दुमकाः लगभग 66 लाख का कर्ज चुकाने के दबाव में 24 वर्षीय युवक टीपू आलम ने आत्महत्या कर ली. घटना दुमका जिले के टोंगरा थाना के वृंदावनी गांव की है. घटना की खबर मिलने पर टोंगरा थाना की पुलिस मौके पर पहुंची तो युवक के द्वारा छोड़े गए सुसाइड नोट को जब्त किया. शव को थाना ले जाने की तैयारी की जा रही थी कि परिजन और स्थानीय लोग आक्रोशित हो गए और पुलिस को घेर लिया. ग्रामीणों का कहना था कि जब तक सुसाइड नोट में युवक द्वारा लिखे गए बातों को सार्वजनिक कर पढ़कर सुनाया नहीं जाएगा , तब तक शव को ले जाने नहीं दिया जाएगा. इधर पुलिस सुसाइड नोट को घटनास्थल पर दिखाना नहीं चाहती थी । इससे ग्रामीण भड़क उठे और काफी देर तक पुलिस और ग्रामीणों के बीच बकझक होती रही.
क्या है पूरा मामलाः दरअसल टीपू आलम एक मेट (मजदूरों को काम के लिए बाहर भेजने वाला) का काम करता था. इसी बीच उसके संपर्क में बगल के माणिकडीह गांव का गुलजार अंसारी आया. गुलजार ने टीपू के साथ काम करने की इच्छा जताई तो टीपू ने कहा इसके लिए पूंजी लगानी पड़ेगी. धीरे-धीरे गुलजार ने टीपू को लगभग 66 लाख रुपए लेबर सप्लाई के बिजनेस के लिए दे दिए. इधर कुछ दिन बीत जाने के बाद गुलजार जब टीपू से हिसाब मांगने लगा तो वह आनाकानी करने लगा तो गुलजार अपने रुपये वापस करने को कहा तो टीपू ने ध्यान नहीं दिया.
गुलजार ने टीपू के खिलाफ टोंगरा थाने में की शिकायतः अपना 66 लाख रुपया नहीं मिलता देख गुलजार ने कुछ दिन पूर्व टीपू के खिलाफ टोंगरा थाने में लिखित शिकायत की. पुलिस ने टोंगरा थाना में टीपू और उनके पिता को बुला कर दोनों पक्षों के बीच समझौता करवाया. जानकारी के अनुसार रुपये लौटाने के लिए 10 जनवरी और 11 जनवरी को तारीख निर्धारित की गई थी पर टीपू आलम रुपए नहीं लौटा सका और गुरुवार की देर शाम उसने आत्महत्या कर ली.
शव कब्जे में लेने गई पुलिस को काफी देर ग्रामीणों ने रोक रखाः इधर घटना की जानकारी प्राप्त होने पर टोंगरा थाना की पुलिस घटनास्थल पर पहुंची तो उसे वहां एक सुसाइड नोट बरामद हुआ. ग्रामीणों ने जब उस सुसाइड नोट को देखा तो इस बात पर अड़ गए कि नोट को पढ़ कर सुनाया जाए पर पुलिस इसके लिए तैयार नहीं थी. पुलिस और ग्रामीणों के इस टकराहट की जानकारी जब जिला मुख्यालय को हुई तब एसडीपीओ नूर मुस्तफा अगल-बगल के थाना प्रभारी को लेकर वृंदावनी गांव पहुंचेय उन्होंने भी ग्रामीणों को समझने का प्रयास किया पर वह सुसाइड नोट को सार्वजनिक करने की मांग पर टस से मस नहीं हुए. एसडीपीओ का कहना है कि पुलिस इस वजह से सुसाइड नोट पढ़कर नहीं सुनाना चाह रही थी कि अगर किसी ग्रामीण का नाम उसमें लिखा हो तो माहौल बिगड़ जाएगा. आक्रोशित लोग उस व्यक्ति को नुकसान न पहुंचा दे.
आख़िरकार पुलिस ने सुसाइड नोट किया सार्वजनिकः लोगों के विरोध को देखते हुए टोंगरा थाना प्रभारी राजेश कुमार ने सुसाइड नोट में लिखे गए सभी शब्दों को पढ़कर सुना दिया. यह सुनने के बाद ही ग्रामीण शांत हुए और पुलिस और शव को जाने दिया गया. अपने सुसाइड नोट में टीपू ने लिखा था कि वह मजदूरों को लेकर दिल्ली गया था, जहां वह अपराधियों के चंगुल में फंस गया और उसे अगवा कर लिया गया. अगवा कर उसके खाते से सभी रुपए को अपराधियों ने निकलवा लिये. वह खाली हाथ घर लौट आया. इधर घर पर आकर सहयोगी गुलजार जिसने 66 लाख रुपये दिये वह दबाव बनाने लगा था. वह इस रकम को देने में असमर्थ था, जिससे वह काफी चिंतित रहने लगा था. इधर मामला थाना भी पहुंच गया और रुपए का जुगाड़ नहीं होने पर टीपू आलम गुरुवार की देर शाम खुदकुशी कर ली.
क्या कहते हैं एसडीपीओः इस पूरे मामले पर दुमका एसडीपीओ नूर मुस्तफा जो घटनास्थल पर गए थे, उन्होंने कहा कि गुलजार ने टीपू को जो लगभग 66 लाख रुपए दिए थे उस लेनदेन से संबंधित कागजात गुलजार के पास था. ऐसे में पुलिस ने अपना कर्तव्य निभाते हुए टीपू को बुलवाया और रुपए लौटाने को कहा. जिसमें टीपू ने रुपए किश्त में लौटाने की बात कही थी. 10 और 11 जनवरी को भी रुपए लौटाने की तिथि थी पर वह नहीं लौटाया. गुरूवार शाम में सूचना मिली कि टीपू आलम ने आत्महत्या कर ली है एसडीपीओ ने कहा कि हमलोगों ने डेड बॉडी को अपने कब्जे में ले लिया है.
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