दुमकाः राज्य सरकार विकास और जनकल्याण से संबंधित नई-नई योजनाएं बनाती है और करोड़ों रुपये खर्च कर योजना को धरातल पर उतारती है. लेकिन, जनकल्याणकारी योजनाओं की प्रॉपर निगरानी नहीं होती. जिससे योजनाएं धीरे-धीरे दम तोड़ने लगती है. कुछ ऐसा ही हुआ है कुरुआ पहाड़ पर स्थित बॉटनिकल पार्क से साथ. बॉटनिकल पार्क निगरानी और मेंटेनेंस के अभाव में चारागाह बन गया है. इस जर्जर पार्क को सुदृढ़ करने के बदले अब हर्बल पार्क विकसित करने की घोषणा की गई है.
यह भी पढ़ेंः कटीली झाड़ियों में तब्दील हो गया दुमका का बॉटनिकल गार्डन, प्रशासन ने मोड़ ली मुंह
सितंबर माह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दुमका में हर्बल पार्क स्थापित करने की घोषणा की. इस घोषणा के बाद जिला प्रशासन की ओर से काम भी शुरू कर दिया गया है. उपायुक्त रविशंकर शुक्ला ने बताया कि पार्क को लेकर जमीन चिन्हित किया जा रहा है. भूखंड चिन्हित होने के बाद पार्क बनाने का काम शुरू कर दिया जाएगा.
पहाड़ के ऊपर बनाया गया था आकर्षक पार्क
वर्ष 1994 में कुरुआ पहाड़ के ऊपर बॉटनिकल पार्क स्थापित किया गया. जिसका नाम सृष्टि वानस्पतिक उद्यान रखा गया. इस पार्क का उद्घाटन तत्कालीन केंद्रीय ग्रामीण विकास राज्य मंत्री रामेश्वर ठाकुर और बिहार के राज्यपाल एआर किदवई ने किया था. लाखों रुपये खर्च कर सैकड़ों किस्म के पेड़-पौधे लगाए गए. इसमें औषधीय पौधे, फलदार पौधे और फूलों के पौधे शामिल थे. इसके साथ ही पार्क को पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने के लिए पहाड़ के ऊपर पत्थरों से बने जंगली जानवरों की मूर्तियां लगाई गई. बूट हाउस और कैफेटेरिया का निर्माण कराया गया, ताकि पर्यटकों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो. लेकिन, आज बॉटनिकल पार्क कटीले झाड़ियों में तब्दील है.
दूर दूर से पार्क देखने आते थे लोग
जब झारखंड बिहार का हिस्सा था, तभी इस बॉटनिकल पार्क को विकसित किया गया. पार्क बनने के शुरुआती दिनों में बिहार के साथ साथ पश्चिम बंगाल और ओडिशा से बड़ी संख्या में लोग पार्क की खुबसूरती को देखने पहुंचते थे. पर्यटकों की संख्या बढ़ी तो बॉटनिकल पार्क के एक हिस्से में चिल्ड्रेन पार्क भी विकसित किया गया. लेकिन, पार्क की मेंटेनेंस पर ध्यान नहीं दिया गया, जिससे दिन-प्रतिदिन पार्क जंगल में बदलता चला गया.
यह भी पढ़ेंःझारखंड में खुलेगा हर्बल पार्क, मकसद एक - उद्योग भी, निवेश भी और पर्यटन भी
अब नहीं पहुंचते हैं लोग
सरकारी उदासीनता की वजह से कुरुआ वानस्पतिक पार्क उजड़ गया. पेड़-पौधे बर्बाद हो गए और लोगों को आकर्षित करने के लिए लगाए गए टॉय ट्रेन, झूला टूट चुके हैं. कैफेटेरिया में ताला लटका है. पार्क पशुओं का चारागाह बन गया है. स्थिति यह है कि वर्षों से पार्क देखने लोग नहीं पहुंच रहे हैं.
क्या कहते हैं लोग
स्थानीय सुमंगल ओझा कहते हैं कि राज्य सरकार ने हर्बल पार्क बनाने की घोषणा की है, जो अच्छी बात है. पार्क बने, तो मेंटेनेंस की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करें, अन्यथा कुरुआ पहाड़ पर बने वानस्पतिक उद्यान का हाल हो जाएगा. उन्होंने कहा कि कुरुआ पहाड़ पर बने वानस्पतिक उद्यान को दुरुस्त किया जाता, तो और भी अच्छा होता.