दुमकाः संथाल परगना में कृषि विभाग रबी की फसल की तैयारियों में जुट गया है. इसके लिए प्रमंडल के सभी छह जिलों दुमका, देवघर, गोड्डा, साहिबगंज, पाकुड़ और जामताड़ा में गेहूं, मकई, सरसों, चना और मसूर के बीजों को वितरित किया जा चुका है. संथाल परगना प्रमंडल के संयुक्त कृषि निदेशक अजय कुमार सिंह ने किसानों के लिए सरसों की बुवाई करने की सलाह दी है. उनका कहना है कि संथाल परगना की जमीन तिलहन के लिए अच्छी है.
ये भी पढ़ें- पांच साल की बच्ची ने 18 किलोमीटर मैराथन की पूरी, जामताड़ा पहुंचने पर हुआ स्वागत
कृषि विभाग के संयुक्त निदेशक कार्यालय के अनुसार जिले में लगभग साढे़ तीन लाख हेक्टेयर भूमि पर बुवाई कराने का लक्ष्य तय किया गया है. इसमें सबसे अधिक 1 लाख 21 हजार 500 हेक्टेयर भूमि पर सरसों के बीज बोने, 72 हजार 500 हेक्टेयर में चना और 72 हजार हेक्टेयर भूमि गेहूं पर बोने का लक्ष्य है. इसके साथ ही मक्का, मटर और तीसी भी बोने का लक्ष्य रखा गया है.
संयुक्त कृषि निदेशक की सलाह
संथाल परगना प्रमंडल के संयुक्त कृषि निदेशक अजय कुमार सिंह ने रबी फसल को लेकर किसानों को सलाह दी है कि खेतों में नमी अभी बरकरार है. खेतों में जुताई कर रबी की फसल के लिए तैयार कर लें. साथ ही उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि गेहूं, चना, मकई की जगह इस बार अधिक से अधिक सरसों की खेती करें. इसकी बड़ी वजह अच्छी कीमत से जुड़ी है. अभी वर्तमान समय में सरसों तेल का मूल्य लगभग 200 रुपये प्रति लीटर पहुंच गया है. अगर आप सरसों की खेती करते हैं तो आपको फसल की अच्छी कीमत मिल सकेगी.
सरसों का बीज जनवरी तक बो सकेंगे
संथाल परगना प्रमंडल के संयुक्त कृषि निदेशक अजय कुमार सिंह ने कहा कि पूरे जनवरी महीने तक सरसों का बीज बो सकते हैं. लेकिन जितना जल्दी इसे बोएंगे, उतनी अधिक पैदावार या लाभ होने की उम्मीद है. इससे पौधे में कीट लगने की आशंका भी कम रहेगी. जिससे कीटनाशक पर खर्च कम होने से लागत भी कम हो जाएगी. संयुक्त कृषि निदेशक कहते हैं कि रबी फसल का बीज सभी जिलों में भेज दिया गया है. अगर और बीज की आवश्यकता होगी तो डिमांड के अनुरूप आपूर्ति कर दी जाएगी.
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का उठाएं लाभ
संयुक्त कृषि निदेशक अजय कुमार सिंह ने किसानों से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का लाभ उठाने की भी अपील की है. उन्होंने कहा कि इसके तहत 90% अनुदान पर ड्रिप इरिगेशन सिस्टम और स्प्रिंकलर सिस्टम दिए जा रहे हैं. ड्रिप सिस्टम और स्प्रिंकलर दोनों से कम पानी में ज्यादा से ज्यादा भूमि सिंचित की जा सकती है. इस योजना का लाभ उठाते हैं तो उन्हें कृषि कार्य में काफी सुविधा होगी.