दुमका: दुमका के शहरी क्षेत्र और आसपास के ग्रामीण इलाकों के लोगों को 24 घंटे पीने का पानी पाइपलाइन के माध्यम से घरों तक पहुंचाया जाए, इसके लिए 75 करोड़ की एक योजना स्वीकृत हुई है. इसका निर्माण कार्य भी जल्द शुरू हो जाएगा. निर्माण कार्य दो वर्ष में पूरा होगा. यह योजना दुमका में आने वाले 30 वर्षों की बढ़ती जनसंख्या और जरूरतों को ध्यान में रखकर बनाई गई है.
क्या है योजना ?
झारखंड की उपराजधानी दुमका के शहरी क्षेत्र और आसपास के जो ग्रामीण इलाके हैं, वहां रहने वाले लगभग डेढ़ लाख लोगों को पाइपलाइन के माध्यम से 24 घंटे पेयजल उपलब्ध हो, इसके लिए सरकार बड़ी योजना पर काम कर रही है. वर्तमान में कुरुआ जलापूर्ति प्लांट से लोगों को सुबह शाम पानी दिया जाता है. इसका कनेक्शन लगभग 10 हजार परिवारों ने ले रखा है. वैसे अभी भी कई क्षेत्र इससे वंचित हैं जहां शहरी जलापूर्ति का पाइपलाइन नहीं पहुंची है.
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30 साल के लिए प्लान
झारखंड अर्बन इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कंपनी की तरफ से आगामी 30 साल की जरूरत को देखते हुए एक प्रोजेक्ट तैयार किया गया है और इसका टेंडर भी हो चुका है. यह जानकारी दुमका नगर परिषद कार्यालय की ओर से दी गई है. इसके द्वारा वर्तमान की शहरी जलापूर्ति योजना का विस्तारीकरण किया जाएगा. अभी कुरुआ में वाटर ट्रीटमेंट प्लांट से लोगों को पानी मिलता है. इसके अतिरिक्त एक अन्य जगह भी ट्रीटमेंट प्लांट लगाया जाएगा.
शहर में चार पानी टंकी बनाने की योजना
अभी दुमकावासियों को तीन वाटर टैंक जो 31 लाख लीटर का है उससे पानी मिल रहा है. ये टैंक शिवपहाड़, गोशाला रोड और हवाईअड्डा रोड पर स्थित है. अब नई स्कीम में दुमका के चारों कोनों में नए वाटर टैंक बनाए जा रहे हैं. लीची बागान में 19 लाख लीटर, गिधनी में 11 लाख लीटर, हड़वाडीह और श्रीअमड़ा में 15 लाख लीटर और शिवपहाड में ही छह लाख लीटर का वाटर टैंक बनाया जाएगा.
अभी दुमकावासियों को बास्कीचक गांव स्थित मयूराक्षी नदी में इंटेक वेल बनाकर पानी लिफ्ट कराया जाता है और उसे कुरुआ वॉटर ट्रीटमेंट प्लांट पहुंचाया जाता है. यहां से लोगों को पानी सप्लाई किया जाता है. जबकि 1970 में हिजला गांव में मयूराक्षी नदी में इंटेल बनाकर लोगों को पानी पहुंचाया जाता था. करीब चार दशक के बाद यह प्लांट जर्जर होकर बंद हो गया था, केंद्र सरकार ने 2019 में हिजला वाटर प्लांट के जीर्णोद्धार के लिए चार करोड़ रुपये दिए थे. इस पर निर्माण कार्य चल रहा है और यह अंतिम चरण में है. इससे भी लगभग 30 गांव को पीने का पानी पहुंचाया जाएगा.