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गर्मी के दस्तक से पहले ड्रिंकिंग वाटर प्लांट की स्थिति बदहाल, लाखों खर्च कर लगाए गए थे प्लांट - पेयजल-स्वच्छता विभाग

दुमका में गर्मी आने आने से पहले ही नीर निर्मल परियोजना तहत लगे 60 ड्रिंकिंग वाटर प्लांट बेकार हो गए है. इस परियोजना पर एक बड़ी सरकारी राशि खर्च हुई थी. प्रति प्लांट का खर्च 30 से 35 लाख रुपए लगा था. शुरुआत में ग्रामीणों को पानी मिला भी, लेकिन देखरेख के अभाव में ये खराब हो गए. वहीं, दुमका जिला परिषद के उपाध्यक्ष असीम मंडल ने कहा कि 10 प्रतिशत ही प्लांट सही है, वे इसे विभाग की बड़ी लापरवाही बताते हैं. उनका कहना कि इसके लिए दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए.

drinking water plants set up under Neer Nirmal Project in Dumka become useless
ड्रिंकिंग वाटर प्लांट की स्थिति बदहाल
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Published : Mar 6, 2020, 7:45 PM IST

दुमका: राज्य में गर्मी ने दस्तक देना शुरू कर दिया है, लेकिन दुमका के ग्रामीण क्षेत्रों के पेयजल संयंत्रों की स्थिति बदहाल है. नीर निर्मल परियोजना के तहत जिले में पांच साल पूर्व 60 ड्रिंकिंग वाटर प्लांट स्थापित किए गए थे. इस परियोजना पर एक बड़ी सरकारी राशि खर्च हुई थी, लेकिन आज अधिकांश की स्थिति बदहाल है. कुछ प्लांट को छोड़कर लगभग सभी खराब हो चुके हैं.

देखें पूरी खबर

क्या है पूरा मामला
चार वर्ष पूर्व पेयजल-स्वच्छता विभाग ने नीर निर्मल परियोजना चलाई थी. इसके अलावा दुमका के 60 गांवों में पेयजल संयंत्र लगाकर लोगों के घर-घर तक पानी पहुंचाने का काम शुरू हुआ था. प्रति प्लांट का खर्च 30 से 35 लाख रुपए थी. शुरुआत में ग्रामीणों को पानी मिला भी, लेकिन देखरेख के अभाव में ये खराब हो गए. अब तो अधिकांश संयंत्र खराब हो चुके हैं.

drinking water plants set up under Neer Nirmal Project in Dumka become useless
चापानल

दुमका के अधिकांश ग्रामीण इलाकों में पानी की समस्या है. गर्मी के दिनों में यह और बढ़ जाती है. जिन गांव में ये प्लांट लगे थे, वहां के लोगों को उम्मीद मिली थी कि अब पानी की सुविधा होगी. लेकिन कुछ महीनों में ही यह खराब हो गया, अब फिर से वे चापाकल-कुंआ पर पानी के लिए निर्भर हो गए हैं.

ये भी देखें- एडीजी अनुराग गुप्ता के खिलाफ जांच शुरू, डीजी एमवी राव एक महीने में देंगे सरकार को रिपोर्ट

ग्रामीणों को हो रही है परेशानी
जिन गांव में यह प्लांट लगने के बावजूद उसका फायदा ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है, वहां के ग्रामीणों ने काफी नाराजगी व्यक्त की हैं. ग्रामीणों का कहना है कि इसके रहने का क्या फायदा हम तो दूसरे जगह से पानी भरते हैं.

ये भी देखें- विधानसभा चुनाव में करारी शिकस्त के बाद निकाय चुनाव की तैयारी में जुटी लोजपा, कार्यकर्ताओं को दिया गया मंत्र

पंचायत प्रतिनिधि हैं नाराज
इस संबंध में दुमका जिला परिषद के उपाध्यक्ष असीम मंडल से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि 10 प्रतिशत ही प्लांट सही है, वे इसे विभाग की बड़ी लापरवाही बताते हैं. उनका कहना कि इसके लिए दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए.

ग्रामीण क्षेत्र में लोगों तक पेयजल पहुंचाने के लिए नीर निर्मल परियोजना काफी अच्छी योजना थी. लेकिन सरकारी अनदेखी की वजह से इसकी स्थिति बदहाल हो चुकी है. प्रशासन को चाहिए कि इसे गंभीरता से लें और दुरुस्त कराए, ताकि लोगों को आसानी से पीने का पानी मिल सके.

दुमका: राज्य में गर्मी ने दस्तक देना शुरू कर दिया है, लेकिन दुमका के ग्रामीण क्षेत्रों के पेयजल संयंत्रों की स्थिति बदहाल है. नीर निर्मल परियोजना के तहत जिले में पांच साल पूर्व 60 ड्रिंकिंग वाटर प्लांट स्थापित किए गए थे. इस परियोजना पर एक बड़ी सरकारी राशि खर्च हुई थी, लेकिन आज अधिकांश की स्थिति बदहाल है. कुछ प्लांट को छोड़कर लगभग सभी खराब हो चुके हैं.

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क्या है पूरा मामला
चार वर्ष पूर्व पेयजल-स्वच्छता विभाग ने नीर निर्मल परियोजना चलाई थी. इसके अलावा दुमका के 60 गांवों में पेयजल संयंत्र लगाकर लोगों के घर-घर तक पानी पहुंचाने का काम शुरू हुआ था. प्रति प्लांट का खर्च 30 से 35 लाख रुपए थी. शुरुआत में ग्रामीणों को पानी मिला भी, लेकिन देखरेख के अभाव में ये खराब हो गए. अब तो अधिकांश संयंत्र खराब हो चुके हैं.

drinking water plants set up under Neer Nirmal Project in Dumka become useless
चापानल

दुमका के अधिकांश ग्रामीण इलाकों में पानी की समस्या है. गर्मी के दिनों में यह और बढ़ जाती है. जिन गांव में ये प्लांट लगे थे, वहां के लोगों को उम्मीद मिली थी कि अब पानी की सुविधा होगी. लेकिन कुछ महीनों में ही यह खराब हो गया, अब फिर से वे चापाकल-कुंआ पर पानी के लिए निर्भर हो गए हैं.

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ग्रामीणों को हो रही है परेशानी
जिन गांव में यह प्लांट लगने के बावजूद उसका फायदा ग्रामीणों को नहीं मिल रहा है, वहां के ग्रामीणों ने काफी नाराजगी व्यक्त की हैं. ग्रामीणों का कहना है कि इसके रहने का क्या फायदा हम तो दूसरे जगह से पानी भरते हैं.

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पंचायत प्रतिनिधि हैं नाराज
इस संबंध में दुमका जिला परिषद के उपाध्यक्ष असीम मंडल से पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि 10 प्रतिशत ही प्लांट सही है, वे इसे विभाग की बड़ी लापरवाही बताते हैं. उनका कहना कि इसके लिए दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई होनी चाहिए.

ग्रामीण क्षेत्र में लोगों तक पेयजल पहुंचाने के लिए नीर निर्मल परियोजना काफी अच्छी योजना थी. लेकिन सरकारी अनदेखी की वजह से इसकी स्थिति बदहाल हो चुकी है. प्रशासन को चाहिए कि इसे गंभीरता से लें और दुरुस्त कराए, ताकि लोगों को आसानी से पीने का पानी मिल सके.

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