दुमका: राज्य की उपराजधानी दुमका के राजकीय पुस्कालय परिसर में आज संथाली साहित्य महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है (Santhali Literature Festival organized in Dumka). इस साहित्य महोत्सव में संथाली भाषा के कई साहित्यकार, कवि और जानकार जुट रहे हैं. सभी मिलकर संथाली भाषा के विभिन्न पहलुओं पर चर्चा प्रस्तुत करेंगे. यह आयोजन संथाली भाषा के विद्वान रहे पीओ बोडिंग की जयंती के अवसर (Birth Anniversary of Paul Olf Bodding) पर मानाया जा रहा है.
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क्या है कार्यक्रम का उद्देश्य: जिला प्रशासन का प्रयास है कि इस कार्यक्रम के माध्यम से संथाली साहित्य का दुमका सहित पूरे राज्य में प्रसार हो ताकि संथाली साहित्य का विस्तार हो सके. इसमें मुख्य तौर पर डॉ. डब्लू सोरेन, रमेश चंद्रा किस्कू, प्रमोदिनी हांसदा, मैरीअन्स टुडू, डॉ. धुनी सोरेन, मसूदी टुडू, जॉय टुडू, विजय कुमार मरांडी, आंद्रेयास टुडू, डेनिल हांसदा, गेब्रियल सोरेन, डॉ विश्वनाथ हांसदा, सुंदर मनोज हेंब्रम, चुंडा सोरेन सिपाही, निर्मला पुतुल जैसे प्रसिद्ध संथाली भाषा के जानकार लेखक, कवि और साहित्यकार भाग लेंगे.
पीओ बोडिंग का संक्षिप्त परिचय: संथाली भाषा के जिस विद्वान पॉल ऑल्फ बोडिंग (पी.ओ.बोडिंग) की जयंती पर यह कार्यक्रम आयोजित है (Santhali scholar Paul Olf Boding), उनका जन्म 2 नवंबर 1865 को नॉर्वे में हुआ था. पादरी बनकर 1889 में वे भारत पहुंचे थे. उनका कार्यक्षेत्र दुमका जिला रहा. यहां उन्होंने 44 वर्षों तक अपनी सेवा दी. इस दौरान उन्होंने संथाली साहित्य पर काफी काम किया. उन्होंने संथाली-हिंदी शब्दकोश की भी रचना की. इसके साथ ही संथाली भाषा में उन्होंने लघु कथाएं भी लिखी जो तीन वॉल्यूम में है. 1922 में उन्होंने संथाली भाषा में व्याकरण की रचना की. साथ ही संथाल समाज में प्रचलित लोक कथाओं को लिपिबद्ध किया. यही वजह है कि संथाली साहित्य के विकास में उनके योगदान को याद करते हुए जिला प्रशासन ने पहली बार संथाली लिटरेचर फेस्टिवल का आयोजन किया है.