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धनबाद: आस्था या अंधविश्वास, मकर संक्रांति पर सिर पर मिट्टी का ढेला रखकर करते हैं पूजा

मकर संक्रांति के अवसर पर बरवाअड्डा इलाके में खेलाय चंडी नामक पूजा होती है जिसमें लोग सिर पर मिट्टी का ढेला रखकर पूजा करते हैं. इसमें शामिल होने के लिए धनबाद के बाहर से काफी लोग पहुंचते हैं.

Special worship, विशेष पूजा
पूजा करती महिलाएं
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Published : Jan 16, 2020, 8:03 PM IST

धनबाद: मकर संक्रांति के शुरुवात होने के साथ-साथ कोयलांचल धनबाद के कई इलाकों में अनेकों जगह मेला लगता है. तरह-तरह की मान्यताएं विभिन्न इलाकों में देखी जाती है. बरवाअड्डा इलाके में खेलाय चंडी नामक पूजा होती है, जिसमें लोग सिर पर मिट्टी का ढेला रखकर पूजा करते हैं.

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डेढ़ सौ वर्षों से चली आ रही है परंपरा
बता दें कि बरवाअड्डा इलाके के बड़ा जमुआ दुर्गा मंदिर के पास एक तालाब में लोग जमा होते हैं. सिर पर मिट्टी का ढेला लेकर तालाब के मेढ़ पर रखते हैं, इस पूजा में हिंदू मुस्लिम सभी शामिल होते हैं. ऐसी मान्यता है कि पूजा करने से लोगों के मन में जो भी मनोकामनाएं होती हैं वह पूरी हो जाती है. यह परंपरा लगभग डेढ़ सौ वर्षों से चली आ रही है और प्रत्येक वर्ष आने वाले भक्तों की संख्या में भी भारी बढ़ोतरी हो रही है.

ये भी पढ़ें- विदेश यात्रा से लौटे बाबूलाल मरांडी, बीजेपी में शामिल होने के सवाल पर दिया गोलमोल जवाब

बाहर से भी आते हैं लोग
पूजा कर रहे हिंदू मुस्लिम सभी श्रद्धालुओं ने कहा कि शरीर में किसी प्रकार का रोग भी होने पर या जो भी मनोकामना मांगी जाती है. वह पूरी होती है, बहुत लोग मनोकामना मांगने के लिए पूजा करने आते हैं तो काफी संख्या में ऐसे भी लोग दिखे जो मनोकामना पूरी होने पर वह दोबारा पहुंचते है. यहां पर जात-पात, ऊंच-नीच, हिंदू-मुस्लिम किसी चीज में कोई भेदभाव नहीं किया जाता है. इस पूजा में शामिल होने के लिए धनबाद जिले के साथ-साथ बाहर से भी लोग आते हैं और पूजा में शामिल होते हैं और बगल में लगने वाले मेले का भी जमकर आनंद उठाते हैं.

धनबाद: मकर संक्रांति के शुरुवात होने के साथ-साथ कोयलांचल धनबाद के कई इलाकों में अनेकों जगह मेला लगता है. तरह-तरह की मान्यताएं विभिन्न इलाकों में देखी जाती है. बरवाअड्डा इलाके में खेलाय चंडी नामक पूजा होती है, जिसमें लोग सिर पर मिट्टी का ढेला रखकर पूजा करते हैं.

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डेढ़ सौ वर्षों से चली आ रही है परंपरा
बता दें कि बरवाअड्डा इलाके के बड़ा जमुआ दुर्गा मंदिर के पास एक तालाब में लोग जमा होते हैं. सिर पर मिट्टी का ढेला लेकर तालाब के मेढ़ पर रखते हैं, इस पूजा में हिंदू मुस्लिम सभी शामिल होते हैं. ऐसी मान्यता है कि पूजा करने से लोगों के मन में जो भी मनोकामनाएं होती हैं वह पूरी हो जाती है. यह परंपरा लगभग डेढ़ सौ वर्षों से चली आ रही है और प्रत्येक वर्ष आने वाले भक्तों की संख्या में भी भारी बढ़ोतरी हो रही है.

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बाहर से भी आते हैं लोग
पूजा कर रहे हिंदू मुस्लिम सभी श्रद्धालुओं ने कहा कि शरीर में किसी प्रकार का रोग भी होने पर या जो भी मनोकामना मांगी जाती है. वह पूरी होती है, बहुत लोग मनोकामना मांगने के लिए पूजा करने आते हैं तो काफी संख्या में ऐसे भी लोग दिखे जो मनोकामना पूरी होने पर वह दोबारा पहुंचते है. यहां पर जात-पात, ऊंच-नीच, हिंदू-मुस्लिम किसी चीज में कोई भेदभाव नहीं किया जाता है. इस पूजा में शामिल होने के लिए धनबाद जिले के साथ-साथ बाहर से भी लोग आते हैं और पूजा में शामिल होते हैं और बगल में लगने वाले मेले का भी जमकर आनंद उठाते हैं.

Intro:धनबाद: मकर संक्रांति के शुरुवात होने के साथ-साथ कोयलांचल धनबाद के विभिन्न इलाकों में अनेकों जगह मेला लगता है.तरह-तरह की मान्यताएं विभिन्न इलाकों में देखी जाती है. बरवाअड्डा इलाके में खेलाय चंडी नामक पूजा होती है जिसमें लोग सिर पर मिट्टी का ढेला रखकर पूजा करते हैं.Body:आपको बता दें कि बरवाअड्डा इलाके के बड़ा जमुआ दुर्गा मंदिर के समीप एक तालाब में लोग जमा होते हैं और सिर पर मिट्टी का ढेला लेकर तालाब के मेढ पर रखते हैं इस पूजा में हिंदू मुस्लिम सभी शामिल होते हैं. ऐसी मान्यता है कि पूजा करने से लोगों के मन में जो भी मनोकामनाएं होती है वह पूरी हो जाती है.यह परंपरा लगभग डेढ़ सौ वर्षो से चला आ रहा है और प्रत्येक वर्ष आने वाले भक्तों की संख्या में भी भारी बढ़ोतरी हो रही है.

पूजा कर रहे हिंदू मुस्लिम सभी श्रद्धालुओं ने कहा कि शरीर में किसी प्रकार का रोग भी होने पर या जो भी मनोकामना मांगी जाती है वह पूरी होती है. बहुत लोग मनोकामना मांग कर पूजा के लिए आते हैं तो काफी संख्या में ऐसे भी लोग दिखे जो मनोकामना पूरी होने पर वह दोबारा पहुंचते है. यहां पर जाती-पाती ऊंच-नीच हिंदू-मुस्लिम किसी चीज में कोई भेदभाव नहीं किया जाता है.Conclusion:इस पूजा में शामिल होने के लिए धनबाद जिले के साथ-साथ बाहर से भी लोग आते हैं और पूजा में शामिल होते हैं और बगल में लगने वाले मेले का भी जमकर आनंद उठाते हैं.

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