दुमकाः झारखंड की उपराजधानी दुमका राज्य की राजधानी रांची से लगभग 300 किलोमीटर दूर है. शायद यही वजह है कि विकास योजना की मॉनिटरिंग वरीय अधिकारी सही ढंग से नहीं करते. विकास योजना पूर्ण हुई या नहीं, उसके उद्देश्य धरातल पर उतरे या नहीं, इसे देखने की कोई जहमत नहीं उठाते. दुमका स्थित सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय के अंतर्गत संथालपरगना महाविद्यालय परिसर में 13 वर्ष पहले 56 लाख की राशि से छात्र-छात्राओं के लिए एक लाइब्रेरी का निर्माण शुरू हुआ, लेकिन आज तक इसका काम पूरा नहीं हो सका, जिससे स्टूडेंट्स को काफी असुविधा हो रही है. अब यह अधूरा भवन असामाजिक तत्वों का अड्डा बन गया है. इसके साथ ही विश्वविद्यालय द्वारा बनाए जा रहे हैं एक मल्टीपर्पज बिल्डिंग का निर्माण पिछले एक दशक से अधूरा है. यह दोनों भवन कॉलेज के छात्र-छात्राओं के लिए काफी लाभकारी होते, लेकिन ऐसा हो नहीं सका.
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भवनों के निर्माण में काफी लापरवाही
इस संबंध में छात्र नेता सह एसकेएम यूनिवर्सिटी के सिंडिकेट सदस्य गुंजन मरांडी का कहना है कि इन भवनों के निर्माण में काफी लापरवाही बरती गई है. वर्षों से यह अधूरा पड़ा हुआ है, अगर यह बन जाते तो छात्र हित रहता. वे सरकार से इस पर पहल करने की मांग कर रहे हैं.
लाइब्रेरी कॉलेज की आत्मा
संथालपरगना महाविद्यालय के प्रिंसिपल संजय कुमार सिन्हा ने बताया कि लाइब्रेरी कॉलेज की आत्मा होती है, जहां विद्यार्थियों को काफी ज्ञान प्राप्त होता है, लेकिन यह एक दशक में भी पूरा नहीं हो सका. इसके लिए विश्वविद्यालय से कई बार पत्राचार कर अनुरोध किया कि इसके निर्माण में जो भी बाधाएं उसे दूर कर इसे पूर्ण कराया जाए. वहीं, मल्टीपर्पस बिल्डिंग के बारे में उनका कहना है कि यह भवन भले ही हमारे कैंपस में बन रहा है, लेकिन विश्वविद्यालय इसका निर्माण कार्य करवा रहा है.
बेहतर आधारभूत संरचना से बेहतर माहौल का होता निर्माण
किसी भी शैक्षणिक संस्थान में अगर वहां की आधारभूत संरचना बेहतर रहती है तो शिक्षा का माहौल बेहतर होता है. दुमका के सिदो कान्हू मुर्मू विश्वविद्यालय में आधारभूत संरचना बेहतर करने का प्रयास तो हुआ, लेकिन यह धरातल पर उतर नहीं सका. इससे विद्यार्थी सही लाभ से वंचित रह गए. यहां सार्थक प्रयास की आवश्यकता है ताकि वर्षों से अधूरे इन भवनों का निर्माण पूर्ण हो सके.