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दुमुका: कोरोना के खात्मे के लिए आदिवासियों ने भगवान से की दुआ, की विशेष पूजा

झारखंड में कोरोना के कहर से सभी वर्ग परेशान हैं. इसके खात्मे के लिए अब भगवान से भी प्रार्थना की जा रही है.

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Published : Apr 15, 2020, 1:30 PM IST

दुमुका: झारखंड में कोरोना का खौफ बरकरार है. राज्य में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने से सरकार के साथ आमजन भी चिंतित हैं. हालांकि इसकी रोकथाम के लिए लगातार प्रयास जारी हैं. लोग अब भगवान से भी दुआ कर रहे हैं कि जल्द इसका खात्मा हो.

जामा प्रखंड के नावाडीह पंचायत अंतर्गत कुकुर तोपा गांव के ग्रामीण ने मांझी हाड़ाम की अगुवाई में अपने धार्मिक स्थल मांझी थान में जल चढ़ाकर कोरोना संक्रमण से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की. उन्होंने अपने इष्ट देव भगवान से मन्नत मांगी कि जल्द से जल्द यह बीमारी समाप्त हो और गांव के लोग पूर्व की तरह कामकाज कर सकें.

दरअसल आदिवासियों में यह परंपरा रही है, कि गांव एवं सामाजिक जीवन में जब भी क्षेत्र में कोई महामारी फैलती है, या संकट आता है, तो मांझी हाड़ाम, नाइकी एवं जग मांझी,आपदा से रक्षा करने के लिए जल चढ़ाकर भगवान से प्रकोप शांत होने की कामना करते हैं.

यह भी पढ़ेंः बीजेपी सांसद पीएन सिंह 14 दिन के क्वॉरेंटाइन में भेजे गए, दिल्ली से लौटे थे धनबाद

आदिवासी समाज की वर्षों से परंपरा रही है कि प्रकोप के शांत होने पर मन्नत के अनुसार बलि चढ़ाकर अपने देवता को प्रसन्न करते हैं. गांव के मांझी थान के मांझी हाड़ाम उर्फ मांझी बाबा, मंगल मुर्मू ,ने बताया कि प्रकोप शांत होने एवं बीमारी खत्म होने के बाद हम लोग मांझी थान में मुर्गा पाठा बलि भी चढ़ाते हैं.

दुमुका: झारखंड में कोरोना का खौफ बरकरार है. राज्य में कोरोना मरीजों की संख्या बढ़ने से सरकार के साथ आमजन भी चिंतित हैं. हालांकि इसकी रोकथाम के लिए लगातार प्रयास जारी हैं. लोग अब भगवान से भी दुआ कर रहे हैं कि जल्द इसका खात्मा हो.

जामा प्रखंड के नावाडीह पंचायत अंतर्गत कुकुर तोपा गांव के ग्रामीण ने मांझी हाड़ाम की अगुवाई में अपने धार्मिक स्थल मांझी थान में जल चढ़ाकर कोरोना संक्रमण से मुक्ति दिलाने की प्रार्थना की. उन्होंने अपने इष्ट देव भगवान से मन्नत मांगी कि जल्द से जल्द यह बीमारी समाप्त हो और गांव के लोग पूर्व की तरह कामकाज कर सकें.

दरअसल आदिवासियों में यह परंपरा रही है, कि गांव एवं सामाजिक जीवन में जब भी क्षेत्र में कोई महामारी फैलती है, या संकट आता है, तो मांझी हाड़ाम, नाइकी एवं जग मांझी,आपदा से रक्षा करने के लिए जल चढ़ाकर भगवान से प्रकोप शांत होने की कामना करते हैं.

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आदिवासी समाज की वर्षों से परंपरा रही है कि प्रकोप के शांत होने पर मन्नत के अनुसार बलि चढ़ाकर अपने देवता को प्रसन्न करते हैं. गांव के मांझी थान के मांझी हाड़ाम उर्फ मांझी बाबा, मंगल मुर्मू ,ने बताया कि प्रकोप शांत होने एवं बीमारी खत्म होने के बाद हम लोग मांझी थान में मुर्गा पाठा बलि भी चढ़ाते हैं.

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