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मिलिए दुमका के 'लालू' से, जनता पार्टी की सरकार में बने थे मंत्री, सादगी भरा है जीवन

दुमका जिले में रहने वाले कमलाकांत सिन्हा उर्फ लालू जनता पार्टी की टिकट से साल 1977 में विधायक बने और उन्हें कर्पूरी ठाकुर मंत्रिमंडल में वन मंत्री का दायित्व मिला था. ईटीवी भारत से हुई खास बातचीत में उन्होंने पहले की और आज की राजनीति से जुड़े कई पक्ष को रखा है. इसके साथ ही उन्होंने विधानसभा चुनाव में जनता से निष्पक्ष वोट देने की अपील की.

Former minister of Bihar Kamalakant Sinha  Appeals for fair vote in Dumka
बिहार के पूर्व मंत्री कमलाकांत सिन्हा की ईटीवी भारत से खास बातचीत
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Published : Nov 28, 2019, 8:40 AM IST

दुमकाः भारतीय राजनीति में कई ऐसे नाम हैं, जो आज जनता के बीच गुमनाम हो गए हैं. ऐसे ही एक शख्स दुमका जिले में भी हैं. राजनीतिज्ञ कमलाकांत सिन्हा उर्फ लालू शहर के गिलानपाड़ा नामक मोहल्ले के छोटे से मकान में रहते हैं. लालू जनता पार्टी की टिकट पर 1977 में पोड़ैयाहाट सीट से विधायक बने और कर्पूरी ठाकुर मंत्रिमंडल में इन्हें वन मंत्री का दायित्व मिला.

बिहार के पूर्व मंत्री कमलाकांत सिन्हा की ईटीवी भारत से खास बातचीत


छात्र आंदोलन से नेता बने लालू
1974 में छात्र आंदोलन के जरिए कमलाकांत सिन्हा उर्फ लालू राजनीति से जुड़े. जिसके बाद 1975 में गिरफ्तार कर इन्हें हजारीबाग जेल भेज दिया गया. जिसमें उन्हें कई महीनों की सजा हुई. इसी दौरान उनकी मुलाकात बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर से हुई और कर्पूरी ठाकुर से इन्होंने राजनीति सीखी.

ये भी पढ़ें-पलामू में भूपेश बघेल ने की रैली, कहा- BJP उद्योगपतियों की जेब में और कांग्रेस गरीबों की जेब में डालती है पैसे


आज की राजनीतिक स्थिति से निराश हैं लालू
1977 में एकीकृत बिहार में विधायक और मंत्री रह चुके लालू आज की मौजूदा राजनीति और राजनेताओं से काफी निराश हैं. उनका कहना है कि राजनीति के स्तर पर गिरावट होती जा रही है. उनका कहना है कि अब चुनाव में राजनीतिक पार्टियां सिर्फ तामझाम पर ध्यान देती हैं. पहले के समय में सिर्फ 5-6 हजार रुपयों में लोग चुनाव लड़ लेते थे. उन्होंने कहा कि मतदाता भी जाति भेदभाव नहीं करते थे और योग्य नेता ही चुनते थे.

ये भी पढ़ें-बीजेपी के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ताला मरांडी ने थामा आजसू का दामन, कहा- पार्टी के विरुद्ध होने के कारण नहीं मिला टिकट


स्थानीय लोग लालू को मानते हैं अपना आदर्श
जिले के लोग लालू की जीवनशैली को अपना आदर्श मानते हैं. उनका कहना है कि वो छात्र आंदोलन से नेता बने, यही वजह थी कि 1977 में जब यह पोड़ैयाहाट से जनता पार्टी के प्रत्याशी बने तो हजारों छात्र और अन्य लोग साइकिल की यात्रा कर पोड़ैयाहाट पहुंचे और चुनाव प्रचार कर इन्हें जिताने का काम किया था.

दुमकाः भारतीय राजनीति में कई ऐसे नाम हैं, जो आज जनता के बीच गुमनाम हो गए हैं. ऐसे ही एक शख्स दुमका जिले में भी हैं. राजनीतिज्ञ कमलाकांत सिन्हा उर्फ लालू शहर के गिलानपाड़ा नामक मोहल्ले के छोटे से मकान में रहते हैं. लालू जनता पार्टी की टिकट पर 1977 में पोड़ैयाहाट सीट से विधायक बने और कर्पूरी ठाकुर मंत्रिमंडल में इन्हें वन मंत्री का दायित्व मिला.

बिहार के पूर्व मंत्री कमलाकांत सिन्हा की ईटीवी भारत से खास बातचीत


छात्र आंदोलन से नेता बने लालू
1974 में छात्र आंदोलन के जरिए कमलाकांत सिन्हा उर्फ लालू राजनीति से जुड़े. जिसके बाद 1975 में गिरफ्तार कर इन्हें हजारीबाग जेल भेज दिया गया. जिसमें उन्हें कई महीनों की सजा हुई. इसी दौरान उनकी मुलाकात बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर से हुई और कर्पूरी ठाकुर से इन्होंने राजनीति सीखी.

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आज की राजनीतिक स्थिति से निराश हैं लालू
1977 में एकीकृत बिहार में विधायक और मंत्री रह चुके लालू आज की मौजूदा राजनीति और राजनेताओं से काफी निराश हैं. उनका कहना है कि राजनीति के स्तर पर गिरावट होती जा रही है. उनका कहना है कि अब चुनाव में राजनीतिक पार्टियां सिर्फ तामझाम पर ध्यान देती हैं. पहले के समय में सिर्फ 5-6 हजार रुपयों में लोग चुनाव लड़ लेते थे. उन्होंने कहा कि मतदाता भी जाति भेदभाव नहीं करते थे और योग्य नेता ही चुनते थे.

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स्थानीय लोग लालू को मानते हैं अपना आदर्श
जिले के लोग लालू की जीवनशैली को अपना आदर्श मानते हैं. उनका कहना है कि वो छात्र आंदोलन से नेता बने, यही वजह थी कि 1977 में जब यह पोड़ैयाहाट से जनता पार्टी के प्रत्याशी बने तो हजारों छात्र और अन्य लोग साइकिल की यात्रा कर पोड़ैयाहाट पहुंचे और चुनाव प्रचार कर इन्हें जिताने का काम किया था.

Intro:दुमका -
भारतीय राजनीति में लालू यादव एक बड़ा नाम है । पर आज हम आपको दुमका के राजनीतिज्ञ लालू से मुलाकात कराते हैं । दुमका शहर के गिलानपाड़ा नामक मोहल्ले के एक छोटे से मकान में सादगी पूर्ण जीवन जी रहे हैं कमलाकांत सिन्हा उर्फ लालू जनता पार्टी के टिकट पर 1977 में पोड़ैयाहाट सीट से विधायक बने और कर्पूरी ठाकुर मंत्रिमंडल में इन्हें वन मंत्री का दायित्व मिला ।

छात्र आंदोलन से नेता बने लालू ।
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1974 के छात्र आंदोलन में कमलाकांत सिन्हा उर्फ लालू जुड़े । 1975 में वे गिरफ्तार होकर हुए और इन्हें हजारीबाग जेल भेज दिया गया । जहाँ वे कई महीने तक जेल में रहे । इसी दौरान उनकी मुलाकात कर्पूरी ठाकुर से हुई । कर्पूरी ठाकुर से इन्होंने राजनीति का ककहरा सीखा ।


Body:आज की राजनीति स्थिति से निराश है लालू ।
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1977 में एकीकृत बिहार में विधायक और मंत्री रह चुके लालू आज के मौजूदा राजनीति और राजनेताओं से काफी निराश है । उनका कहना है कि काफी गिरावट आई है इस फील्ड में । वे कहते हैं आज की तरह चुनाव में इतना तामझाम और खर्च नहीं हुआ करता था । चार से पांच हजार में लोग विधायक का चुनाव लड़ लेते थे । वह कहते हैं कि मतदाता भी जाति पाति की जगह अच्छे लोगों को चुनते थे । जनता से झूठ बोलने का सवाल ही नहीं होता था । लोग सच्चाई की डगर पर चलते थे ।

बाईंट - कमलाकांत सिन्हा उर्फ लालू , पूर्व वन मंत्री , बिहार


Conclusion:स्थानीय लोग लालू को मानते हैं अपना आदर्श ।
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दुमका के काफ़ी लोग लालू के जीवनशैली को अपना आदर्श मानते हैं । उनका कहना है कि यह छात्र आंदोलन से नेता बने । यही वजह थी कि 1977 में जब यह पोड़ैयाहाट से जनता पार्टी के प्रत्याशी बने तो हजारों छात्र और अन्य लोग साइकिल की यात्रा कर पोड़ैयाहाट पहुंचे और चुनाव प्रचार कर इन्हें जिताया ।

फाईनल वीओ -
सचमुच मौजूदा दौर की राजनीति और राजनेता में काफी गिरावट देखने को मिलता है । जनता से जुड़कर सच्चाई के रास्ते पर चलने वाले नेताओं की बड़ी जरूरत महसूस की जा रही है । जिसकी चर्चा लोग गर्व से चार पांच दशक बीत जाने के बाद भी करें ।

मनोज केशरी
ईटीवी भारत
दुमका
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