धनबादः जिला मुख्यालय से महज कुछ दूरी पर स्थित दामोदरपुर में करीब 70 लाख की लागत से बने जल मीनार से पिछले 6-7 सालों से एक बूंद भी पानी की सप्लाई नहीं हो सका है. टेस्टिंग के दौरान ही यह जलमीनार फेल हो गया. तब से लेकर आज तक इस जलमीनार की किसी प्रशासनिक अधिकारी ने सुध लेना मुनासिब नहीं समझा. नतीजा अब भी यह जस की तस पड़ा हुआ है. ईटीवी भारत ने जब इसकी पड़ताल शुरू की तब अधिकारी इसकी जांच कराने की बात कह रहे हैं.
गर्मी के दिनों में पानी की समस्या
यहां के मुखिया हीरालाल हांसदा का कहना है कि अभी तो यहां का पानी का लेयर ठीक रहता है, लेकिन गर्मी के दिनों में पानी का लेयर काफी नीचे चला जाता है, जिसके कारण पानी की बड़ी समस्या खड़ी हो जाती है. टैंकर के माध्यम से लोगों को पानी सप्लाई की जाती है. लोगों को इस टंकी से आशा लगी है. शायद उन्हें इस टंकी का पानी नसीब हो जाए, लेकिन 6-7 सालों में पानी की एक बूंद भी इस टंकी से नसीब नहीं हुआ है. साथ ही उन्होंने जिला प्रशासन से इस टंकी को अविलंब चालू कराए जाने की मांग की है.
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स्थानीय जनप्रतिनिधियों को ठहराया जिम्मेदार
वहीं, झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता देबू महतो ने जल मीनार की इस दुर्गति के लिए स्थानीय जनप्रतिनिधियों को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि सरकार की योजनाओं को यदि स्थानीय जनप्रतिनिधि ध्यान देती तो आज यह चालू अवस्था में रहता और लोग लाभान्वित होते.
अधिकारियों को जांच करने का आदेश
वहीं, इस पूरे मामले पर पेयजल और स्वच्छता विभाग के अधीक्षण अभियंता रघुनंदन प्रसाद शर्मा ने कहा कि शहरी जलापूर्ति योजना फेज-2 के तहत कुल 31 जलमीनार का निर्माण एलएनटी एजेंसी के द्वारा कराया गया था. इनमें से एक जलमीनार टेस्टिंग में ही फेल हो गई थी. उन्होंने कहा कि ईटीवी भारत के माध्यम से यह बात संज्ञान में आई है. इस संबंध में अधिकारियों को तुंरत जांच का आदेश दिया गया है. जांच के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.