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इस पवित्र महीने में होती है पूरे साल की कमाई, यहां से कोई नहीं जाता खाली हाथ

श्रावणी मेला देवघर के लिए बेहद खास होता है. इस मेले से न सिर्फ लोगों की आस्था जुड़ी हुई है बल्कि यह यहां की अर्थव्यवस्था से भी जुड़ी है. कहा जाता है कि सावन महीने में होने वाली आमदनी से पूरे साल का खर्च चलता है.

श्रावणी मेले में खरीदारी करते लोग
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Published : Jul 24, 2019, 2:43 PM IST


दुमका: सावन में बासुकीनाथ धाम में एक ओर जहां श्रद्धा भक्ति की अविरल धारा बहती है, वहीं दूसरी ओर इससे हजारों लोगों को रोजगार भी प्राप्त होता है. शिवभक्त जलार्पण के बाद बासुकीनाथ मेले में जमकर खरीददारी करते हैं. वे प्रसाद के रूप में पेड़ा, चूड़ा, इलायची दाना, माला-सिंदूर तो लेते ही हैं, अपने बच्चों के लिए खिलौने घर-परिवार के लिए श्रृंगार का सामान लेना भी नहीं भूलते. इससे बाजार में हमेशा रौनक रहती है और दुकानदारों के चेहरे पर मुस्कान बिखरी रहती है. देखा जाए तो यह सावन मेला अकेले ही पूरे वर्षभर के लिए देवघर-दुमका के अर्थव्यवस्था का भार ढोता है.

देखें पूरी खबर
baba basukinath dham, dumka
बाबा बासुकीनाथधाम
सच तो यह है कि बाबा बासुकीनाथ अपने दर पर आने वाले भक्तों को आशीर्वाद तो देते ही हैं साथ ही उनके शरण में जो लोग रोजगार के लिए आते हैं उनकी भी झोली भर देते हैं. यहां से कोई कभी खाली हाथ निराश होकर नहीं लौटता.


दुमका: सावन में बासुकीनाथ धाम में एक ओर जहां श्रद्धा भक्ति की अविरल धारा बहती है, वहीं दूसरी ओर इससे हजारों लोगों को रोजगार भी प्राप्त होता है. शिवभक्त जलार्पण के बाद बासुकीनाथ मेले में जमकर खरीददारी करते हैं. वे प्रसाद के रूप में पेड़ा, चूड़ा, इलायची दाना, माला-सिंदूर तो लेते ही हैं, अपने बच्चों के लिए खिलौने घर-परिवार के लिए श्रृंगार का सामान लेना भी नहीं भूलते. इससे बाजार में हमेशा रौनक रहती है और दुकानदारों के चेहरे पर मुस्कान बिखरी रहती है. देखा जाए तो यह सावन मेला अकेले ही पूरे वर्षभर के लिए देवघर-दुमका के अर्थव्यवस्था का भार ढोता है.

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baba basukinath dham, dumka
बाबा बासुकीनाथधाम
सच तो यह है कि बाबा बासुकीनाथ अपने दर पर आने वाले भक्तों को आशीर्वाद तो देते ही हैं साथ ही उनके शरण में जो लोग रोजगार के लिए आते हैं उनकी भी झोली भर देते हैं. यहां से कोई कभी खाली हाथ निराश होकर नहीं लौटता.
Intro:दुमका -
सावन माह में बासुकीनाथ धाम में एक और जहां श्रद्धा भक्ति की अविरल धारा बहती है । वहीं दूसरी ओर यहां हजारों लोगों को रोजगार भी प्राप्त होता है । शिवभक्त बाबा को जलार्पण के बाद सीधे बासुकीनाथ में लगे मेले में जाकर जमकर खरीददारी करते हैं । यहां से वे प्रसाद के रूप में पेड़ा, चूड़ा , इलायची दाना ,माला सिंदूर के साथ-साथ बच्चों के खिलौने और अन्य सामान लेते हैं ।


Body:क्या कहते हैं श्रद्धालु ।
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श्रावणी मेले में खरीदारी कर रहे हैं श्रद्धालुओं का कहना है कि जब वे यहां से अपने घर लौटेंगे तो परिवार रिश्तेदार आस-पड़ोस के लोगों के लिए प्रसाद के रूप में यह सब ले जा रहे हैं और उनको देंगे । साथ ही साथ बच्चों को भी इंतजार रहता है कि उनके पापा, चाचा , भैया , मामा मामी नाना नानी जल चढ़ाने गए हैं तो हमारे लिए भी वहां से पेड़ा खिलौना आएगा ही ।

बाईट - पिंटू , श्रद्धालू
बाईट - अमर चौधरी, श्रद्धालू


Conclusion:क्या कहते हैं दुकानदार ।
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इस मेले में झारखंड ,बिहार , पश्चिम बंगाल के साथ साथ देश के कई इलाकों से लोग व्यवसाय के लिए आते हैं । दुकानदारों को इस सावन का इंतजार पूरे वर्ष रहता है । कहा जाता है कि एक सावन माह की कमाई से उन्हें पूरे वर्ष का रोजगार प्राप्त होता है । बासुकीनाथ में सिंदूर बेचने आए पटना की रानी देवी कहती हैं कि हर साल आते हैं अच्छा व्यवसाय होता है और एक माह बाबा के शरण में रहते हैं और मेला भी देख लेते हैं ।

बाईट - रानी देवी , दुकानदार
बाईट - जितेन्द्र लहरी, दुकानदार

फाइनल वीओ -
बाबा बासुकीनाथ अपने भक्तों को आशीर्वाद तो देते ही हैं साथ ही उनके शरण में जो लोग रोजगार के लिए आते हैं उनकी भी झोली भर देते हैं और वे खुशी-खुशी अपने घर लौटते हैं।
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