दुमका: झारखंड की उपराजधानी दुमका में स्वास्थ्य सेवाएं उपेक्षित हैं. यहां मातृ शिशु अस्पताल तो 10 साल पहले ही बना दिया गया लेकिन आज तक इसका उद्धघाटन नहीं सका है.
दस साल पहले तीन करोड़ की लागत से इस अस्पताल को मरीजों की सुविधाओं के लिए तैयार किया गया था, लोगों को इस अस्पताल से कई उन्मीदें थी. लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण यह शुरू नहीं हो सका.
महिलाओं के गर्भधारण के बाद उसकी समुचित जांच और नवजात के पूर्ण देखभाल के लिए इस अस्पताल का निर्माण शहर के बीचों-बीच करवाया गया था. ताकि मरीजों को इलाज के लिए जहां-तहां भटकना ना पड़े. लेकिन लापरवाही का आलम ये कि अस्पताल बन जाने के बाद भी मरीज इलाज के लिए भटक रहे हैं.
क्या कहते हैं स्थानीय
इस अस्पताल के नहीं खुलने से स्थानीय लोगों में नाराजगी है, उनका कहना है कि यह चालू होता तो बहुत उपयोगी साबित होता, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण यह चालू नहीं हो सका.
क्या कहते हैं सिविल सर्जन
इस संबंध में जब दुमका के सिविल सर्जन डॉ. एके झा से सवाल पूछा गया तो उन्होंने बताया कि इस अस्पताल का निर्माण गर्भवती, प्रसूति महिलाओं और नवजात की सुविधाओं के लिए बनवाया गया था, लेकिन डॉक्टर और कर्मियों के अभाव में इसे चालू नहीं किया जा सका.
शरह के बीचों-बीच बनाए गए अस्पतालों के चालू नहीं होने से स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही साफ नजर आ रही है. स्थानीय लापरवाही के लिए स्वास्थ्य विभाग को जिम्मेदार मानते हैं.