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एक ऐसा सीएम सचिवालय कैंप कार्यालय, जहां जनता की कभी नहीं हुई सुनवाई, अब भवन हुआ जर्जर

दुमका में 2006 में सीएम सचिवालय कैंप कार्यालय (CM Secretariat Camp Office) का स्थापना किया गया, लेकिन आज तक इस कार्यालय में जनता का सीएम से सीधे संवाद नहीं हो सका. कार्यालय में मुख्यमंत्री से लेकर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, आप्त सचिव सभी के चैम्बर हैं. यहां लाखों रुपए खर्च कर एक सुसज्जित हॉल का निर्माण कराया गया है. लाखों के फर्नीचर खरीदे गए. कंप्यूटर भी लगाए गए हैं, लेकिन अब सब कुछ बेकार पड़ा है.

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Published : Sep 3, 2021, 10:13 PM IST

Updated : Sep 3, 2021, 10:26 PM IST

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सीएम सचिवालय कैंप कार्यालय जर्जर

दुमका: झारखंड की राजधानी रांची से संथालपरगना प्रमंडल के जिलों की दूरी लगभग 350 से 400 किलोमीटर है. लोगों की बात सीधे सीएम तक पहुंचे इस उद्येश्य से 2006 में उपराजधानी दुमका में सीएम सचिवालय कैंप कार्यालय (CM Secretariat Camp Office) स्थापित किया गया. कार्यालय तो खुल गया, लेकिन यह अपने उद्देश्यों की पूर्ति करने में विफल साबित हुआ.

इसे भी पढ़ें: दुमका: उप राजधानी के कई सरकारी भवन जर्जर, दहशत के साए में काम कर रहे कर्मचारी



दुमका के सीएम सचिवालय कैंप कार्यालय में मुख्यमंत्री से लेकर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, आप्त सचिव सभी के चैम्बर हैं. यहां लाखों रुपए खर्च कर एक सुसज्जित हॉल का निर्माण कराया गया है. लाखों के फर्नीचर खरीदे गए. कंप्यूटर भी लगाए गए हैं, लेकिन अब सब कुछ बेकार पड़ा है. साल 2006 से 2019 के बीच मुख्यमंत्री के तौर पर अर्जुन मुंडा. उसके बाद 14 महीने के कार्यकाल तक हेमंत सोरेन, फिर रघुवर दास रहे. रघुवर दास दो अवसरों पर कार्यालय भी पहुंचे, लेकिन जनता से मिलने या उनकी समस्या सुनने का कोई कार्यक्रम नहीं था.

देखें स्पेशल स्टोरी

20 महीने के कार्यकाल में सीएम हेमंत भी नहीं पहुंचे कैंप कार्यालय

साल 2019 के अंत में जब एक बार फिर से राज्य की बागडोर हेमंत सोरेन ने संभाला है. उनके कार्यकाल का 20 महीना हो चुका है, लेकिन एक बार भी उनके कदम इस सीएम कैंप कार्यालय में नहीं पड़े हैं. जिस कार्य के लिए यह कार्यालय बनाया गया, वो कार्य आज तक इस कार्यालय में नहीं हुआ. आज यह कार्यालय वीरान पड़ा है.

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सुनसान कार्यालय

इसे भी पढ़ें: लोहरदगा बिजली विभाग को झटके दे रही बारिश, पानी-पानी हो रहा दफ्तर



कार्यालय भवन हो चुका है जर्जर

अगर किसी भी चीज का इस्तेमाल न करें तो वह बदहाली के कगार पर पहुंच जाता है. दुमका के सीएम सचिवालय कैंप कार्यालय का भी यही हाल है. देखरेख के अभाव यह पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. कार्यालय में जो लाखों के फर्नीचर रखे गए हैं, वह कबाड़ के रूप में तब्दील हो गया है. कंप्यूटर भी धूल फांक रहा है. वहीं कार्यालय भवन के दीवारों पर भी पेड़ उगने लगे हैं.

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बर्बाद हो रहे फर्नीचर




सिर्फ एक आदेशपाल के भरोसे है कार्यालय

दुमका में स्थापित मुख्यमंत्री सचिवालय कैंप कार्यालय के प्रति सरकार का रवैया कितना उदासीन है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्तमान में यह कार्यालय सिर्फ एक आदेशपाल के भरोसे है. वह हर दिन ड्यूटी पर आते हैं, कार्यालय खोलते हैं और फिर शाम में वापस लौट जाते हैं. कार्यालय के बदहाली से वो भी काफी निराश हैं. उन्होंने बताया कि अब तो अपनी समस्या लेकर लोगों ने आना भी छोड़ दिया है. पहले आते भी थे तो हम उन्हें जिला प्रशासन के पास भेज देते थे.

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कार्यालय के दीवार पर पेड़

इसे भी पढ़ें: दुमका में इस सरकारी कार्यालय के कर्मचारियों को जान का खतरा, कभी भी ढह सकता है जर्जर भवन

आदेशपाल पर 10 लाख रुपये सलाना खर्च

आदेशपाल मनोज कुमार दास ने कार्यालय भवन के जर्जर होने के सवाल पर कहा कि हमने लिखित रूप से इसकी जानकारी अपने वरीय अधिकारी को दी है, जो भी होना है उन्हीं के स्तर पर होना है. कार्यालय में पदस्थापित आदेशपाल झारखंड पुलिस का एक जवान है. उनका वेतन लगभग 10 लाख रुपये सलाना है, लेकिन इनपुट जीरो है.

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खाली कुर्सी



स्थानीय लोगों में निराशा

सीएम सचिवालय कैंप कार्यालय के खुलने से स्थानीय लोगों में काफी खुशी थी. उन्हें उम्मीद थी कि अब हम अपनी बात सीधे तौर पर मुख्यमंत्री के पास रख सकते हैं, लेकिन सारी उम्मीदें धरी की धरी रह गई. इस कैंप कार्यालय से जनता को कोई लाभ नहीं हुआ. लोगों ने बताया कि मुख्यमंत्री कार्यालय से हमें काफी उम्मीदें थी, लेकिन कभी पूरा नहीं हुआ. आज भी लोग मांग करते हैं कि इसे जिस उद्देश्य से खोला गया था, उसपर अमल होना चाहिए.

इसे भी पढ़ें: जामताड़ा: जर्जर पुराने भवन में चल रहा है कल्याण विभाग का अस्पताल, डॉक्टर नदारद



सरकार अब भी दे ध्यान तो जनता के आए काम

2006 में खुला यह सीएम कैंप कार्यालय आज तक अपनी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सका, लेकिन वर्तमान के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अगर इस ओर अगर ध्यान दें तो फिर से जनता की उम्मीद जग जाएगी. हेमंत सोरेन संथालपरगना प्रमंडल के साहिबगंज जिला के बरहेट विधानसभा से ही विधायक हैं. ऐसे में उन्हें अपने कार्यालय के प्रति गंभीरता दिखानी चाहिए और जल्द से जल्द इसे फिर से दुरुस्त कर चालू करना चाहिए. जिससे लोगों को इसका लाभ मिल सके.

दुमका: झारखंड की राजधानी रांची से संथालपरगना प्रमंडल के जिलों की दूरी लगभग 350 से 400 किलोमीटर है. लोगों की बात सीधे सीएम तक पहुंचे इस उद्येश्य से 2006 में उपराजधानी दुमका में सीएम सचिवालय कैंप कार्यालय (CM Secretariat Camp Office) स्थापित किया गया. कार्यालय तो खुल गया, लेकिन यह अपने उद्देश्यों की पूर्ति करने में विफल साबित हुआ.

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दुमका के सीएम सचिवालय कैंप कार्यालय में मुख्यमंत्री से लेकर मुख्य सचिव, प्रधान सचिव, आप्त सचिव सभी के चैम्बर हैं. यहां लाखों रुपए खर्च कर एक सुसज्जित हॉल का निर्माण कराया गया है. लाखों के फर्नीचर खरीदे गए. कंप्यूटर भी लगाए गए हैं, लेकिन अब सब कुछ बेकार पड़ा है. साल 2006 से 2019 के बीच मुख्यमंत्री के तौर पर अर्जुन मुंडा. उसके बाद 14 महीने के कार्यकाल तक हेमंत सोरेन, फिर रघुवर दास रहे. रघुवर दास दो अवसरों पर कार्यालय भी पहुंचे, लेकिन जनता से मिलने या उनकी समस्या सुनने का कोई कार्यक्रम नहीं था.

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20 महीने के कार्यकाल में सीएम हेमंत भी नहीं पहुंचे कैंप कार्यालय

साल 2019 के अंत में जब एक बार फिर से राज्य की बागडोर हेमंत सोरेन ने संभाला है. उनके कार्यकाल का 20 महीना हो चुका है, लेकिन एक बार भी उनके कदम इस सीएम कैंप कार्यालय में नहीं पड़े हैं. जिस कार्य के लिए यह कार्यालय बनाया गया, वो कार्य आज तक इस कार्यालय में नहीं हुआ. आज यह कार्यालय वीरान पड़ा है.

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कार्यालय भवन हो चुका है जर्जर

अगर किसी भी चीज का इस्तेमाल न करें तो वह बदहाली के कगार पर पहुंच जाता है. दुमका के सीएम सचिवालय कैंप कार्यालय का भी यही हाल है. देखरेख के अभाव यह पूरी तरह से जर्जर हो चुका है. कार्यालय में जो लाखों के फर्नीचर रखे गए हैं, वह कबाड़ के रूप में तब्दील हो गया है. कंप्यूटर भी धूल फांक रहा है. वहीं कार्यालय भवन के दीवारों पर भी पेड़ उगने लगे हैं.

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सिर्फ एक आदेशपाल के भरोसे है कार्यालय

दुमका में स्थापित मुख्यमंत्री सचिवालय कैंप कार्यालय के प्रति सरकार का रवैया कितना उदासीन है. इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्तमान में यह कार्यालय सिर्फ एक आदेशपाल के भरोसे है. वह हर दिन ड्यूटी पर आते हैं, कार्यालय खोलते हैं और फिर शाम में वापस लौट जाते हैं. कार्यालय के बदहाली से वो भी काफी निराश हैं. उन्होंने बताया कि अब तो अपनी समस्या लेकर लोगों ने आना भी छोड़ दिया है. पहले आते भी थे तो हम उन्हें जिला प्रशासन के पास भेज देते थे.

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कार्यालय के दीवार पर पेड़

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आदेशपाल पर 10 लाख रुपये सलाना खर्च

आदेशपाल मनोज कुमार दास ने कार्यालय भवन के जर्जर होने के सवाल पर कहा कि हमने लिखित रूप से इसकी जानकारी अपने वरीय अधिकारी को दी है, जो भी होना है उन्हीं के स्तर पर होना है. कार्यालय में पदस्थापित आदेशपाल झारखंड पुलिस का एक जवान है. उनका वेतन लगभग 10 लाख रुपये सलाना है, लेकिन इनपुट जीरो है.

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स्थानीय लोगों में निराशा

सीएम सचिवालय कैंप कार्यालय के खुलने से स्थानीय लोगों में काफी खुशी थी. उन्हें उम्मीद थी कि अब हम अपनी बात सीधे तौर पर मुख्यमंत्री के पास रख सकते हैं, लेकिन सारी उम्मीदें धरी की धरी रह गई. इस कैंप कार्यालय से जनता को कोई लाभ नहीं हुआ. लोगों ने बताया कि मुख्यमंत्री कार्यालय से हमें काफी उम्मीदें थी, लेकिन कभी पूरा नहीं हुआ. आज भी लोग मांग करते हैं कि इसे जिस उद्देश्य से खोला गया था, उसपर अमल होना चाहिए.

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सरकार अब भी दे ध्यान तो जनता के आए काम

2006 में खुला यह सीएम कैंप कार्यालय आज तक अपनी उम्मीदों पर खरा नहीं उतर सका, लेकिन वर्तमान के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अगर इस ओर अगर ध्यान दें तो फिर से जनता की उम्मीद जग जाएगी. हेमंत सोरेन संथालपरगना प्रमंडल के साहिबगंज जिला के बरहेट विधानसभा से ही विधायक हैं. ऐसे में उन्हें अपने कार्यालय के प्रति गंभीरता दिखानी चाहिए और जल्द से जल्द इसे फिर से दुरुस्त कर चालू करना चाहिए. जिससे लोगों को इसका लाभ मिल सके.

Last Updated : Sep 3, 2021, 10:26 PM IST
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