दुमकाः किशोरावस्था में अगर किसी ने आपराधिक घटना को अंजाम दिया है तो उन्हें बाल सुधार गृह में रखा जाता है. जिससे उनकी मानसिकता में बदलाव लाया जाए और उन्हें अच्छा नागरिक बनाकर फिर से समाज को सौंप दिया जाए. झारखंड के संथाल परगना प्रमंडल में एकमात्र बाल सुधार गृह दुमका में है. दुमका जिला मुख्यालय से 4 किलोमीटर दूर है हिजला ग्राम में यह रिमांड होम अवस्थित है. बच्चों की स्थिति सुधारने वाला बाल सुधार गृह खुद बदहाल स्थिति में है.
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क्षमता से तीन गुणा किशोर रहते हैं
दुमका बाल सुधार गृह में 50 किशोर के रहने की क्षमता है. विगत कुछ वर्षों से क्षमता से काफी अधिक किशोर यहां रहते हैं. अभी तो स्थिति के तीन गुणा मतलब डेढ़ सौ बच्चे यहां रह रहे हैं. जाहिर है कि उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ता है. सुविधाएं जो मिलनी चाहिए वह सही ढंग से नहीं दी मिल पाती है.
क्या कहते हैं बाल अधिकारों से जुड़े लोग
इस रिमांड होम में जो बच्चे आते हैं, उसके प्रति प्रबंधन का उद्देश्य रहता है कि उसको उन्हें सुधारा जाए. इसके लिए इस सुधार गृह में आऊटडोर-इंडोर खेल के लिए पर्याप्त स्थान, उनके लिए विद्यालय की व्यवस्था होनी चाहिए. साथ ही साथ बच्चे बेहतर ढंग से रहे यह भी देखना जरूरी है. इस पूरे मामले में दुमका बाल कल्याण समिति के पूर्व अध्यक्ष रह चुके अमरेंद्र कुमार यादव कहते हैं कि बच्चों को सारी सुविधा मिलनी चाहिए.
उन्होंने बताया कि वर्तमान में क्षमता से तीन गुणा ज्यादा बालक रह रहे हैं. अगर इतने बच्चे रहेंगे तो उन्हें जो सुविधा दी जानी चाहिए वह संभव नहीं हो सकता. उन्होंने कहा कि कई बार यहां से बालक फरार हो चुके हैं. यह इस बात को दर्शाता है कि सुरक्षा व्यवस्था सही नहीं है. हालांकि यहां से भागे एक-दो बच्चों को अगर छोड़ दें तो सभी फिर से या तो वापस आ गए या पुलिस उन्हें ढूंढ लाई. अमरेंद्र कहते हैं कि सरकार से हम भी मांग करेंगे कि इस रिमांड होम में सारी व्यवस्थाएं बेहतर हो.
क्या कहना है बाल सुधार गृह की अधिकारी का
दुमका की जिला समाज कल्याण पदाधिकारी अनीता कुजूर बाल सुधार गृह की अधीक्षक हैं. उन्होंने बताया कि काफी परेशानी हो रही है क्योंकि 50 का सीट है और बच्चे हैं डेढ़ सौ. उन्होंने कहा कि दुमका उपायुक्त के माध्यम से इसके लिए अलग से बड़ा परिसर की व्यवस्था करने का पत्र सरकार को लिखा गया है. उन्होंने कहा कि कैंपस बड़ा होना काफी जरूरी है. साथ ही सुरक्षा के दृष्टिकोण से कैंपस के सामने भी सुरक्षा बलों की प्रतिनियुक्ति जरूरी है, ताकि बाहरी आपराधिक घटना से यहां के बच्चे प्रभावित ना हो.
उन्होंने जानकारी दी कि जहां तक बच्चों के खानपान की बात है तो भोजन मद में आवंटन आने में थोड़ा समय लगता है, सब कुछ ठीक-ठाक है. उन्होंने जोर देकर कहा कि वर्तमान में जो बाल सुधार गृह का कैंपस है, उसके विस्तार के लिए विभागीय स्तर पर प्रयास किए जा रहे हैं.
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बच्चे देश का भविष्य
बच्चे देश के होते हैं, अक्सर कच्ची उम्र में गलतियां हो जाती है. पुलिस ऐसे बच्चों रिमांड होम में रख देती है. अब ऐसे बच्चे या किशोरों से कैसे प्यार से निपटा जाए, कैसे उनकी काउंसलिंग हो, उन्हें कैसे सुधारा जाए, इस पर विशेष ध्यान देना की जरूरत होती है. रिमांड होम या ऑब्जर्वेशन होम स्थापित करने का उद्देश्य भी यही है. दुमका के बाल सुधार गृह में जो बच्चे हैं, उनके बेहतर भविष्य के लिए, उन्हें समाज के मुख्यधारा से जोड़ने के लिए जरूरी सुविधाएं बहाल होना आवश्यक है ताकि बेहतर माहौल दिया जा सके.