धनबाद: झारखंड सहित देशभर में आदिवासियों का पर्व करमा धूमधाम से मनाया जा रहा है. धनबाद में भी लोग उत्सव मना रहे हैं लेकिन ज्यादातर जगहों पर लोग त्योहार मनाने के दौरान कोविड नियमों को भूल गए. लोगों ने न तो मास्क पहना और न ही सोशल डिस्टेंसिंग का ख्याल रखा. महोत्सव के नाम पर कोविड गाइडलाइन की जमकर धज्जियां उड़ाई गई.
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धनबाद के बगदाहा में करमा जावा नृत्य प्रतियोगिता का आयोजन धूमधाम से किया गया. जहां आसपास के करीब 150 गांवों से आये प्रतिभागियों ने इसमें भाग लिया. बता दें कि पिछले कई दिनों से जिले के आदिवासी बहुल इलाकों में बहनें जावा नृत्य कर अपने भाई के लंबी उम्र की कामना कर रही हैं. जावा नृत्य आयोजन से पूर्व वहां पहुंचे ग्रामीणों ने एक मानव श्रृंखला बनाई और उसी मानव श्रृंखला के माध्यम से राजगंज को प्रखंड का दर्जा देने की मांग की.
भाइयों की लंबी उम्र की कामना करती हैं बहनें
बता दें कि पर्व में बांस के बने बड़ा डाला और ताड़ पत्ता के बने छोटे-छोटे टुपा पर कुर्थी, मूंग, सरसों, जौ और गेहूं, पांच प्रकार के अनाज को डाला और टुपा पर बोया जाता है. साथ ही हर दिन सुबह और शाम को बहनों के द्वारा नृत्य-संगीत भी अखाड़ा बनाकर किया जाता हैं. करमा महापर्व भाई की लंबी उम्र की कामना का महापर्व है. साथ ही यह प्रकृति की पूजा है. इसमें चांद, अन्न, नदी, वृक्ष आदि की पूजा करते हैं. भादो माह के दस दिनों के चांद पर निर्जला उपवास रखकर करम पेड़ से टहनी लाकर रात्रि में पूजा अर्चना की जाती है. 11 दिनों के चांद पर जावा, कर्म टहनी को सुबह नदी या तालाब में विसर्जन कर दिया जाता है. इस प्रकार महोत्सव की समाप्ति हो जाती है.
करमा महोत्सव में आसपास से बहुत भारी संख्या में लोगों का जुटान हुआ. लगभग दो सौ टीम ने इस कार्यक्रम में हिस्सा लिया जिन्हें प्राइज भी दिया गया. लेकिन कोरोना के संभावित तीसरी लहर को देखते हुए आयोजक के द्वारा कोरोना को देखते हुए किसी प्रकार की व्यवस्था नहीं की गई थी.