दुमका: दुमका शहरी जलापूर्ति वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में लापरवाही बरती जा रही है. वाटर ट्रीटमेंट प्लांट में किसी भी दिन बड़ा हादसा हो सकता है. दरअसल, यह वाटर ट्रीटमेंट प्लांट सदर प्रखंड के कुरुवा गांव में है. यहां लापरवाही का आलम यह है कि यह वाटर ट्रीटमेंट प्लांट चारों तरफ से खुला. इसके चारों तरफ बाउंड्री वॉल आज तक नहीं बनाया गया. हालांकि तारबंदी जरूर की गई थी जो काफी पहले क्षतिग्रस्त हो गई. यही नहीं तार के टूटने के बाद चोर तार को उठा ले गए. किसी भी तरह की घेराबंद नहीं होने से कोई भी व्यक्ति आसानी से इस प्लांट के अंदर आ जा सकता है.
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क्या कहते हैं लोग: इस वाटर प्लांट से शहर के हजारों लोगों को पानी सप्लाई की जाती है. ऐसे में जब यह असुरक्षित है तो स्थानीय लोग भी चिंतित नजर आते हैं. उनका कहना है कि कोई भी असामाजिक तत्व कभी भी इसके जल को दूषित कर बड़ी हानि पहुंचा सकता है. ऐसे में सरकार और दुमका जिला प्रशासन (Dumka District Administration) को इस पर ध्यान देना चाहिए और सुरक्षा की मुकम्मल व्यवस्था करनी चाहिए.
क्या कहता है प्रबंधन: दुमका शहरी जलापूर्ति के वाटर सप्लाई करने वाला प्रबंधन भी डरा-सहमा नजर आता है. प्रबंधन का कहना है कि यह प्लांट चारों तरफ से खुला है. आसपास के ग्रामीण अक्सर ट्रीटमेंट प्लांट के अंदर आते हैं और यहां आकर स्नान करते हैं कपड़े धोते हैं. मना करने पर वे कर्मचारियों से ही उलझ जाते हैं. उन्होंने कहा कि आवश्यक कार्रवाई के लिए प्रशासन के साथ विधायक और सांसद तक भी बातें पहुंचाई गई हैं लेकिन अभी तक किसी ने इस ओर ध्यान नहीं दिया.
वाटर सप्लाई करने वाले प्रबंधन ने यह भी बताया कि सप्लाई के लिए पानी को साफ करने के लिए जिन मशीनों का उपयोग होता है वे मशीनें करीब 12 साल पुरानी हैं. अब इन मशीनों के कलपुर्जे पुराने हो रहे हैं और उन्हें बदलने की जरूरत है ताकि निर्बाध रूप से लोगों को पेयजल उपलब्ध कराया जा सके. उन्होंने यह भी बताया कि जिस टैंक से पानी की सप्लाई होती है उस टैंक में लगभग 5 फीट गाद जम गया है उसे भी साफ कराने के लिए विभाग कोई कदम नहीं उठा रहा है. प्रबंधन इस बात से भी चिंतित है कि अगर कोई असामाजिक तत्व या विकृत मानसिकता वाला शख्स इस प्लांट के पानी के साथ छेड़छाड़ कर देता है तो कोई भी अनहोनी हो सकती है.
आवश्यक कार्रवाई की जरूरत: जिस वाटर प्लांट से हजारों लोगों को पेयजल उपलब्ध हो रहा है, वहां कई कमियां है. ऐसे में दुमका जिला प्रशासन, पेयजल विभाग और नगर परिषद को इस पर संज्ञान लेते हुए आवश्यक कार्रवाई करने की आवश्यकता है.