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स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही, 10 साल पहले बना अस्पताल लेकिन नहीं हो सका उद्घाटन

दुमका में स्वास्थ्य सेवाओं का क्या है इसका एक जीता-जागता प्रमाण है मातृ शिशु अस्पताल. दस साल पहले तीन करोड़ की लागत से इस अस्पताल को मरीजों की सुविधाओं के लिए तैयार किया गया था. लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण यह अस्पताल अब तक शुरू नहीं हो सका है.

बदहाल अस्पताल
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Published : Apr 8, 2019, 7:45 PM IST

Updated : Apr 9, 2019, 10:55 AM IST

दुमका: झारखंड की उपराजधानी दुमका में स्वास्थ्य सेवाएं उपेक्षित हैं. यहां मातृ शिशु अस्पताल तो 10 साल पहले ही बना दिया गया लेकिन आज तक इसका उद्धघाटन नहीं सका है.

बदहाल अस्पताल


दस साल पहले तीन करोड़ की लागत से इस अस्पताल को मरीजों की सुविधाओं के लिए तैयार किया गया था, लोगों को इस अस्पताल से कई उन्मीदें थी. लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण यह शुरू नहीं हो सका.

महिलाओं के गर्भधारण के बाद उसकी समुचित जांच और नवजात के पूर्ण देखभाल के लिए इस अस्पताल का निर्माण शहर के बीचों-बीच करवाया गया था. ताकि मरीजों को इलाज के लिए जहां-तहां भटकना ना पड़े. लेकिन लापरवाही का आलम ये कि अस्पताल बन जाने के बाद भी मरीज इलाज के लिए भटक रहे हैं.

क्या कहते हैं स्थानीय
इस अस्पताल के नहीं खुलने से स्थानीय लोगों में नाराजगी है, उनका कहना है कि यह चालू होता तो बहुत उपयोगी साबित होता, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण यह चालू नहीं हो सका.

क्या कहते हैं सिविल सर्जन
इस संबंध में जब दुमका के सिविल सर्जन डॉ. एके झा से सवाल पूछा गया तो उन्होंने बताया कि इस अस्पताल का निर्माण गर्भवती, प्रसूति महिलाओं और नवजात की सुविधाओं के लिए बनवाया गया था, लेकिन डॉक्टर और कर्मियों के अभाव में इसे चालू नहीं किया जा सका.

शरह के बीचों-बीच बनाए गए अस्पतालों के चालू नहीं होने से स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही साफ नजर आ रही है. स्थानीय लापरवाही के लिए स्वास्थ्य विभाग को जिम्मेदार मानते हैं.

दुमका: झारखंड की उपराजधानी दुमका में स्वास्थ्य सेवाएं उपेक्षित हैं. यहां मातृ शिशु अस्पताल तो 10 साल पहले ही बना दिया गया लेकिन आज तक इसका उद्धघाटन नहीं सका है.

बदहाल अस्पताल


दस साल पहले तीन करोड़ की लागत से इस अस्पताल को मरीजों की सुविधाओं के लिए तैयार किया गया था, लोगों को इस अस्पताल से कई उन्मीदें थी. लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण यह शुरू नहीं हो सका.

महिलाओं के गर्भधारण के बाद उसकी समुचित जांच और नवजात के पूर्ण देखभाल के लिए इस अस्पताल का निर्माण शहर के बीचों-बीच करवाया गया था. ताकि मरीजों को इलाज के लिए जहां-तहां भटकना ना पड़े. लेकिन लापरवाही का आलम ये कि अस्पताल बन जाने के बाद भी मरीज इलाज के लिए भटक रहे हैं.

क्या कहते हैं स्थानीय
इस अस्पताल के नहीं खुलने से स्थानीय लोगों में नाराजगी है, उनका कहना है कि यह चालू होता तो बहुत उपयोगी साबित होता, लेकिन स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही के कारण यह चालू नहीं हो सका.

क्या कहते हैं सिविल सर्जन
इस संबंध में जब दुमका के सिविल सर्जन डॉ. एके झा से सवाल पूछा गया तो उन्होंने बताया कि इस अस्पताल का निर्माण गर्भवती, प्रसूति महिलाओं और नवजात की सुविधाओं के लिए बनवाया गया था, लेकिन डॉक्टर और कर्मियों के अभाव में इसे चालू नहीं किया जा सका.

शरह के बीचों-बीच बनाए गए अस्पतालों के चालू नहीं होने से स्वास्थ्य विभाग की लापरवाही साफ नजर आ रही है. स्थानीय लापरवाही के लिए स्वास्थ्य विभाग को जिम्मेदार मानते हैं.

Intro:दुमका - झारखंड की उपराजधानी दुमका को किस कदर उपेक्षित रखा गया इसका एक जीता - जागता प्रमाण एक तीन करोड़ रुपये की लागत से निर्मित अस्पताल को देख कर लगाया जा सकता है । दस साल पहले बना मातृ शिशु अस्पताल भवन आज भी उद्धघाटन की बाट जोह रहा है । दुमका से मनोज की खास रिपोर्ट ।


Body:शहर के बीचो बीच तीन करोड़ की लागत से हुआ था निर्माण ।
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महिलाओं के गर्भधारण के बाद उसकी समुचित जांच फिर प्रसव और उसके बाद प्रसूति महिला और नवजात के पूर्ण देखभाल के लिए एक तीस शय्या का अस्पताल दुमका शहर के बीचोबीच बस पड़ाव के सामने निर्माण कराया गया । दस वर्ष पहले बने इस अस्पताल के निर्माण में 3 करोड़ की भारी भरकम राशि खर्च हुई । शहर के बस पड़ाव के सामने खोलने का उद्देश्य था कोई भी आसानी से यहाँ तक पहुंच सके । सरकारी स्तर पर हुई घोर लापरवाही का अंदाजा आप इसी से लगा सकते हैं कि आज तक यह चालू नहीं हुआ ।

क्या कहते हैं स्थानीय लोग ।
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इस अस्पताल के नहीं खुलने से स्थानीय लोगों में नाराजगी है । उनका कहना है कि यह चालू होता तो बहुत उपयोग साबित होता । लेकिन दुर्भाग्य है कि स्वास्थ्य विभाग ने गम्भीरता नहीं दिखाई ।

बाईट - अमरेन्द्र कुमार , स्थानीय लोग


Conclusion:क्या कहते हैं सिविल सर्जन ।
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इस संबंध में जब हमने दुमका के सिविल सर्जन DR.A . K . JHA से बात की तो उन्होंने बताया कि गर्भवती , प्रसूति महिलाओं और नवजात को जिस सुविधा के लिए वह अस्पताल निर्मित हुआ उसे हम डॉक्टर और कर्मियों के अभाव में शुरू नहीं कर पाए हैं । हमलीग ये सारी व्यवस्था दुमका के सदर अस्पताल में दे रहे हैं ।

बाईट - DR.A . K . JHA , सिविल सर्जन दुमका

फाईनल वीओ -
अब बड़ा सवाल यह है कि सिविल सर्जन जो कह रहे हैं कि हम इस अस्पताल में मिलने वाली सारी सुविधा अपने सदर अस्पताल में दे रहे हैं तो यह माताओं और नवजात के लिए अलग से अस्पताल बनाने की क्या जरूरत थी । क्यों इस पर भारी राशि खर्च हुई । बीच बाजार का कीमती भूमि का उपयोग हुआ । सरकार या विभाग इस तरह के दलील अपने जिम्मेदारी से पल्ला नही झाड़ सकते ।

पीटीसी- मनोज दुमका
Last Updated : Apr 9, 2019, 10:55 AM IST
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