दुमका: उपराजधानी के बने लगभग दो दशक बित चुके हैं. यह संथाल परगना प्रमंडल का मुख्यालय भी है, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि आज तक यहां ठोस कचरा प्रबंधन की कोई सुदृढ व्यवस्था नहीं हुई है. इस वजह से शहर और आसपास का कचरा जहां-तहां डंप कर दिया जाता है. इससे लोगों को परेशानी हो रही है और वे इसके त्वरित समाधान की मांग कर रहे हैं.
क्या है पूरा मामला
झारखंड की उपराजधानी दुमका में कचरा प्रबंधन की उचित व्यवस्था नहीं है. इससे शहर और आसपास का कचरा जहां-तहां डंप होता है. लगभग 8 साल पहले नगर विकास विभाग की ओर से कचरा प्रबंधन की दिशा में कदम उठाए गया था. इसके लिए जिला प्रशासन को जमीन क्रय करने के लिए राशि भी भेजी गई थी, लेकिन 8 सालों में जिला प्रशासन की ओर से इसके लिए भूमि अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी. शहर में मुख्य रूप से एक जगह कूड़ा डंप होता है. वह इलाका अभी घनी आबादी क्षेत्र में आता है. बावजूद इसके वहां कचरा फेंका जाता है. जब हां के लोग इसका विरोध करते हैं तो कचरा शहर के अन्य इलाकों में डंप कर दिया जाता है. इससे गंदगी बढ़ रही है.
ये भी पढ़ें-मानव पर कोविड-19 के टीके के अंतिम चरण का परीक्षण, भारत में भी तैयारी पूरी
क्या कहते हैं लोग
ठोस कचरा प्रबंधन की उचित व्यवस्था नहीं होने से लोगों को मुश्किल का सामना करना पड़ रहा है, साथ ही यह विपक्षी दलों के लिए मुद्दा बन गया है. दुमका जिला भाजपा इकाई के अध्यक्ष निवास मंडल कहते हैं कि सरकार और जिला प्रशासन इस दिशा में गंभीर क्यों नहीं है. उनका कहना है कि अभी कोरोना महामारी फैली हुई है. इसमें जरूरी है शहर साफ सुथरा रहे, लेकिन अगर शहर के बीचो-बीच कचरा फेंका रहेगा, तो लोग साफ सुथरा कैसे रह सकते हैं. अन्य लोग भी सरकार से मांग कर रहे हैं कि इस पर अविलंब पहल की जाए.
क्या है उपायुक्त का कहना
इस संबंध में जब ईटीवी भारत की टीम ने दुमका उपायुक्त राजेश्वरी बी से बात की तो उन्होंने बताया कि अर्बन डेवलपमेंट डिपार्टमेंट से इसके लिए भूमि अधिग्रहण के लिए कहा गया है, जो प्रक्रियाधीन है. उनका कहना है कि जल्द ही सारी व्यवस्था मुकम्मल कर दी जाएगी. दुमका में ठोस कचरा प्रबंधन की व्यवस्था नहीं है यह चिंता की बात है. खासतौर पर कोरोना ने यह सीखा दिया है कि हमें साफ-सुथरा रहना है. आसपास का वातावरण भी बेहतर होनी चाहिए. ऐसे में सरकार को अविलंब इस पर ध्यान देना चाहिए.