धनबाद: देश को आजाद हुए 70 सालों से भी अधिक समय बीत चुका है. लेकिन अब भी ऐसे कई गांव है जो पीने का पानी जैसे जरूरी सुविधा से भी वंचित हैं. टुंडी प्रखंड के इस गांव में एकमात्र कुआं है जिस पर पूरा गांव निर्भर है. कुएं की भी हालात जर्जर हो चुकी है, और ना पानी को कोई दूसरा विकल्प है.
टुंडी प्रखंड के संग्रामडीह इलाके के आदिवासी टोला और सिकाघुटु टोला के हजारों लोग सिर्फ एक कुएं के भरोसे पीने के पानी पर निर्भर हैं. लेकिन गर्मी की दस्तक से ही कुआं सूखने लगा है. गांव में ना कोई चापानल ना ही कोई दूसरी व्यवस्था जिससे पानी निकला जा सके. ग्रामीणों ने बताया कि कई बार मुखिया को इस संबंध में जानकारी दी गई लेकिन मुखिया ने कोई ठोस पहल नहीं की. अब अगर 10 से 15 दिनों के अंदर इस पर कोई कार्रवाई नहीं होती है. तो ग्रामीण लगभग 3 किलोमीटर की दूरी से पानी लाकर पीने को विवश हो जाएंगे.
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कोयलांचल के इस अति नक्सल प्रभावित गांव में की सुध लेने वाला कोई नहीं है. गांव वालों का आरोप है कि चुनाव के समय नेताओं का दर्शन हो पाता है. चुनाव जीतने के बाद नेता 5 साल तक नहीं पहुंचते. चुनाव के समय वोट मांगने पहुंच जाते है. एक बार नहीं बार-बार वही दिलासा दिया जाता है लेकिन आज तक इस जगह की समस्याएं दूर नहीं हो पाई है.