दुमकाः किसान खेतों में बड़ी मात्रा में रासायनिक और कीटनाशन दवाओं का उपयोग करते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है. इसके बावजूद लोग रासायनिक खेती से उपजाये अनाज और सब्जियां खाने को मजबूर हैं. हालांकि, दुमका के एक दंपति ने केमिकल युक्त सब्जी से छुटकारा पाने को लेकर ठान लिया है और अपने घर के छत को किचन गार्डेन बना लिया है. इस किचन गार्डन में ऑर्गेनिक सब्जियां उगा कर रोजाना ताजी सब्जियों का सेवन कर रहे हैं. इसके साथ ही पड़ोसियों और रिश्तेदारों को भी बांट रहे हैं.
दुमका के रहने वाले डॉ. राजकुमार उपाध्याय पेशे से अधिवक्ता और उनकी पत्नी सुमिता सिंह शिक्षिका हैं. दोनों मिलकर पिछले एक साल से अपने छत को किचन गार्डन बनाने में जुटे थे. अब इस किचन गार्डन में कई तरह की सब्जियों का उत्पादन कर रहे हैं. राजकुमार के छत पर बैगन, टमाटर, कद्दू, बिंस, फूल गोभी, बंधा गोभी, मूली, खीरा, प्याज के साथ-साथ पालक साग, धनिया पत्ता, पुदीना की खेती कर रहे हैं. इतना ही नहीं, चीकू और अमरूद के पेड़ के साथ साथ स्ट्रॉबेरी भी लगाया है.
डॉ. राजकुमार उपाध्याय कहते हैं कि बाजार की सब्जियां केमिकल युक्त होती है. इसका दुष्प्रभाव लोगों के स्वास्थ्य पर पड़ रहा है. इस दुष्प्रभाव को देखते हुए हमने खुद अपने छत पर सब्जी उगाना शुरू किया. उन्होंने कहा कि ऑर्गेनिक खेती के जरिए अधिकतर सब्जी उगा रहे है. उन्होंने कहा कि मिट्टी में खाद के बदले वर्मी कंपोस्ट का इस्तेमाल करते हैं. कीटनाशक की जरूरत पड़ने पर नीम ऑयल डालते हैं. उन्होंने कहा कि बहुत ही आसानी से घर के छत पर खेती कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि पौधों की देखभाल करने के जरिए सुबह-शाम शरीर का एक्सरसाइज भी हो जाता है.
सुमिता सिंह कहती हैं कि पहले बाजार से बासी सब्जी खरीदने को मजबूर होते थे. अब घर के छत जाते है और मनचाही सब्जियां लेकर किचन में आ जाते हैं. उन्होंने कहा कि अभी काफी सब्जी उपज रहा है. इससे पड़ोसी और रिश्तेदारों को भी बांट रहे हैं. उन्होंने कहा कि अगर चाहत हो ते अपने घर के छत को ही खेत के रूप में विकसित कर खेती कर सकते हैं. इसके लिए ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं है.