दुमका: जिला के मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आग से झुलसे मरीजों के लिए इलाज की उचित व्यवस्था नहीं है. यहां आम मरीजों के साथ ही जले हुए मरीजों को भी रखा जाता है, जिससे उनमें संक्रमण की संभावना काफी बढ़ जाती है. मरीजों के इलाज की व्यवस्था नहीं होने के कारण उन्हें किसी दूसरे अस्पताल में रेफर कर दिया जाता है.
दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पिछले तीन महीने में लगभग 15 मरीज आग से झुलसे हुए आए हैं, लेकिन इलाज की उचित व्यवस्था नहीं होने के कारण उनकी मौत हो गई है.
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इलाज में बरती जा रही है लापरवाही
स्थानीय लोगों का कहना है कि दुमका मेडिकल कॉलेज अस्पताल में मरीजों के इलाज में लापरवाही बरती जा रही है. आम मरीजों के साथ आग से झुलसे मरीजों को रखा जाता है, जिससे मरीजों को काफी परेशानी होती है. स्थानीय लोगों की मांग है कि स्वास्थ्य विभाग को इस इस अस्पताल पर ध्यान देना चाहिए, जिससे व्यवस्था दुरुस्त हो सके.
बर्न यूनिट अब तक नहीं हुआ चालू
डीएमसीएच परिसर में 2 साल पहले बर्न यूनिट लाखों की लागत से बनाया गया था, कीमती उपकरण लगाए गए, लेकिन आज तक यह चालू नहीं हुआ. यहां की मशीन बिना इस्तेमाल किए ही खराब हो रही है. स्थानीय लोगों का कहना है कि सरकार को इसे जल्द से जल्द शुरू करना चाहिए, ताकि जले हुए मरीजों को सही इलाज मिल सके.
क्या कहते हैं डीएमसीएच के सुपरिटेंडेंट
इस संबंध में जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने डीएमसीएच के सुपरिटेंडेंट डॉ रविंद्र कुमार से बात की, तो उन्होंने भी माना कि आम मरीजों के साथ जले मरीजों को रखना सही नहीं है. उनका कहना है कि यहां जले हुए मरीजों के लिए अलग से कोई व्यवस्था ही नहीं है. ईटीवी भारत से उन्होंने कहा कि बर्न पेसेंट के लिए प्लास्टिक सर्जन की जरूरत है, जो हमारे पास नहीं है, यूनिट शुरु होने के सवाल पर उन्होंने आश्वासन दिया कि दो-तीन महीने में इसे चालू कर दिया जाएगा.