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फूलो झानो मेडिकल कॉलेज में आज तक नहीं लग पाया वेंटिलेटर, आठ महीने से फांक रहा धूल - Phulo Jhano Medical College Dumka

दुमका के फूलो झानो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में 8 महीने पहले भारत सरकार की ओर से चार वेंटिलेटर भेजे गए थे, लेकिन इसका फायदा आज तक यहां के मरीजों को नहीं मिल सका. स्वास्थ्य विभाग ने कोरोना काल के दौरान जिले को करीब 42 लाख रुपये खर्च कर 21 वेंटिलेटर दिए थे.

Ventilators did not installed in Phulo Jhano Medical College in Dumka
फूलो झानो मेडिकल कॉलेज में आज तक वेंटिलेटर नहीं हुए इंस्टॉल
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Published : Mar 22, 2021, 7:45 PM IST

Updated : Mar 23, 2021, 12:43 PM IST

दुमका: जिले के फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 8 महीने पहले भारत सरकार की ओर से चार वेंटिलेटर भेजे गए. इसका फायदा उन मरीजों को मिलना था, जिनके श्वसन तंत्र सही ढंग से काम नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन आज तक इसका इस्तेमाल नहीं हुआ. आठ महीने में इसे इंस्टॉल ही नहीं किया गया. मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आईसीयू वार्ड के एक कोने में पड़े ये धूल फांक रहे हैं.

देखें स्पेशल खबर
क्या कहते हैं स्थानीय


ईटीवी भारत की टीम ने ऐसे लोगों से बात की, जिनके परिजनों को वेंटिलेटर की जरूरत थी. दुमका के अमित कुमार सिंह कहते हैं कि उनकी मां लगभग 2 महीने पहले बीमार पड़ी थी. उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और वेंटिलेटर की सख्त जरूरत थी, लेकिन उन्हें यह सुविधा अस्पताल में उपलब्ध नहीं हो पाया.

Ventilators did not installed in Phulo Jhano Medical College in Dumka
बेकार पड़े वेंटिलेटर

इसके बाद वहां वे अपनी मां को इलाज के लिए पश्चिम बंगाल ले जा रहे थे, लेकिन रास्ते में ही मां ने दम तोड़ दिया. अमित सिंह कहते हैं कि अगर यह वेंटिलेटर चालू रहता तो शायद उसकी मां जीवित होती. वे झारखंड सरकार से मांग करते हैं कि चाहे जो भी कमी हो, इसे दूर करते हुए वेंटिलेटर को चालू कराया जाए.

Ventilators did not installed in Phulo Jhano Medical College in Dumka
वेंटिलेटर का अब तक नहीं हुआ उपयोग

कितना कीमती है यह वेंटिलेटर

कोरोना काल के शुरूआती समय में जिला प्रशासन और जिला मेडिकल टीम की ओर से 21 वेंटिलेटर की मांग की गई थी. कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप और मरीजों की जान की रक्षा को गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग ने दुमका को 21 वेंटिलेटर तो दे दिए, लेकिन फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन ने इसे गंभीरता से आजतक नहीं लिया. भेजे गए 21 वेटिंलेटर में से 17 वेटिंलेटर जिले के अन्य कोविड-19 अस्पताल को दिए गए हैं, जो लोगों की उपयोग के लिए तो लगा दिए गए हैं, लेकिन स्थिति क्या है, वह तो विभाग ही बता पाएगा. वहीं. फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन की अनदेखी की वजह से आजतक 4 वेंटिलेटर अस्पताल के स्टोर रूम में धूल फांक रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 1 वेंटिलेटर मशीन की लागत करीब 2 लाख रुपये हैं.


क्या कहते हैं मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक

मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के अधीक्षक रवींद्र कुमार बताते हैं कि इसे चलाने के लिए पाइप लाइन के जरिए ऑक्सीजन मौजूद होनी चाहिए, जो अभी तक उनके पास नहीं है, साथ ही इसके लिए विशेषज्ञ भी उनके पास नहीं है. अब ना तो पर्याप्त उपकरण हैं और ना ही टेक्नीशियन, इसे चलाएं भी तो कैसे. वेंटिलेटर चलाने के लिए जिन चीजों की जरूरत है, उसके लिए सरकार को पत्र लिखा गया है.

स्वास्थ विभाग की बड़ी लापरवाही

वहीं, दुमका सांसद सुनील सोरेन का कहना है कि फूलो झानू मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल में वेंटिलेटर हैं, लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं हो रहा है. यह झारखंड सरकार के स्वास्थ विभाग की बड़ी लापरवाही है. वे कहते हैं कि सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए और वे भी अपने तरफ से प्रयास करेंगे, ताकि यह जल्द चालू हो सके.

बता दें कि फूलो झानो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में लाखों के उपकरण बेकार पड़े हुए हैं, जो मनुष्य की जिंदगी से जुड़े हैं. सरकार को चाहिए कि वह इसकी कमी को दूर करते हुए, इसे चालू कराने की दिशा में आवश्यक पहल करें.

दुमका: जिले के फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल में 8 महीने पहले भारत सरकार की ओर से चार वेंटिलेटर भेजे गए. इसका फायदा उन मरीजों को मिलना था, जिनके श्वसन तंत्र सही ढंग से काम नहीं कर पा रहे हैं, लेकिन आज तक इसका इस्तेमाल नहीं हुआ. आठ महीने में इसे इंस्टॉल ही नहीं किया गया. मेडिकल कॉलेज अस्पताल के आईसीयू वार्ड के एक कोने में पड़े ये धूल फांक रहे हैं.

देखें स्पेशल खबर
क्या कहते हैं स्थानीय


ईटीवी भारत की टीम ने ऐसे लोगों से बात की, जिनके परिजनों को वेंटिलेटर की जरूरत थी. दुमका के अमित कुमार सिंह कहते हैं कि उनकी मां लगभग 2 महीने पहले बीमार पड़ी थी. उन्हें सांस लेने में दिक्कत हो रही थी और वेंटिलेटर की सख्त जरूरत थी, लेकिन उन्हें यह सुविधा अस्पताल में उपलब्ध नहीं हो पाया.

Ventilators did not installed in Phulo Jhano Medical College in Dumka
बेकार पड़े वेंटिलेटर

इसके बाद वहां वे अपनी मां को इलाज के लिए पश्चिम बंगाल ले जा रहे थे, लेकिन रास्ते में ही मां ने दम तोड़ दिया. अमित सिंह कहते हैं कि अगर यह वेंटिलेटर चालू रहता तो शायद उसकी मां जीवित होती. वे झारखंड सरकार से मांग करते हैं कि चाहे जो भी कमी हो, इसे दूर करते हुए वेंटिलेटर को चालू कराया जाए.

Ventilators did not installed in Phulo Jhano Medical College in Dumka
वेंटिलेटर का अब तक नहीं हुआ उपयोग

कितना कीमती है यह वेंटिलेटर

कोरोना काल के शुरूआती समय में जिला प्रशासन और जिला मेडिकल टीम की ओर से 21 वेंटिलेटर की मांग की गई थी. कोविड-19 के बढ़ते प्रकोप और मरीजों की जान की रक्षा को गंभीरता से लेते हुए स्वास्थ्य विभाग ने दुमका को 21 वेंटिलेटर तो दे दिए, लेकिन फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन ने इसे गंभीरता से आजतक नहीं लिया. भेजे गए 21 वेटिंलेटर में से 17 वेटिंलेटर जिले के अन्य कोविड-19 अस्पताल को दिए गए हैं, जो लोगों की उपयोग के लिए तो लगा दिए गए हैं, लेकिन स्थिति क्या है, वह तो विभाग ही बता पाएगा. वहीं. फूलो झानो मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन की अनदेखी की वजह से आजतक 4 वेंटिलेटर अस्पताल के स्टोर रूम में धूल फांक रहे हैं. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार 1 वेंटिलेटर मशीन की लागत करीब 2 लाख रुपये हैं.


क्या कहते हैं मेडिकल कॉलेज के अधीक्षक

मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल के अधीक्षक रवींद्र कुमार बताते हैं कि इसे चलाने के लिए पाइप लाइन के जरिए ऑक्सीजन मौजूद होनी चाहिए, जो अभी तक उनके पास नहीं है, साथ ही इसके लिए विशेषज्ञ भी उनके पास नहीं है. अब ना तो पर्याप्त उपकरण हैं और ना ही टेक्नीशियन, इसे चलाएं भी तो कैसे. वेंटिलेटर चलाने के लिए जिन चीजों की जरूरत है, उसके लिए सरकार को पत्र लिखा गया है.

स्वास्थ विभाग की बड़ी लापरवाही

वहीं, दुमका सांसद सुनील सोरेन का कहना है कि फूलो झानू मेडिकल कॉलेज एंड अस्पताल में वेंटिलेटर हैं, लेकिन इसका इस्तेमाल नहीं हो रहा है. यह झारखंड सरकार के स्वास्थ विभाग की बड़ी लापरवाही है. वे कहते हैं कि सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए और वे भी अपने तरफ से प्रयास करेंगे, ताकि यह जल्द चालू हो सके.

बता दें कि फूलो झानो मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में लाखों के उपकरण बेकार पड़े हुए हैं, जो मनुष्य की जिंदगी से जुड़े हैं. सरकार को चाहिए कि वह इसकी कमी को दूर करते हुए, इसे चालू कराने की दिशा में आवश्यक पहल करें.

Last Updated : Mar 23, 2021, 12:43 PM IST
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