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कलयुग में श्रवण कुमार! माता पिता को कांधे पर लेकर पुत्रों ने कराया बाबा पर जलअर्पण

कलयुग के दौर में श्रवण कुमार जैसे बेटे (Sons like Shravan Kumar) कम ही होते हैं. आज भी श्रवण कुमार जैसे बेटे देखने को मिलते हैं. आज के श्रवण कुमार अपने माता-पिता को कंधे पर लेकर 40 दिनों के कठिन यात्रा करते हुए बाबा बासुकीनाथ धाम (Dumka Basukinath Dham) पहुंचे और उनकी इच्छा पूरी की.

Sons like Shravan Kumar
Sons like Shravan Kumar
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Published : Oct 5, 2022, 9:32 PM IST

दुमका: त्रेता युग के श्रवण कुमार के बारे में सबने सुना है. लेकिन यह जानकर खुशी होगी कि इस कलयुग में भी श्रवण कुमार जैसे बेटे (Sons like Shravan Kumar) मौजूद हैं. आज के श्रवण कुमार ने अपने वृद्ध माता-पिता की इच्छा पूरी करने के लिए उन्हें कंधे पर बिठाकर बाबा धाम देवघर और दुमका बासुकीनाथ धाम (Dumka Basukinath Dham) का दर्शन कराया. ये श्रवण कुमार बिहार के भागलपुर जिला के रहने वाले हैं.

इसे भी पढ़ें: देवघर में शिव से पहले शक्ति का वास, यहां की दूर्गा पूजा भी है खास

बांस की डलिया में बिठाकर की पैदल यात्रा: भागलपुर के सुल्तानगंज थाना क्षेत्र के शिवनंदनपुर गांव के रहने वाले कांति लाल यादव और मंत्री लाल यादव ने अपने अन्य भाइयों के सहयोग से श्रवण कुमार की तरह ही एक उदाहरण पेश किया है. कांति लाल यादव और मंत्री लाल यादव ने अपने वृद्ध एवं निशक्त माता पिता को बांस की डलिया में बिठाकर बहंगी के सहारे पैदल सुल्तानगंज आए और उत्तरवाहिनी गंगा से गंगा जल भरकर बाबा बैद्यनाथ धाम देवघर और बाबा बासुकीनाथ धाम में पूजा अर्चना कराई.

देखें वीडियो

माता पिता ने जाहिर की थी इच्छा: शिवनंदनपुर के रहने वाले 85 वर्षीय सुमित यादव और उसकी पत्नी 80 वर्षीय सुमित्रा देवी ने अपने पुत्रों के समक्ष बैद्यनाथ धाम और बासुकीनाथ धाम में जल अर्पण करने की इच्छा जाहिर की. जिसके बाद पुत्रों ने अपने माता-पिता की इच्छा पूरी करने के लिए दोनों को बांस की डलिया में बैठाकर 40 दिनों की तीर्थ यात्रा सकुशल पूरी की. बता दें कि बुजुर्ग दंपति ने एक दिन अपने पुत्रों के समक्ष जीवन के अंतिम पड़ाव में बाबाधाम और बासुकीनाथ मंदिर में पूजा करने का इच्छा जाहिर की थी. फिर क्या था उनके पुत्र भी लोगों से कर्ज लेकर माता-पिता की इच्छा पूर्ति करने निकल पड़े और 40 दिनों की कठिन यात्रा करते हुए बाबा बासुकीनाथ मंदिर में जलार्पण कराया.

क्या कहते हैं आज के श्रवण कुमार: पुत्र ने अपने माता पिता को कांधे पर या कहे तो कांवर में रखकर सुल्तानगंज से जल लेकर पहले पैदल यात्रा करते हुए बाबा धाम गए और पूजा अर्चना कराई. फिर बुधवार को बासुकीनाथ पहुंचे और अपने बुजुर्ग माता-पिता से जलअर्पण कराया. माता-पिता भी पुत्र के इस प्यार को देखकर काफी खुश थे. वहीं पुत्रों ने कहा कि हमारे माता पिता ठीक से चल नहीं पाते थे, बुजुर्ग हो गए थे. तो हम भाइयों ने सोचा कि अंतिम क्षणों में माता-पिता को बाबा का दर्शन करा दें.

दुमका: त्रेता युग के श्रवण कुमार के बारे में सबने सुना है. लेकिन यह जानकर खुशी होगी कि इस कलयुग में भी श्रवण कुमार जैसे बेटे (Sons like Shravan Kumar) मौजूद हैं. आज के श्रवण कुमार ने अपने वृद्ध माता-पिता की इच्छा पूरी करने के लिए उन्हें कंधे पर बिठाकर बाबा धाम देवघर और दुमका बासुकीनाथ धाम (Dumka Basukinath Dham) का दर्शन कराया. ये श्रवण कुमार बिहार के भागलपुर जिला के रहने वाले हैं.

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बांस की डलिया में बिठाकर की पैदल यात्रा: भागलपुर के सुल्तानगंज थाना क्षेत्र के शिवनंदनपुर गांव के रहने वाले कांति लाल यादव और मंत्री लाल यादव ने अपने अन्य भाइयों के सहयोग से श्रवण कुमार की तरह ही एक उदाहरण पेश किया है. कांति लाल यादव और मंत्री लाल यादव ने अपने वृद्ध एवं निशक्त माता पिता को बांस की डलिया में बिठाकर बहंगी के सहारे पैदल सुल्तानगंज आए और उत्तरवाहिनी गंगा से गंगा जल भरकर बाबा बैद्यनाथ धाम देवघर और बाबा बासुकीनाथ धाम में पूजा अर्चना कराई.

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माता पिता ने जाहिर की थी इच्छा: शिवनंदनपुर के रहने वाले 85 वर्षीय सुमित यादव और उसकी पत्नी 80 वर्षीय सुमित्रा देवी ने अपने पुत्रों के समक्ष बैद्यनाथ धाम और बासुकीनाथ धाम में जल अर्पण करने की इच्छा जाहिर की. जिसके बाद पुत्रों ने अपने माता-पिता की इच्छा पूरी करने के लिए दोनों को बांस की डलिया में बैठाकर 40 दिनों की तीर्थ यात्रा सकुशल पूरी की. बता दें कि बुजुर्ग दंपति ने एक दिन अपने पुत्रों के समक्ष जीवन के अंतिम पड़ाव में बाबाधाम और बासुकीनाथ मंदिर में पूजा करने का इच्छा जाहिर की थी. फिर क्या था उनके पुत्र भी लोगों से कर्ज लेकर माता-पिता की इच्छा पूर्ति करने निकल पड़े और 40 दिनों की कठिन यात्रा करते हुए बाबा बासुकीनाथ मंदिर में जलार्पण कराया.

क्या कहते हैं आज के श्रवण कुमार: पुत्र ने अपने माता पिता को कांधे पर या कहे तो कांवर में रखकर सुल्तानगंज से जल लेकर पहले पैदल यात्रा करते हुए बाबा धाम गए और पूजा अर्चना कराई. फिर बुधवार को बासुकीनाथ पहुंचे और अपने बुजुर्ग माता-पिता से जलअर्पण कराया. माता-पिता भी पुत्र के इस प्यार को देखकर काफी खुश थे. वहीं पुत्रों ने कहा कि हमारे माता पिता ठीक से चल नहीं पाते थे, बुजुर्ग हो गए थे. तो हम भाइयों ने सोचा कि अंतिम क्षणों में माता-पिता को बाबा का दर्शन करा दें.

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