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'लाइब्रेरी' बनी असामाजिक तत्वों का अड्डा! दो दशक से है अधूरी

दुमका में सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के अंतर्गत संथालपरगना महाविद्यालय परिसर में लाइब्रेरी का निर्माण कार्य शुरू किया गया था, लेकिन आज तक इसका काम पूरा नहीं हो सका. इसकी वजह से छात्र-छात्राओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है. प्रिंसिपल का कहना कि इस मामले में विश्वविद्यालय को पत्राचार दिया गया है.

construction of library in dumka
लाइब्रेरी का निर्माण कार्य
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Published : Oct 1, 2020, 1:49 PM IST

दुमकाः झारखंड की उपराजधानी दुमका राज्य की राजधानी रांची से लगभग 300 किलोमीटर दूर है. शायद यही वजह है कि विकास योजना की मॉनिटरिंग वरीय अधिकारी सही ढंग से नहीं करते. विकास योजना पूर्ण हुई या नहीं, उसके उद्देश्य धरातल पर उतरे या नहीं, इसे देखने की कोई जहमत नहीं उठाते. दुमका स्थित सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के अंतर्गत संथालपरगना महाविद्यालय परिसर में 13 वर्ष पहले 56 लाख की राशि से छात्र-छात्राओं के लिए एक लाइब्रेरी का निर्माण शुरू हुआ, लेकिन आज तक इसका काम पूरा नहीं हो सका, जिससे स्टूडेंट्स को काफी असुविधा हो रही है. अब यह अधूरा भवन असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है. इसके साथ ही विश्वविद्यालय द्वारा बनाए जा रहे हैं एक मल्टीपर्पज बिल्डिंग का निर्माण पिछले एक दशक से अधूरा है. यह दोनों भवन कॉलेज के छात्र-छात्राओं के लिए काफी लाभकारी होते, लेकिन ऐसा हो नहीं सका.

देखें स्पेशल स्टोरी
लाइब्रेरी का निर्माण कार्य बरसों से अधूरा
संथालपरगना महाविद्यालय की स्थापना 1960 के आस-पास हुई थी. यह एसकेएम विश्वविद्यालय का प्रीमियम कॉलेज माना जाता है. यहां छात्र छात्राओं के लिए बेहतर लाइब्रेरी हो इसके लिए 2007 में 56 लाख रुपये की लागत से एक बृहत लाइब्रेरी की योजना बनी. 2010 में इसके लिए 27 लाख रुपये आवंटित हुए. बाद में जब बची राशि नहीं आई तो संवेदक ने काम रोक दिया. 2010 में आई प्रथम किस्त 27 लाख के बाद 8 साल के अंतराल में 2018 में 27 लाख की दूसरी किस्त आई, लेकिन तब तक संवेदक ने यह कहते हुए काम बंद कर दिया था कि 13 साल पुरानी इस्टीमेट है. इस्टीमेट रिवाइज कराईए तब काम कर सकूंगा. 2018 में आई 27 लाख की राशि कॉलेज के पास जमा है और लाईब्रेरी अधूरी है. इस लापरवाही का खामियाजा छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ा और लाइब्रेरी बनी ही नहीं जिसका फायदा स्टूडेंट्स को नहीं मिला.
मल्टीपर्पस बिल्डिंग भी अधूरी
संथाल परगना महाविद्यालय कॉलेज के जमीन पर एसकेएम द्वारा एक करोड़ की राशि से मल्टीपर्पस बिल्डिंग बनाई जा रही थी. इस भवन का इस्तेमाल कई कार्यों के लिए होना था. इसमें परीक्षा का भी आयोजन किया जाता. अक्सर देखा जाता है कि परीक्षा के समय महाविद्यालय के क्लासेस बंद कर दिए जाते हैं, लेकिन इस भवन के पूर्ण हो जाने से ऐसा नहीं होता. वहीं, कॉलेज में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता, लेकिन आज तक यह भवन पूरा ही नहीं हुआ.

इसे भी पढ़ें- रांचीः पुरानी तारीख से मजदूरी बढ़ाने पर चैंबर को ऐतराज, श्रमायुक्त से बताई समस्या

भवनों के निर्माण में काफी लापरवाही
इस संबंध में छात्र नेता सह एसकेएम यूनिवर्सिटी के सिंडिकेट सदस्य गुंजन मरांडी का कहना है कि इन भवनों के निर्माण में काफी लापरवाही बरती गई है. वर्षों से यह अधूरा पड़ा हुआ है, अगर यह बन जाते तो छात्र हित रहता. वे सरकार से इस पर पहल करने की मांग कर रहे हैं.

लाइब्रेरी कॉलेज की आत्मा
संथालपरगना महाविद्यालय के प्रिंसिपल संजय कुमार सिन्हा ने बताया कि लाइब्रेरी कॉलेज की आत्मा होती है, जहां विद्यार्थियों को काफी ज्ञान प्राप्त होता है, लेकिन यह एक दशक में भी पूरा नहीं हो सका. इसके लिए विश्वविद्यालय से कई बार पत्राचार कर अनुरोध किया कि इसके निर्माण में जो भी बाधाएं उसे दूर कर इसे पूर्ण कराया जाए. वहीं, मल्टीपर्पस बिल्डिंग के बारे में उनका कहना है कि यह भवन भले ही हमारे कैंपस में बन रहा है, लेकिन विश्वविद्यालय इसका निर्माण कार्य करवा रहा है.

बेहतर आधारभूत संरचना से बेहतर माहौल का होता निर्माण
किसी भी शैक्षणिक संस्थान में अगर वहां की आधारभूत संरचना बेहतर रहती है तो शिक्षा का माहौल बेहतर होता है. दुमका के सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय में आधारभूत संरचना बेहतर करने का प्रयास तो हुआ, लेकिन यह धरातल पर उतर नहीं सका. इससे विद्यार्थी सही लाभ से वंचित रह गए. यहां सार्थक प्रयास की आवश्यकता है ताकि वर्षों से अधूरे इन भवनों का निर्माण पूर्ण हो सके.

दुमकाः झारखंड की उपराजधानी दुमका राज्य की राजधानी रांची से लगभग 300 किलोमीटर दूर है. शायद यही वजह है कि विकास योजना की मॉनिटरिंग वरीय अधिकारी सही ढंग से नहीं करते. विकास योजना पूर्ण हुई या नहीं, उसके उद्देश्य धरातल पर उतरे या नहीं, इसे देखने की कोई जहमत नहीं उठाते. दुमका स्थित सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के अंतर्गत संथालपरगना महाविद्यालय परिसर में 13 वर्ष पहले 56 लाख की राशि से छात्र-छात्राओं के लिए एक लाइब्रेरी का निर्माण शुरू हुआ, लेकिन आज तक इसका काम पूरा नहीं हो सका, जिससे स्टूडेंट्स को काफी असुविधा हो रही है. अब यह अधूरा भवन असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है. इसके साथ ही विश्वविद्यालय द्वारा बनाए जा रहे हैं एक मल्टीपर्पज बिल्डिंग का निर्माण पिछले एक दशक से अधूरा है. यह दोनों भवन कॉलेज के छात्र-छात्राओं के लिए काफी लाभकारी होते, लेकिन ऐसा हो नहीं सका.

देखें स्पेशल स्टोरी
लाइब्रेरी का निर्माण कार्य बरसों से अधूरा
संथालपरगना महाविद्यालय की स्थापना 1960 के आस-पास हुई थी. यह एसकेएम विश्वविद्यालय का प्रीमियम कॉलेज माना जाता है. यहां छात्र छात्राओं के लिए बेहतर लाइब्रेरी हो इसके लिए 2007 में 56 लाख रुपये की लागत से एक बृहत लाइब्रेरी की योजना बनी. 2010 में इसके लिए 27 लाख रुपये आवंटित हुए. बाद में जब बची राशि नहीं आई तो संवेदक ने काम रोक दिया. 2010 में आई प्रथम किस्त 27 लाख के बाद 8 साल के अंतराल में 2018 में 27 लाख की दूसरी किस्त आई, लेकिन तब तक संवेदक ने यह कहते हुए काम बंद कर दिया था कि 13 साल पुरानी इस्टीमेट है. इस्टीमेट रिवाइज कराईए तब काम कर सकूंगा. 2018 में आई 27 लाख की राशि कॉलेज के पास जमा है और लाईब्रेरी अधूरी है. इस लापरवाही का खामियाजा छात्र-छात्राओं को भुगतना पड़ा और लाइब्रेरी बनी ही नहीं जिसका फायदा स्टूडेंट्स को नहीं मिला.
मल्टीपर्पस बिल्डिंग भी अधूरी
संथाल परगना महाविद्यालय कॉलेज के जमीन पर एसकेएम द्वारा एक करोड़ की राशि से मल्टीपर्पस बिल्डिंग बनाई जा रही थी. इस भवन का इस्तेमाल कई कार्यों के लिए होना था. इसमें परीक्षा का भी आयोजन किया जाता. अक्सर देखा जाता है कि परीक्षा के समय महाविद्यालय के क्लासेस बंद कर दिए जाते हैं, लेकिन इस भवन के पूर्ण हो जाने से ऐसा नहीं होता. वहीं, कॉलेज में होने वाले सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन होता, लेकिन आज तक यह भवन पूरा ही नहीं हुआ.

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भवनों के निर्माण में काफी लापरवाही
इस संबंध में छात्र नेता सह एसकेएम यूनिवर्सिटी के सिंडिकेट सदस्य गुंजन मरांडी का कहना है कि इन भवनों के निर्माण में काफी लापरवाही बरती गई है. वर्षों से यह अधूरा पड़ा हुआ है, अगर यह बन जाते तो छात्र हित रहता. वे सरकार से इस पर पहल करने की मांग कर रहे हैं.

लाइब्रेरी कॉलेज की आत्मा
संथालपरगना महाविद्यालय के प्रिंसिपल संजय कुमार सिन्हा ने बताया कि लाइब्रेरी कॉलेज की आत्मा होती है, जहां विद्यार्थियों को काफी ज्ञान प्राप्त होता है, लेकिन यह एक दशक में भी पूरा नहीं हो सका. इसके लिए विश्वविद्यालय से कई बार पत्राचार कर अनुरोध किया कि इसके निर्माण में जो भी बाधाएं उसे दूर कर इसे पूर्ण कराया जाए. वहीं, मल्टीपर्पस बिल्डिंग के बारे में उनका कहना है कि यह भवन भले ही हमारे कैंपस में बन रहा है, लेकिन विश्वविद्यालय इसका निर्माण कार्य करवा रहा है.

बेहतर आधारभूत संरचना से बेहतर माहौल का होता निर्माण
किसी भी शैक्षणिक संस्थान में अगर वहां की आधारभूत संरचना बेहतर रहती है तो शिक्षा का माहौल बेहतर होता है. दुमका के सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय में आधारभूत संरचना बेहतर करने का प्रयास तो हुआ, लेकिन यह धरातल पर उतर नहीं सका. इससे विद्यार्थी सही लाभ से वंचित रह गए. यहां सार्थक प्रयास की आवश्यकता है ताकि वर्षों से अधूरे इन भवनों का निर्माण पूर्ण हो सके.

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