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दुमका में बढ़ा वायु प्रदूषण का स्तर, इस समय घर से निकलने पर करें परहेज

दुमका में करीब डेढ़ महीने से सर्दी पड़ रही है. देर रात से सुबह 10 बजे तक कुहासा छाया रहता है. ऐसे में धूल हवा में ही रहती हैं, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ गया है. लोगों को स्वस्थ्य रहने के लिए इन बातों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है.

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दुमका में बढ़ा वायु प्रदूषण का स्तर
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Published : Dec 30, 2020, 6:13 PM IST

Updated : Jan 1, 2021, 8:40 PM IST

दुमका: सर्दियों में हवा का घनत्व अधिक होता है, जिसके परिणामस्वरूप प्रदूषित धूलकण लंबे समय तक हवा में बने रहते हैं. यह सर्दियों में वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि का बड़ा कारण है. प्रदूषित हवा में सांस लेने वाले व्यक्तियों को कई तरह की समस्या हो जाती है, इसलिए सर्दियों में श्वसन संबंधी बीमारियां ज्यादा देखी जाती हैं. दुमका में इसकी क्या स्थिति है? इस पर एक नजर डालें.

देखें स्पेशल खबर

इस सर्दी में दुमका में वायु प्रदूषण बढ़ा

दुमका में करीब डेढ़ महीने से सर्दी पड़ रही है. देर रात से सुबह 10 बजे तक कुहासा छाया रहता है. ऐसे में धूल हवा में ही रहती है जिससे वायु प्रदूषण बढ़ गया है. इसे लेकर ईटीवी भारत की टीम ने दुमका स्थित प्रदूषण नियंत्रण परिषद के क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारी कमलाकांत पाठक से बातचीत की.

इस दौरान उन्होंने जो आंकड़े दिए, उसके अनुसार वायु का आरएसपीएम (रेस्पिरेबल सस्पेंड पर्टिकुलर मैटर यानी श्वसन योग्य निलंबित ठोस कण ) 100 तक होना चाहिए. वर्तमान समय में दुमका का RSPM 150 से 170 के बीच है. इससे जाहिर है कि हवा प्रदूषित हो चुकी है, जिससे श्वसन तंत्र को नुकसान होना तय है.

ये भी पढ़ें-भारत-चीन के बीच बातचीत जारी, विस्तारवाद की नीति का देंगे जवाब : राजनाथ सिंह

क्या कहते हैं प्रदूषण पार्षद के अधिकारी

झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के दुमका स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारी कमलाकांत पाठक ने बताया कि जहां व्यवसायिक क्षेत्र हैं, वहां वाहनों का आना-जाना लगा रहता है. ऐसी जगह का आरएसपीएम हमेशा बढ़ा रहता है. ऐसे क्षेत्र की वायु मनुष्य के लिए सही नहीं है. इसकी रोकथाम के लिए सिर्फ उनका विभाग ही काफी नहीं है. इसमें परिवहन विभाग को भी अपनी भूमिका अदा करनी होगी और ऐसे वाहन जो कि ठीक कंडीशन में नहीं हैं या फिर ज्यादा धुंआ निकाल रहे हैं, उस पर रोक लगाने की जरूरत है. वायु प्रदूषण को रोकने में जिला परिवहन विभाग महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है.

धूलकण में सांस लेने से हो सकती है एलर्जी

इस संंबंध में चिकित्सक से बात की गई. उन्होंने बताया कि कुहासे में धूलकण की मात्रा रहती है. इसमें सांस लेने से एलर्जी हो सकती है. डॉक्टर का कहना है कि ठंड के दिनों में मनुष्य की इम्युनिटी कम हो जाती है और जब उसे सांस संबंधी परेशानी होती है, तो स्थिति बिगड़ जाती है. धूल के कण नाक और मुंह से अंदर चले जाते हैं, जिससे श्वसन तंत्र को नुकसान होता है.

उन्होंने कहा कि इससे बचने के लिए मास्क लगाना जरूरी है. लोगों को इस दौरान गर्म पानी पीना चाहिए. सबसे बड़ी बात कुहासे में ना निकलें. धूप निकलने का इंतजार करें. इसके बाद ही घर से निकलें. सर्दियों में दुमका में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ा है. चिकित्सक भी इससे बचने की सलाह दे रहे हैं. अगर आप स्वस्थ रहना चाहते हैं तो प्रदूषण से बचें.

दुमका: सर्दियों में हवा का घनत्व अधिक होता है, जिसके परिणामस्वरूप प्रदूषित धूलकण लंबे समय तक हवा में बने रहते हैं. यह सर्दियों में वायु प्रदूषण के स्तर में वृद्धि का बड़ा कारण है. प्रदूषित हवा में सांस लेने वाले व्यक्तियों को कई तरह की समस्या हो जाती है, इसलिए सर्दियों में श्वसन संबंधी बीमारियां ज्यादा देखी जाती हैं. दुमका में इसकी क्या स्थिति है? इस पर एक नजर डालें.

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इस सर्दी में दुमका में वायु प्रदूषण बढ़ा

दुमका में करीब डेढ़ महीने से सर्दी पड़ रही है. देर रात से सुबह 10 बजे तक कुहासा छाया रहता है. ऐसे में धूल हवा में ही रहती है जिससे वायु प्रदूषण बढ़ गया है. इसे लेकर ईटीवी भारत की टीम ने दुमका स्थित प्रदूषण नियंत्रण परिषद के क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारी कमलाकांत पाठक से बातचीत की.

इस दौरान उन्होंने जो आंकड़े दिए, उसके अनुसार वायु का आरएसपीएम (रेस्पिरेबल सस्पेंड पर्टिकुलर मैटर यानी श्वसन योग्य निलंबित ठोस कण ) 100 तक होना चाहिए. वर्तमान समय में दुमका का RSPM 150 से 170 के बीच है. इससे जाहिर है कि हवा प्रदूषित हो चुकी है, जिससे श्वसन तंत्र को नुकसान होना तय है.

ये भी पढ़ें-भारत-चीन के बीच बातचीत जारी, विस्तारवाद की नीति का देंगे जवाब : राजनाथ सिंह

क्या कहते हैं प्रदूषण पार्षद के अधिकारी

झारखंड राज्य प्रदूषण नियंत्रण परिषद के दुमका स्थित क्षेत्रीय कार्यालय के अधिकारी कमलाकांत पाठक ने बताया कि जहां व्यवसायिक क्षेत्र हैं, वहां वाहनों का आना-जाना लगा रहता है. ऐसी जगह का आरएसपीएम हमेशा बढ़ा रहता है. ऐसे क्षेत्र की वायु मनुष्य के लिए सही नहीं है. इसकी रोकथाम के लिए सिर्फ उनका विभाग ही काफी नहीं है. इसमें परिवहन विभाग को भी अपनी भूमिका अदा करनी होगी और ऐसे वाहन जो कि ठीक कंडीशन में नहीं हैं या फिर ज्यादा धुंआ निकाल रहे हैं, उस पर रोक लगाने की जरूरत है. वायु प्रदूषण को रोकने में जिला परिवहन विभाग महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकता है.

धूलकण में सांस लेने से हो सकती है एलर्जी

इस संंबंध में चिकित्सक से बात की गई. उन्होंने बताया कि कुहासे में धूलकण की मात्रा रहती है. इसमें सांस लेने से एलर्जी हो सकती है. डॉक्टर का कहना है कि ठंड के दिनों में मनुष्य की इम्युनिटी कम हो जाती है और जब उसे सांस संबंधी परेशानी होती है, तो स्थिति बिगड़ जाती है. धूल के कण नाक और मुंह से अंदर चले जाते हैं, जिससे श्वसन तंत्र को नुकसान होता है.

उन्होंने कहा कि इससे बचने के लिए मास्क लगाना जरूरी है. लोगों को इस दौरान गर्म पानी पीना चाहिए. सबसे बड़ी बात कुहासे में ना निकलें. धूप निकलने का इंतजार करें. इसके बाद ही घर से निकलें. सर्दियों में दुमका में वायु प्रदूषण का स्तर बढ़ा है. चिकित्सक भी इससे बचने की सलाह दे रहे हैं. अगर आप स्वस्थ रहना चाहते हैं तो प्रदूषण से बचें.

Last Updated : Jan 1, 2021, 8:40 PM IST
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