दुमकाः शहर से 12 किलोमीटर दूर स्थित है प्रसिद्ध धार्मिक स्थल बाबा चुटोनाथ मंदिर. जहां रोजाना झारखंड के साथ-साथ बिहार और पश्चिम बंगाल के सैकड़ों श्रद्धालु पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं. परिसर में भगवान शिव, देवी पार्वती, मां काली सहित कई देवी देवताओं के मंदिर हैं. इसके साथ ही चुटो पहाड़ थान भी है, जहां लोग मन्नत मांगते हैं. इस स्थल को धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने की थी. यह घोषणा फाइलों में दबी है और मंदिर परिसर की स्थिति जस की तस बनी हुई है.
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बाबा चुटोनाथ के उत्पत्ति की है धार्मिक मान्यता
बाबा चुटोनाथ मंदिर की उत्पत्ति की धार्मिक मान्यता है. मंदिर के पुरोहित कृष्णानंद पांडे बताते हैं कि करीब 350 से 400 वर्ष पुरानी बात है. इस मंदिर से 15-20 मील दूर चुटो महतो नामक एक चरवाहा रहा करता था. उनके पास बड़ी संख्या में मवेशी थे. एक बार सभी मवेशी चरते चरते दूर निकल गए. मवेशियों को तीन-चार दिनों तक खोजता रहा, लेकिन मवेशी नहीं मिले. चुटो महतो हैरान परेशान होकर पेड़ के नीचे सो गया, तो स्वप्न में भगवान शिव आये और कहा कि तुम सोये हो और तुम्हारे बगल में मिट्टी और पत्ते के नीचे मैं दबा हूं. मुझे निकालो. पुरोहित ने कहा कि इस स्वप्न के बाद चुटो की नींद खुली और बगल की जमीन खोदने लगा, तो एक शिवलिंग निकला. उन्होंने कहा कि चुटो ने श्रद्धापूर्वक शिवलिंग की पूजा की, तो उनके खोए सभी मवेशी पहुंच गए. इसके बाद यह शिवलिंग देखते-देखते बाबा चुटोनाथ के नाम से प्रसिद्ध हो गया.
नहीं हैं मूलभूत सुविधाएं
बाबा चुटोनाथ के प्रति लोगों की असीम आस्था है. सच्चे मन से जो भी यहां मन्नत मांगते हैं, उनकी मनोकामना जरूर पूरी होती है. इससे मंदिर में हमेशा श्रद्धालुओं की भीड़ लगी रहती है. इसके बावजूद मंदिर परिसर में मूलभूत सुविधाएं नहीं हैं. स्थिति यह है धर्मशाला या ठहरने की व्यवस्था नहीं नहीं है. मंदिर आने वाले श्रद्धालु स्थानीय लोगों की झोपड़ी में रहने को मजबूर होते हैं. इतना ही नहीं, मंदिर परिसर में ना हीं पीने के पानी और न हीं शौचालय और लाइटिंग की बेहतर व्यवस्था है.
क्या कहते हैं स्थानीय सांसद
सांसद सुनील सोरेन ने कहा कि चुटोनाथ मंदिर का विकास प्राथमिकता में है. इसको लेकर कुछ माह पहले ही भारत सरकार के पर्यटन मंत्री से मिले और चुटोनाथ मंदिर का विकास करने का आग्रह. उन्होंने कहा कि राज्य में रघुवर दास की सरकार थी, तो मंदिर के विकास की योजना बनाई गई थी. इस योजना को पूरा करने के लिए कागजी प्रक्रियाएं पूरी की गई थी. लेकिन, अब हेमंत सरकार में फाइल दब गई है.