धनबाद: गर्मी की दस्तक के साथ ही कोयलांचल में जल संकट गहराने लगा है. चारों तरफ पानी के लिए त्राहि त्राहि मची है. जिले के बाघमारा प्रखंड के जयरामडीह बस्ती में तो हाल और भी बुरा हाल है. यहां पानी की इतनी दिक्कत है कि रिश्तों पर खराब असर पड़ रहा है. लोग रिश्तेदारों को घर बुलाना नहीं चाहते, रिश्तेदार भी यहां आने से बचते हैं. ससुराल आई बेटी अपने मां-बाप को नहीं बुलाती तो दूसरे रिश्तेदारों को भी बुलाया नहीं जाता.
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बता दें कि जयरामडीह बस्ती का एक मात्र कुआं और यहां का तालाब सूख चुका है. पानी के लिए यहां के लोगों को परेशान होना पड़ता है, प्रदूषण भी यहां की बड़ी समस्या है. जयरामडीह के वातावरण में दमघोंटू गैसों ने लोगों का बुरा हाल कर रखा है. इससे लोग अपने सगे संबधियों को बुलाना नहीं चाहते, अगर गलती से कोई आ जाता है तो दोबारा इस बस्ती में आने से मना कर देता है. बीसीसीएल द्वारा महीने में एक से दो बार पानी टैंकर से यहां के लोगों को भेजा जाता है. जिसे यहां के लोग स्टॉक कर रखते हैं. अधिक दिन हो जाने से पानी खराब हो जाता है. लेकिन इन लोगों के पास कोई और रास्ता नहीं है.
एक हजार लोग भगवान भरोसे, जिला प्रशासन की आंख बंदः बता दें कि जयरामडीह बस्ती कोलियरी क्षेत्र का हिस्सा है. यहां करीब 1000 लोग रहते हैं और कोल ब्लॉक आवंटन लेने के समय किए गए समझौते के मुताबिक कोलियरी क्षेत्र के 500 मीटर दायरे में पड़ने वाली बस्तियों में बिजली, पानी और सड़क की व्यवस्था करना कोलियरी लेने वाली कंपनी को करना है. इस लिहाज से जयरामडीह बस्ती की जिम्मेदारी बीसीसीएल की है. लेकिन बीसीसीएल प्रबंधन ध्यान नहीं देता. जिला प्रशासन भी आंखें मूंदे हुए है. कोई यह पूछने वाला नहीं है कि एक महीने में सिर्फ एक बार ही पानी क्यों दिया जा रहा है. इसके पीछे क्या कारण है. और इतने कम पानी से कैसे जरूरत पूरी होगी.
स्थानीय लोगों का आरोप है कि वे लोग यह इलाका छोड़कर भाग जाएं. इसके लिए उन्हें परेशान किया जाता है. महीने में एक बार पानी मिलता है. रखने से यह पानी खराब हो जाता है, इससे हमारी सेहत पर भी खराब असर पड़ रहा है.