दुमकाः जिले में आयोजित दस दिवसीय सरस मेले में भारत के कई राज्य जैसे ओडिशा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, बिहार, कर्नाटक, तमिलनाडु के हस्तशिल्प कलाकार और उद्यमी अपने अपने उत्पाद को लेकर पहुंचे हैं. इसके साथ ही झारखंड के लगभग सभी जिले के सखी मंडल और स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने भी अपने प्रोडक्ट को बिक्री के लिए लगाया है. इस मेले में आए इन सभी को यह उम्मीद है कि हमारा मार्केट अच्छा होगा. हमें बेहतर आमदनी होगी(Handicraft artists expect better income in Saras Mela of Dumka).
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तरह तरह के सामानों की हो रही है बिक्रीः दुमका के पलास सरस मेले में सूती, खादी, सिल्क के कपड़े, लोहे - पीतल के बर्तन, बांस से बने घरेलू इस्तेमाल और अन्य कई तरह के सामान, सजावट के सामान, श्रृंगार प्रसाधन खाने-पीने की वस्तुएं, लकड़ी - बेंत के फर्नीचर, कालीन सब कुछ बिक रहा है. इसके साथ ही कई रेस्टोरेंट द्वारा भी फूड कोर्ट लगाया गया है. कुल मिलाकर लोग जिस उम्मीद के साथ मेला जाते हैं वो सारा सामान यहां मौजूद है.
शिल्पियों और उद्यमियों को उम्मीद हमारा मार्केट होगा बेहतरः जेएसएलपीएस के द्वारा लगाए गए इस सरस मेले में भारत के कई राज्यों के हस्तशिल्पी और अन्य कलाकार अपने प्रोडक्ट के साथ आये हैं. इसके साथ ही साथ दुमका सहित झारखंड के कई जिले पाकुड़, साहिबगंज, गोड्डा, जामताड़ा, बोकारो, धनबाद, चाईबासा, जमशेदपुर, चतरा, सिमडेगा, सरायकेला खरसावां सहित लगभग सभी जिलों की सखी मंडल, स्वयं सहायता समूह और अन्य हस्त शिल्प कलाकार अपने अपने उत्पादों के साथ पहुंचे हैं. चाहे वो
झारखंड के शिल्पी हो या देश के किसी भी कोने के, जो भी इस तरफ मेले में अपने सामानों को बेचने के लिए आए हैं, उन्हें उम्मीद है कि उनका मार्केट अच्छा रहेगा. हमने उत्तर प्रदेश. ओडिशा, खूंटी, दुमका सभी जगह के दुकानदारों से बातचीत कर जाना कि उन्हें क्या उम्मीद है, सभी ने एक स्वर में कहा कि अब तक काफी अच्छा रहा है. आगे भी उम्मीद है कि हमें बेहतर आमदनी होगी.
काफी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं मेलाः सरस मेला आमतौर पर देश की राजधानी दिल्ली या झारखंड की राजधानी रांची या अन्य बड़े शहरों में ही आयोजित होता रहा है, लेकिन इस बार जब उपराजधानी दुमका में इसे लगाया गया है तो लोगों में भी काफी उत्साह नजर आ रहा है. लोग काफी बढ़ - चढ़कर इस मेले में पहुंच रहे हैं और अच्छी खरीदारी कर रहे हैं. ग्राहकों का जो रुझान है उसे देखकर यह लगता है कि जिस दिन मेले का समापन होगा इन शिल्पियों के चेहरे पर संतोष का भाव होगा.