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कैसे पढ़ें कैसे बढ़ें: 2 क्लास रूम 135 बच्चे, दो टीचर करवाते हैं पहली से 8वीं तक की पढ़ाई - दुमका के सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था

झारखंड की उपराजधानी दुमका के सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था बदहाल है. एक से पांच तक की कक्षा के बच्चे एक साथ तो छह से आठ तक के एक क्लास रूम में पढ़ाई करते हैं.

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Published : Jul 21, 2022, 5:56 PM IST

Updated : Jul 30, 2022, 3:02 PM IST

दुमका: झारखंड सरकार शिक्षा व्यवस्था को बेहतर और आधुनिक बनाने का दावा करती है लेकिन झारखंड की उपराजधानी दुमका के सरकारी स्कूलों में जैसे-तैसे बच्चों की पढ़ाई चल रही है. इसकी वजह यह है कि पूरे जिले में शिक्षकों की काफी कमी है. कुल स्वीकृत पद के एक तिहाई पद रिक्त हैं.

शिक्षकों के 2200 पद खाली: दुमका में सरकारी विद्यालयों की कुल संख्या 2300 है. वर्तमान में शिक्षकों की संख्या 6073 हैं, जबकि जरूरत है 8273 की. मतलब 2200 शिक्षकों के पद खाली हैं. यह आंकड़ा एक-तिहाई का है लेकिन अगर हम सुदूरवर्ती इलाकों में जाएं तो शिक्षकों की संख्या और भी कम रहती है क्योंकि शहरी क्षेत्र और उसके आसपास के क्षेत्रों के स्कूलों में पोस्टिंग की होड़ रहती है.

देखें स्पेशल स्टोरी



दुमका के सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था: ग्रामीण क्षेत्र में सरकारी विद्यालय में जैसे-तैसे पढ़ाई हो रही है. अगर छह शिक्षकों की जरूरत है तो पदस्थापित शिक्षक दो या तीन है, पढ़ाई में किस कदर लापरवाही बरती जा रही है, नमूने के तौर पर हमने दुमका के चांदोपानी मध्य विद्यालय की स्थिति जाना. दुमका के चांदोपानी मध्य विद्यालय में कक्षा 1 से 8 तक की पढ़ाई होती है, स्कूल में 135 बच्चे पढ़ते हैं, लेकिन प्रधानाध्यापक समेत शिक्षकों की संख्या तीन है. प्रधानाध्यापक को स्कूल प्रबंधन देखना पड़ता है. साथ ही साथ अन्य कागजी कार्रवाई करनी पड़ती है तो सामान्यतः प्रिंसिपल क्लास नहीं ले पाते. मतलब दो शिक्षकों के भरोसे आठों वर्ग के बच्चों की पढ़ाई रहती है.

विद्यालय के प्रधानाध्यापक कामेश्वर महतो ने बताया कि हमलोग 1 से 5 वर्ग के बच्चों को एक क्लास रूम में बैठाते हैं तो 6 से 8 को एक क्लास रूम में, क्योंकि दो ही शिक्षक से सारा काम चलाना पड़ता है. अब आप आसानी से समझ सकते हैं कि किस तरह से बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. जो पाठ्यक्रम कक्षा 1 के बच्चों का है वह कक्षा 5 का कैसे हो सकता है. जाहिर है इस स्कूल में पढ़ने वाले किसी भी बच्चे को सही शिक्षा नहीं मिल पा रही है.

स्कूल की छात्राओं ने कहा- हमें चाहिए शिक्षक: ईटीवी भारत की टीम ने चांदोपानी स्कूल के छात्राओं से बात की. उन्होंने कहा कि शिक्षक हैं ही नहीं इससे विषय वार पढ़ाई नहीं हो पा रही है. हमारे क्लास में दूसरे क्लास के भी बच्चे रहते हैं तो पढ़ाई कैसे सही ढंग से हो पाएगी. छात्राओं ने कहा कि हमें शिक्षक चाहिए ताकि हमारी पढ़ाई सुचारू रूप से चल सके.

क्या कहते हैं जिला शिक्षा पदाधिकारी: दुमका के सरकारी विद्यालय में शिक्षकों की कमी के संबंध में हमने जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार दास से बात की तो उन्होंने भी माना कि शिक्षकों की कमी की वजह से पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है. उन्होंने कहा कि शिक्षकों की जो रिक्तियां है उसे सरकार को भेजा गया है. आगे की कार्रवाई वहीं से होना है.



सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता: दुमका के सरकारी विद्यालय के बच्चों की पढ़ाई लिखाई के साथ खिलवाड़ हो रहा है. यह बच्चों के भविष्य को अंधकार में ले जा रहा है. राज्य सरकार को अविलंब इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है.

दुमका: झारखंड सरकार शिक्षा व्यवस्था को बेहतर और आधुनिक बनाने का दावा करती है लेकिन झारखंड की उपराजधानी दुमका के सरकारी स्कूलों में जैसे-तैसे बच्चों की पढ़ाई चल रही है. इसकी वजह यह है कि पूरे जिले में शिक्षकों की काफी कमी है. कुल स्वीकृत पद के एक तिहाई पद रिक्त हैं.

शिक्षकों के 2200 पद खाली: दुमका में सरकारी विद्यालयों की कुल संख्या 2300 है. वर्तमान में शिक्षकों की संख्या 6073 हैं, जबकि जरूरत है 8273 की. मतलब 2200 शिक्षकों के पद खाली हैं. यह आंकड़ा एक-तिहाई का है लेकिन अगर हम सुदूरवर्ती इलाकों में जाएं तो शिक्षकों की संख्या और भी कम रहती है क्योंकि शहरी क्षेत्र और उसके आसपास के क्षेत्रों के स्कूलों में पोस्टिंग की होड़ रहती है.

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दुमका के सरकारी स्कूलों में शिक्षा व्यवस्था: ग्रामीण क्षेत्र में सरकारी विद्यालय में जैसे-तैसे पढ़ाई हो रही है. अगर छह शिक्षकों की जरूरत है तो पदस्थापित शिक्षक दो या तीन है, पढ़ाई में किस कदर लापरवाही बरती जा रही है, नमूने के तौर पर हमने दुमका के चांदोपानी मध्य विद्यालय की स्थिति जाना. दुमका के चांदोपानी मध्य विद्यालय में कक्षा 1 से 8 तक की पढ़ाई होती है, स्कूल में 135 बच्चे पढ़ते हैं, लेकिन प्रधानाध्यापक समेत शिक्षकों की संख्या तीन है. प्रधानाध्यापक को स्कूल प्रबंधन देखना पड़ता है. साथ ही साथ अन्य कागजी कार्रवाई करनी पड़ती है तो सामान्यतः प्रिंसिपल क्लास नहीं ले पाते. मतलब दो शिक्षकों के भरोसे आठों वर्ग के बच्चों की पढ़ाई रहती है.

विद्यालय के प्रधानाध्यापक कामेश्वर महतो ने बताया कि हमलोग 1 से 5 वर्ग के बच्चों को एक क्लास रूम में बैठाते हैं तो 6 से 8 को एक क्लास रूम में, क्योंकि दो ही शिक्षक से सारा काम चलाना पड़ता है. अब आप आसानी से समझ सकते हैं कि किस तरह से बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. जो पाठ्यक्रम कक्षा 1 के बच्चों का है वह कक्षा 5 का कैसे हो सकता है. जाहिर है इस स्कूल में पढ़ने वाले किसी भी बच्चे को सही शिक्षा नहीं मिल पा रही है.

स्कूल की छात्राओं ने कहा- हमें चाहिए शिक्षक: ईटीवी भारत की टीम ने चांदोपानी स्कूल के छात्राओं से बात की. उन्होंने कहा कि शिक्षक हैं ही नहीं इससे विषय वार पढ़ाई नहीं हो पा रही है. हमारे क्लास में दूसरे क्लास के भी बच्चे रहते हैं तो पढ़ाई कैसे सही ढंग से हो पाएगी. छात्राओं ने कहा कि हमें शिक्षक चाहिए ताकि हमारी पढ़ाई सुचारू रूप से चल सके.

क्या कहते हैं जिला शिक्षा पदाधिकारी: दुमका के सरकारी विद्यालय में शिक्षकों की कमी के संबंध में हमने जिला शिक्षा पदाधिकारी संजय कुमार दास से बात की तो उन्होंने भी माना कि शिक्षकों की कमी की वजह से पठन-पाठन प्रभावित हो रहा है. उन्होंने कहा कि शिक्षकों की जो रिक्तियां है उसे सरकार को भेजा गया है. आगे की कार्रवाई वहीं से होना है.



सरकार को ध्यान देने की आवश्यकता: दुमका के सरकारी विद्यालय के बच्चों की पढ़ाई लिखाई के साथ खिलवाड़ हो रहा है. यह बच्चों के भविष्य को अंधकार में ले जा रहा है. राज्य सरकार को अविलंब इस पर ध्यान देने की आवश्यकता है.

Last Updated : Jul 30, 2022, 3:02 PM IST
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