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दुमका: धूल फांक रहा 4 साल पहले बना साइबर थाना, अब तक नहीं है FIR दर्ज करने की सुविधा

दुमका में साइबर अपराध में लगातार बढ़ोतरी हो रही है. जिले में साइबर अपराध पर लगाम लगाने के लिए साइबर थाना भी बनाया गया है, लेकिन उस थाने में अब तक एफआईआर दर्ज नहीं होती हैं. साइबर थाना को सरकार की ओर से नोटिफाइड नहीं किया गया है. इससे थाना में एफआईआर दर्ज नहीं की जाती हैं.

FIR register facility not available in Dumka Cyber Police Station
साइबर अपराध में बढ़ोतरी
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Published : Jun 27, 2020, 2:18 AM IST

दुमका: जिले में पिछले कुछ सालों से साइबर क्राइम के मामलों में इजाफा हुआ है. आमलोगों के साथ-साथ खास लोगों को भी गुमराह कर साइबर क्रिमिनल उन्हें अपना शिकार बना रहे हैं. हालांकि इस मामले में पुलिस को सफलता भी मिली है. कुछ अपराधियों ने पुलिस ने गिरफ्तार किया है. दुमका में 2016 से ही साइबर अपराध के मामले सामने आ रहे हैं. इसे देखते हुए लगभग 4 साल पहले दुमका में साइबर थाना खोला गया, लेकिन अब तक सरकार ने इसे नोटिफाइड नहीं किया है.

देखें स्पेशल स्टोरी

साइबर थाना नोटिफाइड नहीं होने के कारण एफआईआर दर्ज नहीं होती हैं. जिले के आम थानों में ही साइबर क्राइम के मामले दर्ज होते हैं, बाद में सिर्फ अनुसंधान के लिए साइबर थाना भेजा जाता है, जो भी कार्रवाई यहां से होती है उसकी सारी सूचना और फाइलें संबंधित थाने को पहुंचाई जाती है. इसकी डायरी भी संबंधित थाना के ओर से ही कोर्ट को जाती है. साइबर क्राइम के मामले में साइबर थाना आम थानों के पिछलग्गू की तरह काम कर रहा है.

साइबर डीएसपी की भी है पोस्टिंग
इस साइबर थाना को संचालित करने के लिए सरकार ने साइबर डीएसपी की पोस्टिंग भी की है. श्रीराम समद यहां साइबर डीएसपी हैं, लेकिन कार्रवाई के मामले में वो जिले के आम थानों पर ही निर्भर रहते हैं.

इस पूरे मामले पर जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने दुमका के साइबर डीएसपी श्रीराम समद से बात की तो उन्होंने बताया कि सरकार ने साइबर थाना को नोटिफायड नहीं किया है, इस कारण से दुमका के साइबर थाना में केस दर्ज नहीं होता, जबकि संथाल परगना में दो और साइबर थाना हैं देवघर और जामताड़ा, दोनों में एफआईआर दर्ज होने की व्यवस्था है. उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार से पत्राचार किया जा रहा है, अगर नोटिफाइड हो जाता है तो मामला यहीं दर्ज होगा और काम करने के लिए हैंड भी मिलेगा.

इसे भी पढे़ं:- दुमका: भुरभुरी पुल क्षतिग्रस्त होने से लोग परेशान, 250 करोड़ की लागत से बनी सड़क हुई बेकार


साइबर अपराध से संबंधित कुछ आंकड़ों पर नजर
दुमका जिले में अब तक साइबर अपराध के 66 मामले थाने में दर्ज हुए हैं.

  • 2016 - 3 केस दर्ज
  • 2017- 13 केस दर्ज
  • 2018 - 19 केस दर्ज
  • 2019 - 13 केस दर्ज
  • 2020 जून तक - 18 केस दर्ज

साइबर अपराध के कुछ अन्य आंकड़े
अब तक कुल गिरफ्तारी 44
कुल जब्त रुपये - 5 लाख 75 हजार
17 मोबाइल, 70 सिम कार्ड, 23 एटीएम कार्ड, 17 बैंक पासबुक और तीन बाइक बरामद की गई हैं.


साइबर थाना होने के बावजूद एफआईआर दर्ज नहीं होने को लेकर स्थानीय लोगों का कहना है कि दुमका में साइबर अपराध के मामले काफी बढ़े हैं, लेकिन यह काफी आश्चर्य का विषय है कि इस थाने में एफआईआर दर्ज नहीं होती है. उनका कहना है कि अगर साइबर के मामले यहां दर्ज होंगे तो अनुसंधान में सहूलियत होगी, जिससे इस अपराध पर अंकुश लगाने में काफी मदद मिलेगी.

थाने में अगर एफआईआर दर्ज होने की व्यवस्था न होने से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. दुमका जिले में लगातार साइबर अपराध के मामले बढ़ रहे हैं. ऐसे में सरकार अगर दुमका के साइबर थाने को नोटिफाइड करती है तो साइबर अपराध के बढ़ते मामले पर जल्द से जल्द अंकुश लगने की उम्मीद है.

दुमका: जिले में पिछले कुछ सालों से साइबर क्राइम के मामलों में इजाफा हुआ है. आमलोगों के साथ-साथ खास लोगों को भी गुमराह कर साइबर क्रिमिनल उन्हें अपना शिकार बना रहे हैं. हालांकि इस मामले में पुलिस को सफलता भी मिली है. कुछ अपराधियों ने पुलिस ने गिरफ्तार किया है. दुमका में 2016 से ही साइबर अपराध के मामले सामने आ रहे हैं. इसे देखते हुए लगभग 4 साल पहले दुमका में साइबर थाना खोला गया, लेकिन अब तक सरकार ने इसे नोटिफाइड नहीं किया है.

देखें स्पेशल स्टोरी

साइबर थाना नोटिफाइड नहीं होने के कारण एफआईआर दर्ज नहीं होती हैं. जिले के आम थानों में ही साइबर क्राइम के मामले दर्ज होते हैं, बाद में सिर्फ अनुसंधान के लिए साइबर थाना भेजा जाता है, जो भी कार्रवाई यहां से होती है उसकी सारी सूचना और फाइलें संबंधित थाने को पहुंचाई जाती है. इसकी डायरी भी संबंधित थाना के ओर से ही कोर्ट को जाती है. साइबर क्राइम के मामले में साइबर थाना आम थानों के पिछलग्गू की तरह काम कर रहा है.

साइबर डीएसपी की भी है पोस्टिंग
इस साइबर थाना को संचालित करने के लिए सरकार ने साइबर डीएसपी की पोस्टिंग भी की है. श्रीराम समद यहां साइबर डीएसपी हैं, लेकिन कार्रवाई के मामले में वो जिले के आम थानों पर ही निर्भर रहते हैं.

इस पूरे मामले पर जब ईटीवी भारत के संवाददाता ने दुमका के साइबर डीएसपी श्रीराम समद से बात की तो उन्होंने बताया कि सरकार ने साइबर थाना को नोटिफायड नहीं किया है, इस कारण से दुमका के साइबर थाना में केस दर्ज नहीं होता, जबकि संथाल परगना में दो और साइबर थाना हैं देवघर और जामताड़ा, दोनों में एफआईआर दर्ज होने की व्यवस्था है. उन्होंने कहा कि इसके लिए सरकार से पत्राचार किया जा रहा है, अगर नोटिफाइड हो जाता है तो मामला यहीं दर्ज होगा और काम करने के लिए हैंड भी मिलेगा.

इसे भी पढे़ं:- दुमका: भुरभुरी पुल क्षतिग्रस्त होने से लोग परेशान, 250 करोड़ की लागत से बनी सड़क हुई बेकार


साइबर अपराध से संबंधित कुछ आंकड़ों पर नजर
दुमका जिले में अब तक साइबर अपराध के 66 मामले थाने में दर्ज हुए हैं.

  • 2016 - 3 केस दर्ज
  • 2017- 13 केस दर्ज
  • 2018 - 19 केस दर्ज
  • 2019 - 13 केस दर्ज
  • 2020 जून तक - 18 केस दर्ज

साइबर अपराध के कुछ अन्य आंकड़े
अब तक कुल गिरफ्तारी 44
कुल जब्त रुपये - 5 लाख 75 हजार
17 मोबाइल, 70 सिम कार्ड, 23 एटीएम कार्ड, 17 बैंक पासबुक और तीन बाइक बरामद की गई हैं.


साइबर थाना होने के बावजूद एफआईआर दर्ज नहीं होने को लेकर स्थानीय लोगों का कहना है कि दुमका में साइबर अपराध के मामले काफी बढ़े हैं, लेकिन यह काफी आश्चर्य का विषय है कि इस थाने में एफआईआर दर्ज नहीं होती है. उनका कहना है कि अगर साइबर के मामले यहां दर्ज होंगे तो अनुसंधान में सहूलियत होगी, जिससे इस अपराध पर अंकुश लगाने में काफी मदद मिलेगी.

थाने में अगर एफआईआर दर्ज होने की व्यवस्था न होने से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है. दुमका जिले में लगातार साइबर अपराध के मामले बढ़ रहे हैं. ऐसे में सरकार अगर दुमका के साइबर थाने को नोटिफाइड करती है तो साइबर अपराध के बढ़ते मामले पर जल्द से जल्द अंकुश लगने की उम्मीद है.

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