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उपराजधानी के सौंदर्यीकरण की योजनाएं फ्लॉप, सरकार और प्रशासन दोनों है बेखबर

सरकार ने दुमका को उपराजधानी का दर्ज तो दे दिया लेकिन अबतक उपराजधानी के तौर पर विकसित नहीं कर पाई है. प्रशासन की लापरवाही और मॉनिटरिंग की कमी से लाखों की साजसज्जा बर्बाद हो रही है.

उपराजधानी के सौंदर्यीकरण की योजनाएं फ्लॉप
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Published : Mar 18, 2019, 9:43 PM IST

दुमकाः सरकार ने दुमका को उपराजधानी का दर्ज तो दे दिया लेकिन अबतक उपराजधानी के तौर पर विकसित नहीं कर पाई है. सौंदर्यीकरण के नाम पर चलाई जा रही योजनाओं पर लाखों रुपये खर्च कर दिए गए हैं लेकिन प्रशासन की लापरवाही और मॉनिटरिंग की कमी से लाखों की साजसज्जा बर्बाद हो रही है.

उपराजधानी के सौंदर्यीकरण की योजनाएं फ्लॉप

दुमका, पाकुड़ और साहिबगंज के मुख्य मार्ग पर जिले के व्यस्तम रिंगरोड पर संथाल हूल (आंदोलन) की नायिका और सिद्धो कान्हो की बहन शहीद फूलों और झानो के नाम पर चौक का नामकरण करते हुए प्रतिमा लगाई गई थी. प्रतिमा के चारों ओर सौंदर्यीकरण किया गया था. इसमें लाखों रुपये खर्च हुए लेकिन महज दो महीने में इसके चारों ओर लगी टाइल्स टूट चुकी है और इसकी स्थिति बदहाल हो गई है. स्थानीय लोगों ने बताया कि ये प्रशासन की सबसे बड़ी लापरवाही है.

शहर में हुए दुसरे सौदर्यीकरण का भी हाल बुरा

शहर के कई चौक चौराहों को सुसज्जित कर उसे आकर्षक ढंग से सजाया गया है. लाखों के फव्वारे (फाउंटेन )लगाए गए हैं. लेकिन आज सभी फाउंटेन दिखावे के लिए रह गया है. सबसे बड़ी लापरवाही यह है कि इसमें जो पानी भरा रहता है, उसका उपयोग नहीं होता और दूषित पानी से लोगों को परेशानी हो रही है.

क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि

इस संबंध में दुमका जिला परिषद के उपाध्यक्ष ने माना कि ये बड़ी लापरवाही है और इसके लिए सरकारी जिम्मेवार है. वे कहते हैं कि जिन विभागों ने यह सौंदर्यीकरण योजना का काम किया है और जिन पर इसके रखरखाव की जिम्मेदारी है, दोनों पर कारवाई की जानी चाहिए.

दुमकाः सरकार ने दुमका को उपराजधानी का दर्ज तो दे दिया लेकिन अबतक उपराजधानी के तौर पर विकसित नहीं कर पाई है. सौंदर्यीकरण के नाम पर चलाई जा रही योजनाओं पर लाखों रुपये खर्च कर दिए गए हैं लेकिन प्रशासन की लापरवाही और मॉनिटरिंग की कमी से लाखों की साजसज्जा बर्बाद हो रही है.

उपराजधानी के सौंदर्यीकरण की योजनाएं फ्लॉप

दुमका, पाकुड़ और साहिबगंज के मुख्य मार्ग पर जिले के व्यस्तम रिंगरोड पर संथाल हूल (आंदोलन) की नायिका और सिद्धो कान्हो की बहन शहीद फूलों और झानो के नाम पर चौक का नामकरण करते हुए प्रतिमा लगाई गई थी. प्रतिमा के चारों ओर सौंदर्यीकरण किया गया था. इसमें लाखों रुपये खर्च हुए लेकिन महज दो महीने में इसके चारों ओर लगी टाइल्स टूट चुकी है और इसकी स्थिति बदहाल हो गई है. स्थानीय लोगों ने बताया कि ये प्रशासन की सबसे बड़ी लापरवाही है.

शहर में हुए दुसरे सौदर्यीकरण का भी हाल बुरा

शहर के कई चौक चौराहों को सुसज्जित कर उसे आकर्षक ढंग से सजाया गया है. लाखों के फव्वारे (फाउंटेन )लगाए गए हैं. लेकिन आज सभी फाउंटेन दिखावे के लिए रह गया है. सबसे बड़ी लापरवाही यह है कि इसमें जो पानी भरा रहता है, उसका उपयोग नहीं होता और दूषित पानी से लोगों को परेशानी हो रही है.

क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि

इस संबंध में दुमका जिला परिषद के उपाध्यक्ष ने माना कि ये बड़ी लापरवाही है और इसके लिए सरकारी जिम्मेवार है. वे कहते हैं कि जिन विभागों ने यह सौंदर्यीकरण योजना का काम किया है और जिन पर इसके रखरखाव की जिम्मेदारी है, दोनों पर कारवाई की जानी चाहिए.

Intro:दुमका - झारखंड की उपराजधानी दुमका को उपराजधानी के अनुरूप विकसित करने के लिए कई चौक चौराहा को सुसज्जित किया गया है । सौंदर्यीकरण की योजनाओं में लाखों रुपये खर्च किये जाते हैं । लेकिन उन कार्यों की उचित मॉनिटरिंग नहीं होती है या फिर उसके रखरखाव में लापरवाही बरती जाती है । जिससे लाखों की राशि से की गई साजसज्जा बदहाली के कगार में पहुंच जाती है ।


Body:महज दो माह में शहीद फूलो - झानो चौक की बदहाली आई सामने ।
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दुमका - पाकुड़ , साहेबगंज मुख्य मार्ग पर जिले के व्यस्तम रिंगरोड पर संथाल हूल (आन्दोलन) की नायिका और सिदो कान्हू की बहन शहीद फूलो और झानो के नाम पर एक चौक जा नामकरण करते हुए फूलो -झानो की प्रतिमा लगाई गई और उसके चारों और सौदर्यीकरण किया गया । इसमें लाखों रुपये खर्च हुए । लेकिन महज दो महीने में इसके चारों ओर लगी टाईलस टूट चुकी है और इसकी स्थिति बदहाल प्रतीत हो रही है । स्थानीय लोग इसे बड़ी लापरवाही मानते हैं और कहते हैं इस योजना को जैसे तैसे पूरा किया गया ।

शहर में हुए अन्य सौदर्यीकरण का भी हाल बुरा ।
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दुमका शहर के कई चौक चौराहों को सुसज्जित कर उसे आकर्षक ढंग से सजाया गया लाखों के फव्वारे (फाउंटेन )लगाए गए । लेकिन आज सभी फाउंटेन दिखावे के लिए रह गया है । अब दुसरी बड़ी लापरवाही यह है कि इसमें जो पानी भरा रहता है उसका उपयोग नहीं होता और वह दूषित जल लोगों के लिए परेशानी पैदा करता है ।


Conclusion:क्या कहते हैं जनप्रतिनिधि ।
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इस संबंध में दुमका जिला परिषद के उपाध्यक्ष से जब हमने बात की तो उन्होंने भी माना कि यह बड़ी लापरवाही है और उसके लिए सरकारी महकमा जिम्मेदार है । वे कहते हैं जिन विभागों ने यह सौदर्यीकरण योजना का काम किया और जिसपर इसके रखरखाव की जिम्मेदारी है दोनों पर कारवाई की आवश्यकता है ।
बाईट - असीम मण्डल , उपाध्यक्ष , जिला परिषद , दुमका

फाईनल वीओ - जनता के पैसे से होने वाले सौदर्यीकरण के वैसे कार्य जिससे उनका जिला , शहर , गांव आकर्षक लगे इस काम मे लापरवाही की तीखी आलोचना होनी चाहिए । साथ ही यह तय हुई चाहिए कि इसके लिए जिम्मेदार कौन है ।

मनोज केशरी
ईटीवी भारत
दुमका
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