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सिर्फ एक कुएं पर निर्भर पूरा गांव, गर्मी के दस्तक देते ही सूखने लगे लोगों के हलक

आजादी के 70 सालों बाद भी देश के कई गांव मूलभूत सुविधाओं के लिए तरस रहे हैं. टूंडी प्रखंड का आदिवासी टोला और इससे लगे दूसरे इलाको के हजारों लोग पीने के पानी के लिए एक ही कुएं पर निर्भर हैं. नेताओं को इनकी याद बस चुनाव के समय आती है.

इस एक कुएं पर निर्भर पूरा गांव
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Published : Apr 20, 2019, 1:18 PM IST

धनबाद: देश को आजाद हुए 70 सालों से भी अधिक समय बीत चुका है. लेकिन अब भी ऐसे कई गांव है जो पीने का पानी जैसे जरूरी सुविधा से भी वंचित हैं. टुंडी प्रखंड के इस गांव में एकमात्र कुआं है जिस पर पूरा गांव निर्भर है. कुएं की भी हालात जर्जर हो चुकी है, और ना पानी को कोई दूसरा विकल्प है.

इस एक कुएं पर निर्भर पूरा गांव

टुंडी प्रखंड के संग्रामडीह इलाके के आदिवासी टोला और सिकाघुटु टोला के हजारों लोग सिर्फ एक कुएं के भरोसे पीने के पानी पर निर्भर हैं. लेकिन गर्मी की दस्तक से ही कुआं सूखने लगा है. गांव में ना कोई चापानल ना ही कोई दूसरी व्यवस्था जिससे पानी निकला जा सके. ग्रामीणों ने बताया कि कई बार मुखिया को इस संबंध में जानकारी दी गई लेकिन मुखिया ने कोई ठोस पहल नहीं की. अब अगर 10 से 15 दिनों के अंदर इस पर कोई कार्रवाई नहीं होती है. तो ग्रामीण लगभग 3 किलोमीटर की दूरी से पानी लाकर पीने को विवश हो जाएंगे.

ये भी पढ़ें- धनबाद में बालू माफिया के आगे प्रशासन फेल! बड़े पैमाने पर हो रहा अवैध खनन

कोयलांचल के इस अति नक्सल प्रभावित गांव में की सुध लेने वाला कोई नहीं है. गांव वालों का आरोप है कि चुनाव के समय नेताओं का दर्शन हो पाता है. चुनाव जीतने के बाद नेता 5 साल तक नहीं पहुंचते. चुनाव के समय वोट मांगने पहुंच जाते है. एक बार नहीं बार-बार वही दिलासा दिया जाता है लेकिन आज तक इस जगह की समस्याएं दूर नहीं हो पाई है.

धनबाद: देश को आजाद हुए 70 सालों से भी अधिक समय बीत चुका है. लेकिन अब भी ऐसे कई गांव है जो पीने का पानी जैसे जरूरी सुविधा से भी वंचित हैं. टुंडी प्रखंड के इस गांव में एकमात्र कुआं है जिस पर पूरा गांव निर्भर है. कुएं की भी हालात जर्जर हो चुकी है, और ना पानी को कोई दूसरा विकल्प है.

इस एक कुएं पर निर्भर पूरा गांव

टुंडी प्रखंड के संग्रामडीह इलाके के आदिवासी टोला और सिकाघुटु टोला के हजारों लोग सिर्फ एक कुएं के भरोसे पीने के पानी पर निर्भर हैं. लेकिन गर्मी की दस्तक से ही कुआं सूखने लगा है. गांव में ना कोई चापानल ना ही कोई दूसरी व्यवस्था जिससे पानी निकला जा सके. ग्रामीणों ने बताया कि कई बार मुखिया को इस संबंध में जानकारी दी गई लेकिन मुखिया ने कोई ठोस पहल नहीं की. अब अगर 10 से 15 दिनों के अंदर इस पर कोई कार्रवाई नहीं होती है. तो ग्रामीण लगभग 3 किलोमीटर की दूरी से पानी लाकर पीने को विवश हो जाएंगे.

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कोयलांचल के इस अति नक्सल प्रभावित गांव में की सुध लेने वाला कोई नहीं है. गांव वालों का आरोप है कि चुनाव के समय नेताओं का दर्शन हो पाता है. चुनाव जीतने के बाद नेता 5 साल तक नहीं पहुंचते. चुनाव के समय वोट मांगने पहुंच जाते है. एक बार नहीं बार-बार वही दिलासा दिया जाता है लेकिन आज तक इस जगह की समस्याएं दूर नहीं हो पाई है.

Intro:स्क्रिप्ट कल जा चुकी है सर।

फिर से भेजने के लिए कहा गया था।


Body:बाइट
. रूप चांद हेंब्रम -स्थानीय
2. लखी राम टुडू -स्थानीय
3. सीतामुनि देवी -स्थानीय महिला


Conclusion:aa
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