दुमकाः दुमका की चार साल की बच्ची अब अपने माता-पिता के साथ कुवैत में रहेगी. बच्ची मोशिका को कुवैत में रहनेवाले निःसंतान पति-पत्नी ने अडोप्ट किया है. यह दंपत्ति मूल रूप से भारत के रहनेवाले हैं. बताते चलें कि दुमका के दत्तक ग्रहण संस्थान के द्वारा यह पहला इंटरकंट्री एडोप्शन है.
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उपायुक्त ने बच्ची को गोद देने का आदेश किया था पारितः बच्ची को गोद देने की प्रक्रिया दुमका के उपायुक्त रवि शंकर शुक्ला के प्रयासों से संभव हो पाया है. इस वर्ष चार मार्च 2023 को उपायुक्त रवि शंकर शुक्ला ने इस बच्ची को उसके प्रोस्पेक्टिव एडोप्टिव पैरेंट (पीएपी) को गोद देने का अंतिम आदेश पारित कर दिया था. जिसके बाद दत्तक ग्रहण संस्थान ( एसएए ) के द्वारा बच्ची को रांची ले जाकर उसका पासपोर्ट बनवाया गया. जिसके बाद श्रीअमड़ा गांव में संचालित दत्तक ग्रहण संस्थान (एसएए) में बाल कल्याण समिति के चेयरपर्सन डॉ अमरेन्द्र कुमार के साथ अन्य सदस्यों, जिला बाल संरक्षण पदाधिकारी प्रकाश चंद्र, दत्तक ग्रहण संस्थान के प्रभारी तारिक अनवर, सामाजिक कार्यकर्ता वहीदा खातून ने एनआरआई दंपत्ति के गोद में बच्ची को सौंप दिया.
निःसंतान थे दंपत्तिः जानकारी के अनुसार बच्ची को गोद लेने वाली महिला गोवा की रहने वाली है और उसका पति कन्नड़ मूल का है. दोनों ने लव मैरिज किया था. इसके बाद दोनों कुवैत में काम करने के लिए चले गए. दंपत्ति को कोई संतान नहीं है. जैसे ही बच्ची उनकी गोद में आयी पति-पत्नी दोनों की खुशी और उत्साह का ठिकाना नहीं रहा. गोद देने की प्रक्रिया के साथ ही बच्ची को नया नाम दिया गया. उसे गोद लेनेवाले माता-पिता से उसे वे सभी कानूनी अधिकार मिलेंगे जैसे किसी बच्चे को उसके जैविक माता-पिता से मिलते हैं.
आवश्यक प्रक्रिया की गई थी पूरीः हम आपको बता दें कि वर्ष 2018 से अब तक दुमका से यह 17वां एडोप्शन है. इस बच्ची को बाल कल्याण समिति दुमका के बेंच ऑफ मजिस्ट्रेट के द्वारा 06 अगस्त 2022 को एडोप्शन के लिए कानूनी रूप से मुक्त घोषित कर दिया गया था. कुवैत में रहनेवाले इस निःसंतान दंपत्ति ने वेबसाइट में एनआरआई के रूप में रजिस्ट्रेशन कराया था. वहीं प्रशासन की ओर से जांच और वांछित आवश्यक कागजात के साथ जरूरी प्रक्रिया को पूरा करते हुए बच्ची को दंपत्ति को सौंप दिया गया.