सा इस बात को लेकर था कि उनके द्वारा कोल ब्लॉक और स्टेशन रोड में एक जनवरी को जो बैरियर और चुड़का बांस (विरोध का एक प्रतीकात्मक तरीका) लगाया गया था. शिकारीपाड़ा अंचल के सीओ कपिलदेव सिंह ने ग्राम प्रधान को सूचना दिये बगैर पुलिस की मदद से उसे हटा दिया. ग्रामीणों का कहना है कि इसके लिए संबंधित अधिकारी को सार्वजनिक रूप से आकर माफी मांगनी होगी. अन्यथा हम वाहनों का आवागमन पूरी तरह बंद कर देंगे.

ग्रामीणों ने कहा कि किसी भी काम को रोकने के लिए चुड़का लगाना हमारा पारंपरिक अधिकार है. प्रशासन ने इसे जबरदस्ती क्यों हटाया? यहां ग्रामीणों ने जिला प्रशासन के साथ-साथ स्थानीय जन प्रतिनिधियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. ग्रामीणों का कहना है कि स्थानीय जन प्रतिनिधि उनकी समस्याओं पर ध्यान नहीं दे रहे हैं. वैसे जो भी व्यक्ति कोयला कंपनी में दलाली कर रहा है उसे होश में आना चाहिए.

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