दुमका: नाबालिग लड़कियों के साथ हाल के दिनों में हुई दरिंदगी के मामले की जांच के लिए राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग की टीम सोमवार को दुमका पहुंची. टीम के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने अब तक पुलिस के द्वारा जो जांच की गई है उस पर असंतोष जताया है. उन्होंने कहा कि कई बिंदुओं पर अब तक जांच की ही नहीं गई है. लगातार इस तरह की घटना एक बड़े साजिश की ओर इशारा कर रही है. हो सकता है कि पूरी योजनाबद्ध तरीके से इस तरह के काम को अंजाम दिया जा रहा हो और इसमें कोई बड़ी शक्ति काम कर रही हो, लेकिन इस मामले की जांच करने में दुमका की पुलिस अक्षम साबित हुई है. उन्होंने कहा कि मैं इसकी जांच के लिए उच्चस्तरीय एजेंसी को अनुशंसा करूंगा.
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कई बिंदुओं पर नहीं हुई है जांच: आयोग के अध्यक्ष ने कहा कि पेट्रोल कांड में कई बिंदुओं पर जांच हुई ही नहीं है. जो आरोपी हैं उसका रूट क्या था, इसका उल्लेख नहीं किया गया है. इसके साथ ही घर के सभी सदस्यों के बयान तक नहीं लिए गए हैं. पीड़िता के सोशल मीडिया अकाउंट पर भी किसी तरह की जांच नहीं हुई है. वहीं जिस आदिवासी लड़की को मार कर पेड़ से टांग दिया गया उस मामले में आरोपी अरमान की माताजी भी संदेह के घेरे में हैं. जिस पर पुलिस ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है. मैंने पुलिस को निर्देश दिया है कि अरमान की माता से पूछताछ करें.
पीड़िता के परिजनों से मुलाकात का था कार्यक्रम: राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो के नेतृत्व में टीम सबसे पहले पेट्रोल कांड से पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे और घटना की जानकारी ली. उसके बाद रानीश्वर के उस गांव पहुंची जहां की नाबालिग आदिवासी युवती को मार कर पेड़ पर लटका दिया गया था, लेकिन वहां पीड़ित परिवार से उनकी मुलाकात नहीं हुई. जिस पर उन्होंने नाराजगी जताई. उन्होंने कहा जब पूर्व से ही कार्यक्रम निर्धारित था और यह कहा गया था कि दोनों ही परिवार से मिलना है तो फिर जिला प्रशासन उसके परिजनों से क्यों नहीं मिला पाया. वहां से वापस लौट कर परिसदन में अधिकारियों से भी घटना की जानकारी ली. अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने स्पष्ट कहा कि दोनों ही मामलों की जांच करने में जिला प्रशासन अक्षम साबित हो रहा है, इसलिए इन दोनों मामलों की उच्च स्तरीय जांच की अनुशंसा करेंगे.