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बासुकीनाथ में मेला नहीं लगने से शहर वीरान, दुकानदारों ने दी अपनी अलग-अलग राय - Corona effect on Basukinath mela

प्रसिद्ध तीर्थस्थल बासुकीनाथ में कोरोना संक्रमण के बढ़ते प्रकोप के कारण इस बार मेले का आयोजन नहीं हुआ. पूरा दुमका शहर सुनसान हो गया है. मेला के आयोजन होने से कई लोगों का रोजगार चलता था, जिसकी कमाई वो सालों भर खाते थे, लेकिन इस बार मेले का आयोजन नहीं होने से वो भुखमरी के कगार पर पहुंच गए हैं.

Dumka town deserted due to no shravani mela in Basukinath
बासुकीनाथ पर कोरोना का असर
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Published : Jul 17, 2020, 9:09 PM IST

दुमका: प्रसिद्ध तीर्थस्थल बासुकीनाथ में इस बार श्रावणी मेला नहीं लगा. मंदिर का प्रांगण जिसमें हजारों लोग नजर आते थे वह सुनसान दिखाई दे रहा है. इस तरह से भोले बाबा भी अपने आप को सबों से अलग किए हुए हैं. श्रावणी मेला नहीं लगने से वैसे लोगों को सीधे तौर पर नुकसान हो रहा है, जिनकी रोजी-रोटी यहां से चलती थी. सावन माहीना में कई व्यवसायियों का रोजगार काफी बेहतर होता था, लगातार तीन महीने के लॉकडाउन और उसके बाद श्रावणी मेला नहीं लगने के कारण, उनके सामने भुखमरी की समस्या आ गई है.

देखें पूरी रिपोर्ट

सावन में छोटे-बड़े लगभग 5000 दुकानदार को मिलता था रोजगार
आपको बता दें कि श्रावणी मेले में सैकड़ों दुकानदार बासुकीनाथ या अगल-बगल गांव के हैं और उनकी स्थायी दुकान बासुकीनाथ में है. वहीं दूसरी ओर काफी संख्या में बाहर से भी आकर लोग यहां रोजगार कर अपना पेट पालते थे. पेड़ा, ईलायची दाना, माला, सिंदूर, खिलौने, खाने-पीने के होटल साथ ही अन्य सामानों को बेचने वाले लगभग 5 हजार दुकानदार सावन में कमाकर साल भर खाते थे, लेकिन इस बार श्रावणी मेला नहीं लगने से इनकी रोजी रोटी पर आफत आ गई है.


क्या कहते हैं दुकानदार
बासुकीनाथ के स्थायी दुकानदार जिनका अपना घर भी वहां है वैसे दुकानदारों से ईटीवी भारत के संवाददाता ने बात की, जिसमें उन्होंने बताया कि लॉकडाउन ने पहले से कमर तोड़ रखा था, उम्मीद थी कि श्रावणी मेला आयोजित होगा तो भरपाई होगी, लेकिन मेला नहीं लगा. वह कहते हैं सावन महीने में काफी अच्छी कमाई होती थी, लेकिन इस बार खाने के लाले पड़े हैं. वह सरकार और जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं.


इसे भी पढे़ं:- कोरोना काल में भुखमरी के कगार पर पहुंचे पेड़ा व्यवसायी, वैकल्पिक उपाय ढूंढने को मजबूर


कुछ दुकानदारों का है कहना - मेला नहीं लगना सही निर्णय
बासुकीनाथ के कुछ दुकानदार ऐसे भी हैं जो कोरोना वायरस संक्रमण की गंभीरता को समझते हैं. उनका कहना है कि अगर हमें इस बीमारी से बचना है तो इसके जो सुरक्षा के मापदंड हैं उसे अपनाना होगा और इस दृष्टिकोण से अगर मेला नहीं लगा है तो कोई बात नहीं अगले सावन का इंतजार करेंगे.


क्या कहती हैं उपायुक्त
बासुकीनाथ मंदिर न्यास बोर्ड की अध्यक्ष सह उपायुक्त राजेश्वरी बी से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने कहा कि काफी सोच विचार कर मेले का आयोजित नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि जिन दुकानदारों को परेशानी हुई है, उन्हें राहत प्रदान की रही है, निश्चित रूप से श्रावणी मेले के नहीं लगने से दुकानदार परेशान हैं, छोटे-बड़े सभी दुकानदारों का सावन में अच्छा रोजगार होता था, उनके मदद के लिए प्रयास किया जा रहा है.

दुमका: प्रसिद्ध तीर्थस्थल बासुकीनाथ में इस बार श्रावणी मेला नहीं लगा. मंदिर का प्रांगण जिसमें हजारों लोग नजर आते थे वह सुनसान दिखाई दे रहा है. इस तरह से भोले बाबा भी अपने आप को सबों से अलग किए हुए हैं. श्रावणी मेला नहीं लगने से वैसे लोगों को सीधे तौर पर नुकसान हो रहा है, जिनकी रोजी-रोटी यहां से चलती थी. सावन माहीना में कई व्यवसायियों का रोजगार काफी बेहतर होता था, लगातार तीन महीने के लॉकडाउन और उसके बाद श्रावणी मेला नहीं लगने के कारण, उनके सामने भुखमरी की समस्या आ गई है.

देखें पूरी रिपोर्ट

सावन में छोटे-बड़े लगभग 5000 दुकानदार को मिलता था रोजगार
आपको बता दें कि श्रावणी मेले में सैकड़ों दुकानदार बासुकीनाथ या अगल-बगल गांव के हैं और उनकी स्थायी दुकान बासुकीनाथ में है. वहीं दूसरी ओर काफी संख्या में बाहर से भी आकर लोग यहां रोजगार कर अपना पेट पालते थे. पेड़ा, ईलायची दाना, माला, सिंदूर, खिलौने, खाने-पीने के होटल साथ ही अन्य सामानों को बेचने वाले लगभग 5 हजार दुकानदार सावन में कमाकर साल भर खाते थे, लेकिन इस बार श्रावणी मेला नहीं लगने से इनकी रोजी रोटी पर आफत आ गई है.


क्या कहते हैं दुकानदार
बासुकीनाथ के स्थायी दुकानदार जिनका अपना घर भी वहां है वैसे दुकानदारों से ईटीवी भारत के संवाददाता ने बात की, जिसमें उन्होंने बताया कि लॉकडाउन ने पहले से कमर तोड़ रखा था, उम्मीद थी कि श्रावणी मेला आयोजित होगा तो भरपाई होगी, लेकिन मेला नहीं लगा. वह कहते हैं सावन महीने में काफी अच्छी कमाई होती थी, लेकिन इस बार खाने के लाले पड़े हैं. वह सरकार और जिला प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं.


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कुछ दुकानदारों का है कहना - मेला नहीं लगना सही निर्णय
बासुकीनाथ के कुछ दुकानदार ऐसे भी हैं जो कोरोना वायरस संक्रमण की गंभीरता को समझते हैं. उनका कहना है कि अगर हमें इस बीमारी से बचना है तो इसके जो सुरक्षा के मापदंड हैं उसे अपनाना होगा और इस दृष्टिकोण से अगर मेला नहीं लगा है तो कोई बात नहीं अगले सावन का इंतजार करेंगे.


क्या कहती हैं उपायुक्त
बासुकीनाथ मंदिर न्यास बोर्ड की अध्यक्ष सह उपायुक्त राजेश्वरी बी से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने कहा कि काफी सोच विचार कर मेले का आयोजित नहीं किया गया है. उन्होंने कहा कि जिन दुकानदारों को परेशानी हुई है, उन्हें राहत प्रदान की रही है, निश्चित रूप से श्रावणी मेले के नहीं लगने से दुकानदार परेशान हैं, छोटे-बड़े सभी दुकानदारों का सावन में अच्छा रोजगार होता था, उनके मदद के लिए प्रयास किया जा रहा है.

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