दुमकाः वर्तमान हेमंत सरकार के फूलो झानो आशीर्वाद योजना की थीम पर बालीजोर गांव की आदिवासी महिलाओं ने चप्पल बनाने का काम शुरू किया था. लेकिन आज तीन वर्षों से यहां काम बंद है. सरकारी योजना बाली फुटवेयर को आज किसी उद्धारक का इंतजार है, जो इस योजना को दोबारा शुरू कराकर यहां की महिलाओं के जीवन में रंग भरे.
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झारखंड की हेमंत सरकार ने हाल ही में जो महिलाएं हड़िया, दारू, देसी शराब बेचती है, उन्हें बेहतर रोजगार देने के लिए फूलो झानो आशीर्वाद योजना शुरू की है. इस योजना के तहत देसी शराब बेचने वाली महिलाओं को पूंजी और अन्य संसाधन उपलब्ध कराकर अन्य रोजगार से जोड़ा जा रहा है. यह फूलो झानो आशीर्वाद योजना कितनी सफल साबित होगी यह तो आने वाले वक्त में पता चलेगा. लेकिन कुछ इसी तरह का प्रयास मुख्यमंत्री के तौर पर रघुवर दास ने 2018 में दुमका जिला के नक्सल प्रभावित शिकारीपाड़ा प्रखंड के आदिवासी बहुल गांव बालीजोर में किया था. सरकारी योजना बाली फुटवेयर के नाम से शुरू की गयी योजना बदहाल स्थिति में है.
तत्कालीन सीएम रघुवर दास ने की थी योजना की शुरुआतः 25 दिसंबर 2018 को तत्कालीन सीएम रघुवर दास दुमका के शिकारीपाड़ा के बालीजोर गांव पहुंचे. इस गांव की लगभग 50 महिलाएं जिसमें अधिकांश देसी शराब बेचकर आजीविका चलाती थीं, उन्हें चप्पल बनाने के काम से जोड़ा था. फुटवेयर योजना का उद्घाटन खुद मुख्यमंत्री ने किया था. फुटवेयर ब्रांड का नाम गांव के नाम से ही बाली फुटवेयर दिया गया. कार्य में निपुणता आए और बड़े पैमाने पर उत्पादन हो इसके लिए लगभग दो करोड़ की लागत से दो भवन एक ट्रेनिंग सेंटर और दूसरा फैक्ट्री बिल्डिंग का शिलान्यास हुआ और निर्माण कार्य शुरू भी हो गया. इसके साथ ही इस गांव के अतिरिक्त दूसरी जगह भी फुटवेयर बिक्री के लिए आउटलेट भी खोले गए. दुमका जिला और आसपास जो सरकारी स्तर पर मेला और प्रदर्शनी का आयोजन होता है, उसमें बाली फुटवेयर का स्टॉल भी लगने लगा. ऐसा लगने लगा कि अब बाली फुटवेयर एक ब्रांड बन चुका है जो आदिवासी महिलाओं को स्वावलंबी बनाने का काम कर रहा है.
वर्तमान में बाली फुटवियर की स्थितिः आज की तारीख में बाली फुटवेयर की स्थिति काफी दयनीय हो चुकी है. योजना कुछ ही माह चलने के बाद बंद हो गयी. बंद होने की मुख्य वजह कच्चा माल का सही ढंग से उपलब्ध नहीं होना, बाजार का अभाव, साथ ही साथ उचित पूंजी की कमी रही. सरकारी उदासीनता की वजह से अभी कहीं कोई चप्पल नहीं बन रहा है. इतना जरूर हुआ है कि रघुवर दास ने 2018 जिन दो भवन का शिलान्यास किया था, फैक्ट्री बिल्डिंग और ट्रेनिंग सेंटर दोनों बन कर तैयार हो चुके हैं. दोनों की लागत लगभग दो करोड़ रुपये है. जब दुमका में चप्पल निर्माण कार्य ही बंद हो गया तो जाहिर है कि दोनों में भवनों ताला लटका नजर आता है.
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बालीजोर गांव के लोगों में मायूसीः बतौर सीएम रघुवर दास ने धूमधाम के साथ बालीजोर गांव महिलाओं जिसमें अधिकांश हंडिया, दारू बेचती थीं, उनको चप्पल बनाने के काम से जोड़ दिया था, इससे पूरे गांव के लोगों में काफी खुशी थी. उन्हें लगा कि अब उनके दुख के दिन दूर हो गए, उनका भविष्य बेहतर होगा. कुल मिलाकर उनके घर में ही रोजगार की व्यवस्था हो गयी. लेकिन उनकी खुशी कुछ ही दिनों में काफूर हो गयी और कुछ महीनों में सारा काम ठप हो गया. गांव की महिलाएं और उनके घर के पुरुष सभी इस बात को लेकर दुखी है कि चप्पल बनाने का काम समाप्त हो चुका है. अब गांव में चप्पल बनाने का फैक्ट्री और ट्रेनिंग सेंटर बंद है लेकिन भवन के होने से उन्हें उम्मीद है कि उन्होंने जो सपना देखा था वो फिर से साकार होगा. चप्पल बनाने कि काम से हम फिर से जुड़ेंगे और रोजगार प्राप्त होगा.
क्या कहते हैं दुमका सांसदः बाली फुटवेयर के बंद होने और उसे फिर से कैसे चालू किया जाए इस संबंध में ईटीवी भारत ने दुमका सांसद सुनील सोरेन से बात की. उन्होंने कहा कि यह भाजपा सरकार की एक बड़ी योजना थी और बालीजोर जैसे पिछड़े आदिवासी बहुल गांव में चप्पल बनाने का काम शुरू किया गया था. उनका कहना है कि आज हेमंत सरकार फूलो झानो आशीर्वाद योजना के तौर पर इसी तरह की योजना शुरू की है. लेकिन जो योजना बंद हो चुकी है उसे चालू कराने की दिशा में उनकी कोई पहल नहीं है. सांसद ने कहा कि बालीजोर का चप्पल उद्योग फिर से शुरू हो, इसके लिए वो भी पुरजोर प्रयास करेंगे.
वर्तमान सरकार को ध्यान देने की आवश्यकताः दुमका के बालीजोर की योजना वास्तव में काफी बेहतर थी. एक तरफ वर्तमान मुख्यमंत्री फूलो झानो आशीर्वाद योजना चला रहे हैं. इस योजना के तहत गांव के चप्पल उद्योग को विकसित करना चाहिए. इसमें सरकार को आसानी भी होगी क्योंकि वहां सारा सेटअप तैयार है सिर्फ सरकार वहां थोड़ा ध्यान दे दे.