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17 साल तक करते रहे इंतजार, फिर ग्रामीणों ने खुद कर दिया रेलवे स्टेशन का किया शिलन्यास

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Published : Oct 16, 2019, 2:43 PM IST

झरिया-पाथरडीह रेल लाइन को बंद हुए 17 साल हो गए. भूमिगत आग की वजह से इसे बंद किया गया था. जिसे बाद में खोलने की बात कही गई थी. लेकिन बंद होने के बाद किसी ने इस पर ध्यान नहीं दिया. जिससे तंग आकर ग्रामीणों ने खुद झरिया स्टेशन का शिलान्यास कर डाला. शिलान्यास का उद्देश्य स्थानीय जनप्रतिनिधियों, बीसीसीएल और रेलवे अधिकारियों को शर्मिंदा महसूस कराना और उनके कर्तव्यों को याद दिलाना है.

17 साल बाद ग्रामीणों ने खुद किया रेलवे स्टेशन का शिलान्यास

धनबादः बीते 17 सालों से बंद पड़े झरिया पाथरडीह रेल लाइन पर स्थित झरिया स्टेशन का स्थानीय लोगों ने शिलान्यास किया. इसके साथ ही उन्होंने जनप्रतिनिधियों, बीसीसीएल और रेलवे के अधिकारियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. उनका उद्देश्य इन सभी को शर्मिंदा करना था और इनके कर्तव्यों को याद दिलाना था.

देखें पूरी खबर

ये भी पढ़ें- 20 अक्टूबर तक रांची से हैदराबाद के बीच नहीं चलेगी ट्रेन, इंटरलॉकिंग की वजह से लिया फैसला


पूर्व पार्षद अनूप साव का कहना है कि साल 2002 में धनबाद झरिया पाथरडीह रेल लाइन को आग का खतरा बताते हुए बंद कर दिया गया था. बीसीसीएल और रेलवे की बीच यह तय हुआ था कि भूमिगत आग बुझाकर कोयला निकालने के बाद रेलवे को यह जमीन वापस कर दी जाएगी, लेकिन 17 साल बीत जाने के बाद भी बीसीसीएल ने रेलवे को यह जमीन नहीं सौंपी. जिसके बाद न तो किसी जनप्रतिनिधियों ने, न ही बीसीसीएल और न ही रेलवे ने इस पर ध्यान दिया. जिससे यह रेल लाइन 17 सालों के बाद भी चालू नहीं हो सकी है. अनूप साव ने कहा कि इस शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बीसीसीएल अधिकारियों और रेल अधिकारियों को भी आमंत्रित किया गया था, लेकिन वह नहीं पहुंचे.

धनबादः बीते 17 सालों से बंद पड़े झरिया पाथरडीह रेल लाइन पर स्थित झरिया स्टेशन का स्थानीय लोगों ने शिलान्यास किया. इसके साथ ही उन्होंने जनप्रतिनिधियों, बीसीसीएल और रेलवे के अधिकारियों के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. उनका उद्देश्य इन सभी को शर्मिंदा करना था और इनके कर्तव्यों को याद दिलाना था.

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पूर्व पार्षद अनूप साव का कहना है कि साल 2002 में धनबाद झरिया पाथरडीह रेल लाइन को आग का खतरा बताते हुए बंद कर दिया गया था. बीसीसीएल और रेलवे की बीच यह तय हुआ था कि भूमिगत आग बुझाकर कोयला निकालने के बाद रेलवे को यह जमीन वापस कर दी जाएगी, लेकिन 17 साल बीत जाने के बाद भी बीसीसीएल ने रेलवे को यह जमीन नहीं सौंपी. जिसके बाद न तो किसी जनप्रतिनिधियों ने, न ही बीसीसीएल और न ही रेलवे ने इस पर ध्यान दिया. जिससे यह रेल लाइन 17 सालों के बाद भी चालू नहीं हो सकी है. अनूप साव ने कहा कि इस शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बीसीसीएल अधिकारियों और रेल अधिकारियों को भी आमंत्रित किया गया था, लेकिन वह नहीं पहुंचे.

Intro:धनबाद।झरिया पाथरडीह रेललाइन के बंद हुए 17 साल बीत जाने के बाद वहां के स्थानीय लोगों ने झरिया स्टेशन पर शिलान्यास किया।शिलान्यास का उद्देश्य स्थानीय जनप्रतिनिधियों,बीसीसीएल और रेलवे अधिकारियों को लज्जित करना और उनके कर्तव्य बोध को याद दिलाना है।साल 2002 में इस रेल लाइन बंद होने के बाद 15 साल में रेल लाइन को चालू करना था।लेकर 17 सालों बाद भी कोई सुगबुगाहट नही है।


Body:बंद पड़े झरिया पाथरडीह रेल लाइन पर मंगलवार को स्थानीय लोगों ने शिलान्यास कर नारियल फोड़ा।इस दौरान लोगों ने जनप्रतिनिधि हाय हाय के नारे भी लोगों ने लगाए।साथ बीसीसीएल और रेलवे के अधिकारियों के खिलाफ भी नारेबाजी की गई।पूर्व पार्षद अनूप साव ने बताया कि शिलान्यास का उद्देश्य स्थानीय जनप्रतिनिधियों, बीसीसीएल और रेलवे के अधिकारियों को लज्जित करना और उनके कर्तव्यों को बोध कराना है।

उन्होंने कहा कि साल 2002 में धनबाद झरिया पाथरडीह रेललाइन को आग का खतरा बताते हुए बन्द कर दिया गया था।बीसीसीएल और रेलवे की बीच यह एकरारनामा हुआ था कि भूमिगत आग बुझाकर कोयला निकालने के बाद रेलवे को यह वापस कर दिया जाएगा।17 साल बीत जाने के बाद भी बीसीसीएल ने रेलवे को यह जमीन नही सौंपा।लेकिन न तो किसी जनप्रतिनिधियों ने और न ही बीसीसीएल और रेलवे ने इस पर ध्यान दिया।जिससे यह रेललाइन 17 साल बाद भी चालू नही हो सका है।अनूप साव के द्वारा शिलान्यास कार्यक्रम में शामिल होने के लिए बीसीसीएल अधिकारियों और रेलवे के अधिकारियों को भी आमंत्रित किया गया था।लेकिन वह नही पहुंचे।


Conclusion:
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