ETV Bharat / state

पानी से पेंशन तक के लिए तरस रहे दुमका के पहाड़िया, पढ़ें पूरी दुख कथा

आदिवासी राज्य झारखंड में ही आदिम जनजाति का हाल पूछने वाला कोई नहीं है. आदिवासी समुदाय का मुख्यमंत्री होने के बाद भी उनकी मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रहीं हैं. यहां आदिम जनजाति के लोग पानी से पेंशन और रोजगार तक के लिए तरस रहे हैं.

People of Primitive Tribe Pahadia In Dumka are not getting facilities
पानी से पेंशन तक के लिए तरस रहे दुमका के पहाड़िया
author img

By

Published : Dec 14, 2021, 7:52 PM IST

Updated : Dec 14, 2021, 9:11 PM IST

दुमकाः आदिवासी राज्य झारखंड में आदिम जनजाति पहाड़िया का हाल पूछने वाला कोई नहीं है. दुमका जिले के सदर प्रखंड के लेटो गांव में आदिम जनजाति पहाड़िया की दुख कथा लंबी फेहरिश्त है. लेटो गांव के पहाड़िया आवास, रोजगार से पानी और पेंशन तक की सुविधाओं से महरूम हैं. प्रदेश से केंद्र तक की सरकार आदिम जनजातियों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चला रहीं हैं, लेकिन योजनाएं इस जनजाति के लोगों तक नहीं पहुंच रही हैं.

ये भी पढ़ें-बुनियादी सुविधाओं से कोसों दूर है दुमका का यह गांव, जानवरों जैसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं लोग

विधवा पेंशन के लिए दो दशक से परेशान, व्यवस्था से उठ गया भरोसा

लेटो गांव की दिलीप देहरी की पत्नी रोजमेरी ने बताया कि मेरे पति की मृत्यु दो दशक पूर्व हो गई है. बाद में मुझे पता चला कि जिनके पति की मौत हो जाती है सरकार उन्हें विधवा पेंशन देती है और तब से मैं इसके लिए मुखिया से लेकर प्रखंड कार्यालय और कल्याण विभाग तक के चक्कर लगा रही हूं लेकिन आज तक विधवा पेंशन स्वीकृत नहीं हो सका. अभी कुछ दिन पहले मेरे भुरकुंडा पंचायत में सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में आयोजित हुआ. मैंने विधवा पेंशन के लिए आवेदन दिया है लेकिन इतने लंबे समय से मैं परेशान रही हूं कि अभी भी भरोसा नहीं हो रहा है कि पेंशन स्वीकृत हो जाएगा.

देखें पूरी खबर
गांव में पानी की समस्या

लेटो गांव की एक बड़ी समस्या पानी की है. लगभग एक किलोमीटर में फैले इस गांव में 4 चापाकल हैं. दो चापाकल लंबे समय से खराब हैं. दो ठीक हैं लेकिन उससे बहुत धीरे-धीरे पानी निकलता है. गांव के दूसरे छोर पर जिनका घर है उन्हें पानी के लिए परेशान होना पड़ता है. गांव की फूल कुमारी ने बताया कि पानी के लिए एक किलोमीटर की दूरी तय करते हैं तब पानी मिलता है.

People of Primitive Tribe Pahadia In Dumka are not getting facilities
पानी से पेंशन तक के लिए तरस रहे दुमका के पहाड़िया
गांव में गरीबी का डेरा, जरूरतमंदों को नहीं मिला है आवास

सदर प्रखंड कार्यालय लेटो गांव के सभी लोग अत्यंत गरीब हैं. दो-चार लोगों को हम छोड़ दें तो जरूरतमंदों को आज तक सरकारी आवास नहीं मिला. यहां के लोग टूटे-फूटे खपरैल या फिर फूस के मकान में रहते हैं. इसी में जाड़ा-गर्मी और बरसात का मौसम बिताते हैं. गांव की ही गुणकी देवी ने बताया कि कई बार आवास के लिए आवेदन दिया पर आज तक कुछ नहीं हुआ. हां एक-दो लोग आवास के नाम पर पांच सौ रुपये जरूर ठग कर ले गए.

People of Primitive Tribe Pahadia In Dumka are not getting facilities
पानी से पेंशन तक के लिए तरस रहे दुमका के पहाड़िया

ये भी पढ़ें-यहां न कोई कुंआ है न चापाकल, झरने के गंदे पानी को पीते हैं ग्रामीण

रोजगार के लिए पलायन

लेटो गांव में रोजगार का इंतजाम नहीं है. इस वजह से लोग पलायन के लिए मजबूर हैं. लेटो गांव की सुशीला देवी ने बताया कि उनके 5 पुत्र हैं. वर्तमान समय में 5 में से 4 पुत्र कमाने के लिए दूसरे प्रदेशों में गए हुए हैं. एक पुत्र श्रवण कुमार अभी घर पर है, वह कुछ माह पहले ही मुंबई से काम करके लौटा है. उन्होंने बताया कि क्या करें हमारे गांव में काम ही नहीं है तो खाएंगे क्या. सुशीला देवी ने कहा कि हमारे घर में एक राशन कार्ड है जिस पर 35 किलो अनाज मिलता है. सिर्फ 35 किलो अनाज से पूरा परिवार कैसे चलेगा.

People of Primitive Tribe Pahadia In Dumka are not getting facilities
पानी से पेंशन तक के लिए तरस रहे दुमका के पहाड़िया
क्या कहते हैं जिला कल्याण पदाधिकारी

लेटो गांव की समस्या के संबंध में ईटीवी भारत की टीम ने दुमका के जिला कल्याण पदाधिकारी अशोक प्रसाद से बात की. इन्हीं के पास विशिष्ट पहाड़िया कल्याण पदाधिकारी का भी प्रभार है. अशोक प्रसाद ने बताया कि इस गांव की समस्या अभी तक हमारे संज्ञान में नहीं थी, अब मामला संज्ञान में आ गया है तो बहुत जल्द खुद उस गांव में जाएंगे और ग्रामीणों की समस्याओं को सूचीबद्ध कर उसका समाधान करेंगे.

दुमकाः आदिवासी राज्य झारखंड में आदिम जनजाति पहाड़िया का हाल पूछने वाला कोई नहीं है. दुमका जिले के सदर प्रखंड के लेटो गांव में आदिम जनजाति पहाड़िया की दुख कथा लंबी फेहरिश्त है. लेटो गांव के पहाड़िया आवास, रोजगार से पानी और पेंशन तक की सुविधाओं से महरूम हैं. प्रदेश से केंद्र तक की सरकार आदिम जनजातियों के लिए कई कल्याणकारी योजनाएं चला रहीं हैं, लेकिन योजनाएं इस जनजाति के लोगों तक नहीं पहुंच रही हैं.

ये भी पढ़ें-बुनियादी सुविधाओं से कोसों दूर है दुमका का यह गांव, जानवरों जैसी जिंदगी जीने को मजबूर हैं लोग

विधवा पेंशन के लिए दो दशक से परेशान, व्यवस्था से उठ गया भरोसा

लेटो गांव की दिलीप देहरी की पत्नी रोजमेरी ने बताया कि मेरे पति की मृत्यु दो दशक पूर्व हो गई है. बाद में मुझे पता चला कि जिनके पति की मौत हो जाती है सरकार उन्हें विधवा पेंशन देती है और तब से मैं इसके लिए मुखिया से लेकर प्रखंड कार्यालय और कल्याण विभाग तक के चक्कर लगा रही हूं लेकिन आज तक विधवा पेंशन स्वीकृत नहीं हो सका. अभी कुछ दिन पहले मेरे भुरकुंडा पंचायत में सरकार आपके द्वार कार्यक्रम में आयोजित हुआ. मैंने विधवा पेंशन के लिए आवेदन दिया है लेकिन इतने लंबे समय से मैं परेशान रही हूं कि अभी भी भरोसा नहीं हो रहा है कि पेंशन स्वीकृत हो जाएगा.

देखें पूरी खबर
गांव में पानी की समस्या

लेटो गांव की एक बड़ी समस्या पानी की है. लगभग एक किलोमीटर में फैले इस गांव में 4 चापाकल हैं. दो चापाकल लंबे समय से खराब हैं. दो ठीक हैं लेकिन उससे बहुत धीरे-धीरे पानी निकलता है. गांव के दूसरे छोर पर जिनका घर है उन्हें पानी के लिए परेशान होना पड़ता है. गांव की फूल कुमारी ने बताया कि पानी के लिए एक किलोमीटर की दूरी तय करते हैं तब पानी मिलता है.

People of Primitive Tribe Pahadia In Dumka are not getting facilities
पानी से पेंशन तक के लिए तरस रहे दुमका के पहाड़िया
गांव में गरीबी का डेरा, जरूरतमंदों को नहीं मिला है आवास

सदर प्रखंड कार्यालय लेटो गांव के सभी लोग अत्यंत गरीब हैं. दो-चार लोगों को हम छोड़ दें तो जरूरतमंदों को आज तक सरकारी आवास नहीं मिला. यहां के लोग टूटे-फूटे खपरैल या फिर फूस के मकान में रहते हैं. इसी में जाड़ा-गर्मी और बरसात का मौसम बिताते हैं. गांव की ही गुणकी देवी ने बताया कि कई बार आवास के लिए आवेदन दिया पर आज तक कुछ नहीं हुआ. हां एक-दो लोग आवास के नाम पर पांच सौ रुपये जरूर ठग कर ले गए.

People of Primitive Tribe Pahadia In Dumka are not getting facilities
पानी से पेंशन तक के लिए तरस रहे दुमका के पहाड़िया

ये भी पढ़ें-यहां न कोई कुंआ है न चापाकल, झरने के गंदे पानी को पीते हैं ग्रामीण

रोजगार के लिए पलायन

लेटो गांव में रोजगार का इंतजाम नहीं है. इस वजह से लोग पलायन के लिए मजबूर हैं. लेटो गांव की सुशीला देवी ने बताया कि उनके 5 पुत्र हैं. वर्तमान समय में 5 में से 4 पुत्र कमाने के लिए दूसरे प्रदेशों में गए हुए हैं. एक पुत्र श्रवण कुमार अभी घर पर है, वह कुछ माह पहले ही मुंबई से काम करके लौटा है. उन्होंने बताया कि क्या करें हमारे गांव में काम ही नहीं है तो खाएंगे क्या. सुशीला देवी ने कहा कि हमारे घर में एक राशन कार्ड है जिस पर 35 किलो अनाज मिलता है. सिर्फ 35 किलो अनाज से पूरा परिवार कैसे चलेगा.

People of Primitive Tribe Pahadia In Dumka are not getting facilities
पानी से पेंशन तक के लिए तरस रहे दुमका के पहाड़िया
क्या कहते हैं जिला कल्याण पदाधिकारी

लेटो गांव की समस्या के संबंध में ईटीवी भारत की टीम ने दुमका के जिला कल्याण पदाधिकारी अशोक प्रसाद से बात की. इन्हीं के पास विशिष्ट पहाड़िया कल्याण पदाधिकारी का भी प्रभार है. अशोक प्रसाद ने बताया कि इस गांव की समस्या अभी तक हमारे संज्ञान में नहीं थी, अब मामला संज्ञान में आ गया है तो बहुत जल्द खुद उस गांव में जाएंगे और ग्रामीणों की समस्याओं को सूचीबद्ध कर उसका समाधान करेंगे.

Last Updated : Dec 14, 2021, 9:11 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.