दुमकाः उपराजधानी की महिलाओं पर एक बार फिर बाबा की कृपा बरसने लगी है. कोरोनाकाल में बासुकीनाथ मंदिर में पूजा-अर्चना बंद होने से ठप हुआ बासुकी अगरबत्ती का निर्माण कार्य (Basuki incense sticks manufacturing work in Dumka) फिर से शुरू हो गया है. खाली समय में बाबा पर चढ़े बेलपत्र-फूल से अगरबत्ती बनाकर स्वयं सहायता समूह की महिलाएं आजीविका तो जुटा ही रहीं हैं. बासुकीनाथ मंदिर की सफाई में योगदान कर पुण्यलाभ भी कमा रहीं हैं.
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यह है पूरा मामला
बता दें कि कुछ साल पहले दुमका के तत्कालीन उपायुक्त मुकेश कुमार ने बासुकीनाथ धाम में श्रद्धालुओं की ओर से चढ़ाए गए फूल एवं बेलपत्र को फेंकने की बजाय इसके इस्तेमाल की योजना बनाई थी. इसके लिए मुकेश कुमार ने मंदिर के फूल-बेलपत्र से बासुकी ब्रांड अगरबत्ती (Basuki agarbatti manufacturing work in Dumka) का निर्माण कार्य शुरू कराया. इससे स्थानीय महिलाओं को आजीविका जुटाने में तो मदद मिली ही श्रद्धालुओं की फूल बेलपत्र का दोबारा उपयोग भी सुनिश्चित हुआ. इससे देशभर में इस बासुकी ब्रांड अगरबत्ती की चर्चा हुई थी. इधर कोरोना संक्रमण के कारण मंदिर बंद हुआ तो अगरबत्ती उत्पादन कार्य भी शिथिल पड़ गया. मंदिर खुलने के बाद एक बार फिर से बासुकी अगरबत्ती उद्योग को कच्चा माल मिलने लगा और अगरबत्ती उत्पादन आरंभ हो गया है. इससे स्थानीय महिलाओं को रोजगार मिलने लगा है.
महिलाओं को दिलाई गई विशेष ट्रेनिंग
इन दिनों जरमुंडी प्रखंड के बेदिया गांव में जेएसएलपीएस की ओर से संचालित सखी मंडल की महिलाएं बासुकीनाथ धाम में श्रद्धालुओं की ओर से चढ़ाए गए फूल बेलपत्र की मदद से बासुकी ब्रांड अगरबत्ती का उत्पादन कर रहीं हैं. इसे स्थानीय महिलाओं को रोजगार मिल रहा है. सखी मंडल की दीदियों ने बताया कि इसके लिए स्थानीय महिलाओं को सरकार के माध्यम से अगरबत्ती निर्माण के लिए विशेष ट्रेनिंग दिलाई गई है और अगरबत्ती निर्माण से संबंधित जरूरी उपकरण उपलब्ध कराए गए हैं. अगरबत्ती निर्माण के लिए इन महिलाओं को कच्ची सामग्री उपलब्ध कराई जा रही है.
जेएसएलपीएस करती है बिक्री
जेएसएलपीएस की स्थानीय इकाई सखी मंडल की ओर से तैयार माल को खरीद कर बाजार में बेचती है. जेएसएलपीएस के बीपीएम वरुण कुमार शर्मा ने बताया कि सखी मंडल के महिलाओं को रोजगार प्रदान करने के लिए बासुकी ब्रांड अगरबत्ती का उत्पादन कराया जा रहा है. इस अगरबत्ती की स्थानीय स्तर पर काफी डिमांड है. नगर पंचायत बासुकीनाथ के कार्यपालक पदाधिकारी आशुतोष ओझा ने बताया कि बाबा बासुकीनाथ धाम में हर रोज हजारों श्रद्धालु पूजा पाठ करने आते हैं. श्रद्धालुओं को आरती के लिए अगरबत्ती की जरूरत होती है, ऐसे में बासुकी अगरबत्ती उद्योग ग्रामीण बेरोजगार महिलाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए एक अच्छा माध्यम नजर आ रहा है. इसी के साथ फूल-बेलपत्र की रिसाइक्लिंग हो जाने से साफ-सफाई भी बनी रहती है.
छह सब सेंटर्स पर होता है कच्चा माल तैयार
सखी मंडल की महिला जिले के जरमुंडी ब्लॉक के छह सब सेंटर्स पर बासुकी अगरबत्ती का कच्चा माल तैयार किया जाता है. इसे महिलाएं 65 रुपये प्रति किलो की दर से खरीदती हैं और सेंट वगैरह मिलाकर पैकेजिंग करती हैं. बाद में इसे बासुकी भवन ले जाया जाता है. यहीं से मार्केटिंग और बिक्री का काम होता है.