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दुमका में जल संरक्षण और संचयन को लेकर लापरवाही, अतिक्रमित और प्रदूषित हो रहे जलाशय

दुमका में जल संरक्षण और संचयन को लेकर लापरवाही बरती जा रही है. पानी बचाने के लिए चलाए जा रहे अभियान यहां ढाक के तीन पात साबित हो रहे हैं. दुमका में जलाशयों में प्रदूषण और मयूराक्षी नदी का अतिक्रमण मुख्य समस्या (Pollution and encroachment in reservoirs) है. इसको लेकर अब तक प्रशासन की ओर से ठोस कदम नहीं उठाए गए हैं.

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दुमका
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Published : Oct 7, 2022, 7:36 AM IST

Updated : Oct 7, 2022, 8:39 AM IST

दुमकाः आज पूरे देश में जल संरक्षण और संचयन (water conservation and harvesting in Dumka) को लेकर जन जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है. प्रखंड स्तर से लेकर जिला स्तर और राज्य स्तर से लेकर देश स्तर तक यह प्रयास किया जा रहा है कि पानी को कैसे बचाया जाए. पानी को प्रदूषित होने से कैसे रोका जाए. लेकिन जिला में जन जागरुकता अभियान का असर नहीं देखा जा रहा. दुमका में जलाशयों में प्रदूषण और अतिक्रमण की बानगी (Pollution and encroachment in reservoirs) देखी जा रही है.

इसे भी पढ़ें- दुमका में शहरी जलापूर्ति प्रभावित, वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के आधे हिस्से में जमी है गाद


सेव वाटर-सेव लाइफ, जल है तो कल है, जल है तो जहान है, जैसे स्लोगन आज गली-मोहल्लों से लेकर देश स्तर तक सुने जा रहे हैं. पानी को बचाने के लिए तरह-तरह के जागरूकता अभियान (Awareness campaign on saving water) चलाए जा रहे हैं. लेकिन जहां तक झारखंड की उपराजधानी दुमका का सवाल है ऐसा लगता है कि यह सारे अभियान का यहां कोई असर नहीं दिख रहा. दुमका के जलाशयों को अतिक्रमित और प्रदूषित (encroachment in reservoirs in Dumka) किया जा रहा है.

देखें पूरी खबर

मयूराक्षी नदी का अतिक्रमणः आपने अक्सर सुना होगा कि किसी तालाब को लोगों ने अतिक्रमण कर लिया. लेकिन दुमका में इससे बढ़कर यहां की लाइफ लाइन कही जाने वाली मयूराक्षी नदी का अतिक्रमण (encroachment of water bodies) किया जा रहा है. छाड़न क्षेत्र यानी डूब वाला इलाका में जो दुमका हवाई अड्डा रोड पर है उस भूमि को लोग अतिक्रमण कर रहे हैं. कुछ लोगों ने तो इस जमीन पर अपना घर भी बना लिया है जबकि कई लोगों के द्वारा इस पर जमीन पर बाउंड्री वॉल बनाया गया है. जिसमें भविष्य में इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने की संभावना है.

ऐसा नहीं है कि प्रशासन की इस पर नजर नहीं है लगभग तीन वर्ष पूर्व दुमका के तत्कालीन एसडीओ राकेश कुमार ने अतिक्रमण करने वाले लोगों को नोटिस देकर इलाका जल्द खाली करने को कहा था. उसके बाद कोविड काल आ गया और प्रशासन की प्राथमिकताएं बदल गईं. इसके बाद काफी दिनों तक इस मामले की किसी ने सुध नहीं ली. इधर कुछ माह से दुमका के अंचलाधिकारी द्वारा इस एरिया की मापी शुरू कराई गई थी ताकि सरकार जलाशय का एरिया चिन्हित करें. इसमें जिस किसी ने निर्माण कार्य किया है उस पर कार्रवाई की जा सके लेकिन वो कार्रवाई भी अधर में है.

जलाशयों को किया जा रहा प्रदूषितः दुमका में तीन से चार प्रमुख जलाशय हैं. जिसमें बड़ा बांध, खूंटा बांध, बक्शी बांध प्रमुख हैं. इन सभी जलाशयों को लोगों के द्वारा प्रदूषित किया जा रहा है. दरअसल लोग इसमें अपने घरों के कचरा लाकर डाल देते हैं, जिससे पानी दूषित होता है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. वहीं हवाई रोड स्थित मयूराक्षी नदी का जो छाड़न एरिया है, उसमें भी लोग कचरा डाल रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें अस्पतालों से निकलने वाला कचरा जो काफी खतरनाक माना जाता है, वो भी इन्हीं जलाशयों में फेंक दिया जाता है.

सीओ ने कार्रवाई का दिया भरोसाः इस जलाशयों के जमीन पर अतिक्रमण को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने दुमका के अंचलाधिकारी जामुन रविदास से बात की. उन्होंने कहा कि कुछ ही दिनों में मयूराक्षी के डूब क्षेत्र के जमीन मापी की जाएगी. जांच के बाद अतिक्रमणकारियों को चिन्हित करते हुए आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.

दुमकाः आज पूरे देश में जल संरक्षण और संचयन (water conservation and harvesting in Dumka) को लेकर जन जागरुकता अभियान चलाया जा रहा है. प्रखंड स्तर से लेकर जिला स्तर और राज्य स्तर से लेकर देश स्तर तक यह प्रयास किया जा रहा है कि पानी को कैसे बचाया जाए. पानी को प्रदूषित होने से कैसे रोका जाए. लेकिन जिला में जन जागरुकता अभियान का असर नहीं देखा जा रहा. दुमका में जलाशयों में प्रदूषण और अतिक्रमण की बानगी (Pollution and encroachment in reservoirs) देखी जा रही है.

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सेव वाटर-सेव लाइफ, जल है तो कल है, जल है तो जहान है, जैसे स्लोगन आज गली-मोहल्लों से लेकर देश स्तर तक सुने जा रहे हैं. पानी को बचाने के लिए तरह-तरह के जागरूकता अभियान (Awareness campaign on saving water) चलाए जा रहे हैं. लेकिन जहां तक झारखंड की उपराजधानी दुमका का सवाल है ऐसा लगता है कि यह सारे अभियान का यहां कोई असर नहीं दिख रहा. दुमका के जलाशयों को अतिक्रमित और प्रदूषित (encroachment in reservoirs in Dumka) किया जा रहा है.

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मयूराक्षी नदी का अतिक्रमणः आपने अक्सर सुना होगा कि किसी तालाब को लोगों ने अतिक्रमण कर लिया. लेकिन दुमका में इससे बढ़कर यहां की लाइफ लाइन कही जाने वाली मयूराक्षी नदी का अतिक्रमण (encroachment of water bodies) किया जा रहा है. छाड़न क्षेत्र यानी डूब वाला इलाका में जो दुमका हवाई अड्डा रोड पर है उस भूमि को लोग अतिक्रमण कर रहे हैं. कुछ लोगों ने तो इस जमीन पर अपना घर भी बना लिया है जबकि कई लोगों के द्वारा इस पर जमीन पर बाउंड्री वॉल बनाया गया है. जिसमें भविष्य में इंफ्रास्ट्रक्चर तैयार करने की संभावना है.

ऐसा नहीं है कि प्रशासन की इस पर नजर नहीं है लगभग तीन वर्ष पूर्व दुमका के तत्कालीन एसडीओ राकेश कुमार ने अतिक्रमण करने वाले लोगों को नोटिस देकर इलाका जल्द खाली करने को कहा था. उसके बाद कोविड काल आ गया और प्रशासन की प्राथमिकताएं बदल गईं. इसके बाद काफी दिनों तक इस मामले की किसी ने सुध नहीं ली. इधर कुछ माह से दुमका के अंचलाधिकारी द्वारा इस एरिया की मापी शुरू कराई गई थी ताकि सरकार जलाशय का एरिया चिन्हित करें. इसमें जिस किसी ने निर्माण कार्य किया है उस पर कार्रवाई की जा सके लेकिन वो कार्रवाई भी अधर में है.

जलाशयों को किया जा रहा प्रदूषितः दुमका में तीन से चार प्रमुख जलाशय हैं. जिसमें बड़ा बांध, खूंटा बांध, बक्शी बांध प्रमुख हैं. इन सभी जलाशयों को लोगों के द्वारा प्रदूषित किया जा रहा है. दरअसल लोग इसमें अपने घरों के कचरा लाकर डाल देते हैं, जिससे पानी दूषित होता है और पर्यावरण को नुकसान पहुंचता है. वहीं हवाई रोड स्थित मयूराक्षी नदी का जो छाड़न एरिया है, उसमें भी लोग कचरा डाल रहे हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि इसमें अस्पतालों से निकलने वाला कचरा जो काफी खतरनाक माना जाता है, वो भी इन्हीं जलाशयों में फेंक दिया जाता है.

सीओ ने कार्रवाई का दिया भरोसाः इस जलाशयों के जमीन पर अतिक्रमण को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने दुमका के अंचलाधिकारी जामुन रविदास से बात की. उन्होंने कहा कि कुछ ही दिनों में मयूराक्षी के डूब क्षेत्र के जमीन मापी की जाएगी. जांच के बाद अतिक्रमणकारियों को चिन्हित करते हुए आवश्यक कार्रवाई की जाएगी.

Last Updated : Oct 7, 2022, 8:39 AM IST
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