ETV Bharat / state

जानिए कैसे बच्चे को ले सकते हैं गोद, CWC के चेयरपर्सन के साथ ईटीवी भारत की खास बातचीत - ranchi news

किसी बच्चे को गोद लेने की क्या प्रक्रिया है. बच्चा गोद लेने के लिए पहले ऑफलाइन व्यवस्था थी जो आसान थी. लेकिन,  इसमें भ्रष्टाचार की शिकायतें मिलने के बाद इसकी ऑनलाइन व्यवस्था लागू कर दी गई. ऑनलाइन व्यवस्था के तहत भ्रष्टाचार तो दूर हुआ, लेकिन लोगों में इसे लेकर जानकारी की कमी के कारण दिक्कत आने लगी. बच्चे को गोद लेने की क्या तरीका है इसे लेकर ETV BHARAT से बात की सीडब्ल्यूसी के चेयरमैन उत्तम मुखर्जी ने.

Rule and Process for adoption of child
Rule and Process for adoption of child
author img

By

Published : Jul 26, 2023, 6:42 PM IST

Updated : Jul 26, 2023, 7:56 PM IST

जानकारी देते संवाददाता नरेंद्र कुमार निषाद

धनबाद: बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया सरल नहीं है. लोग सोचतें है कि किसी लावारिस बच्चे को गोद लेना आसान है, जो कि बिल्कुल गलत है, इसके लिए सरकार ने कई प्रक्रिया और नियम बनाया गया हैं. लेकिन लोगों में इन नियमों के बारे में जानकारी का अभाव है. दरअसल, रविवार को कतरास में एक नवजात शिशु मिला. इस बच्चे को गोद लेने के लिए कई दंपती तैयार थे. लगातार इसके लिए पैरवी कराई जाने लगी. ईटीवी भारत से भी कुछ दंपती ने संपर्क किया और बच्चे को गोद दिलाने में मदद करने की विनती की. ऐसे में ईटीवी भारत ने वह तमाम जरुरी जानकारी हासिल किए, जो एक दंपती को बच्चा गोद लेने के लिए जरूरी है.

यह भी पढ़ें: धनबाद में मानवता शर्मसार, लावारिस हालत में नवजात बरामद

इसके लिए ईटीवी भारत ने सीडब्ल्यूसी के चेयरमैन उत्तम मुखर्जी से बच्चे को गोद लेने की प्रकिया पर खास बातचीत की. उत्तम मुखर्जी ने बताया कि गोद लेने के लिए ऑफलाइन की व्यवस्था खत्म कर दी गई है. कारा पोर्टल के तहत ऑनलाइन व्यवस्था गोद लेने की चल रही है. देश में सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी, राज्य में स्टेट एडॉप्शन एजेंसी, जिला में स्पेशलाइज एडॉप्शन एजेंसी(SAA) यानी विशेष दत्तक ग्रहण केंद्र चल रहा है. उन्होंने बताया कि 6 साल से नीचे के जो भी बच्चे लावारिस अवस्था में मिलते हैं.

सीडब्ल्यूसी के जरिए बच्चों को दिलाया जाता है परिवार: सीडब्ल्यूसी वैसे लावारिस बच्चे को सिर्फ आवासित करने का काम करता है. सा के (SAA) द्वारा उस बच्चे की देखभाल की जाती है. सीडब्ल्यूसी विज्ञापन के माध्यम से उस बच्चे के नाम के साथ उसका प्रचार प्रसार करती है. किसी परिजन के द्वारा दावा करने के बाद कानूनी प्रक्रिया के तहत बच्चे को सौंप दिया जाता है. अगर 60 दिनों तक किसी का क्लेम नहीं आता है तो डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन के द्वारा बच्चे के ट्रेस नहीं होने की जानकारी सीडब्ल्यूसी को दी जाती है. इसके बाद सीडब्ल्यूसी लीगल रूप से उस बच्चे को किसी का नहीं होने की मुहर लगा देता है. फिर उस बच्चे की पूरी डिटेल के साथ कारा पोर्टल में अपलोड कर दिया जाता है, ताकि उसे किसी दंपती के द्वारा गोद लिया जा सके.

ETV BHARAT GFX
ETV BHARAT GFX

कारा पोर्टल पर करना है आवेदन: कारा पोर्टल की वेबसाइट पर जाकर कोई भी दंपती एक रजिस्ट्रेशन नंबर ले सकते हैं. उसके बाद कारा पोर्टल पर एक आवेदन देना पड़ता है. कारा पोर्टल पर कई तरह के विकल्प आते हैं. बच्चे का पूरा डिटेल कारा पोर्टल पर मौजूद रहता है. किस बच्चे को किस दंपती को आवंटन होना है, इसकी भी जानकारी कारा पोर्टल पर दी जाती है. 60 दिनों के ऑब्जरवेशन पीरियड के बाद एडॉप्शन की पूरी फाइल डीसी को सुपुर्द किया जाता है. डीसी के स्वीकृति के बाद एडॉप्शन की प्रक्रिया पूरी हो जाती है. एडॉप्शन के बाद भी 2 सालों तक वह बच्चा अपने परिवार के बीच सीडब्ल्यूसी की निगरानी में रहता है, धनबाद में 6 साल से नीचे के वैसे तीन बच्चे हैं, जिन्हें गोद लेने के लिए दंपती अप्लाई कर सकते हैं.

ETV BHARAT GFX
ETV BHARAT GFX

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस: सीडब्ल्यूसी चेयरमैन ने बताया कि शेल्टर होम में बच्चे कम समय रहें, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट का गाइडलाइंस भी है. जिसमें कहा गया है कि बच्चे को शेल्टर होम के बजाय परिवार के बीच रखने की जरूरत है. उसे एक पारिवारिक माहौल उपलब्ध कराना है. इसी के मद्देनजर फोस्टर केयर के तहत वैसे बच्चों को परिवार के बीच ले जाने का काम किया जा रहा है. इसके तहत सरकार के द्वारा उस परिवार को राशि भी मुहैया कराई जाती है. बच्चे के पालन पोषण के लिए फोस्टर केयर योजना चलाई जा रही है.

फोस्टर फैमिली को मिलता है सरकारी लाभ: फोस्टर केयर की बड़ी बात यह है कि जिस परिवार के बीच बच्चा रहता है. यदि वह उस परिवार से घुल मिल जाता है और वह बच्चा कहीं दूसरी जगह जाने पर आपत्ति जताता है, तो फिर ऐसे हालात में उस परिवार को बच्चे के एडॉप्शन का लाभ भी मिलता है. यही नहीं फोस्टर फैमिली को स्पॉन्सरशिप योजना का लाभ भी मिलता है. सरकार के द्वारा चार हजार रुपए प्रतिमा की राशि उस बच्चे की देखभाल और पालन-पोषण के लिए दी जाती है. 6 साल से ऊपर के बच्चे फोस्टर केयर के तहत आते हैं.

जानकारी देते संवाददाता नरेंद्र कुमार निषाद

धनबाद: बच्चों को गोद लेने की प्रक्रिया सरल नहीं है. लोग सोचतें है कि किसी लावारिस बच्चे को गोद लेना आसान है, जो कि बिल्कुल गलत है, इसके लिए सरकार ने कई प्रक्रिया और नियम बनाया गया हैं. लेकिन लोगों में इन नियमों के बारे में जानकारी का अभाव है. दरअसल, रविवार को कतरास में एक नवजात शिशु मिला. इस बच्चे को गोद लेने के लिए कई दंपती तैयार थे. लगातार इसके लिए पैरवी कराई जाने लगी. ईटीवी भारत से भी कुछ दंपती ने संपर्क किया और बच्चे को गोद दिलाने में मदद करने की विनती की. ऐसे में ईटीवी भारत ने वह तमाम जरुरी जानकारी हासिल किए, जो एक दंपती को बच्चा गोद लेने के लिए जरूरी है.

यह भी पढ़ें: धनबाद में मानवता शर्मसार, लावारिस हालत में नवजात बरामद

इसके लिए ईटीवी भारत ने सीडब्ल्यूसी के चेयरमैन उत्तम मुखर्जी से बच्चे को गोद लेने की प्रकिया पर खास बातचीत की. उत्तम मुखर्जी ने बताया कि गोद लेने के लिए ऑफलाइन की व्यवस्था खत्म कर दी गई है. कारा पोर्टल के तहत ऑनलाइन व्यवस्था गोद लेने की चल रही है. देश में सेंट्रल एडॉप्शन रिसोर्स अथॉरिटी, राज्य में स्टेट एडॉप्शन एजेंसी, जिला में स्पेशलाइज एडॉप्शन एजेंसी(SAA) यानी विशेष दत्तक ग्रहण केंद्र चल रहा है. उन्होंने बताया कि 6 साल से नीचे के जो भी बच्चे लावारिस अवस्था में मिलते हैं.

सीडब्ल्यूसी के जरिए बच्चों को दिलाया जाता है परिवार: सीडब्ल्यूसी वैसे लावारिस बच्चे को सिर्फ आवासित करने का काम करता है. सा के (SAA) द्वारा उस बच्चे की देखभाल की जाती है. सीडब्ल्यूसी विज्ञापन के माध्यम से उस बच्चे के नाम के साथ उसका प्रचार प्रसार करती है. किसी परिजन के द्वारा दावा करने के बाद कानूनी प्रक्रिया के तहत बच्चे को सौंप दिया जाता है. अगर 60 दिनों तक किसी का क्लेम नहीं आता है तो डिस्ट्रिक्ट चाइल्ड प्रोटेक्शन के द्वारा बच्चे के ट्रेस नहीं होने की जानकारी सीडब्ल्यूसी को दी जाती है. इसके बाद सीडब्ल्यूसी लीगल रूप से उस बच्चे को किसी का नहीं होने की मुहर लगा देता है. फिर उस बच्चे की पूरी डिटेल के साथ कारा पोर्टल में अपलोड कर दिया जाता है, ताकि उसे किसी दंपती के द्वारा गोद लिया जा सके.

ETV BHARAT GFX
ETV BHARAT GFX

कारा पोर्टल पर करना है आवेदन: कारा पोर्टल की वेबसाइट पर जाकर कोई भी दंपती एक रजिस्ट्रेशन नंबर ले सकते हैं. उसके बाद कारा पोर्टल पर एक आवेदन देना पड़ता है. कारा पोर्टल पर कई तरह के विकल्प आते हैं. बच्चे का पूरा डिटेल कारा पोर्टल पर मौजूद रहता है. किस बच्चे को किस दंपती को आवंटन होना है, इसकी भी जानकारी कारा पोर्टल पर दी जाती है. 60 दिनों के ऑब्जरवेशन पीरियड के बाद एडॉप्शन की पूरी फाइल डीसी को सुपुर्द किया जाता है. डीसी के स्वीकृति के बाद एडॉप्शन की प्रक्रिया पूरी हो जाती है. एडॉप्शन के बाद भी 2 सालों तक वह बच्चा अपने परिवार के बीच सीडब्ल्यूसी की निगरानी में रहता है, धनबाद में 6 साल से नीचे के वैसे तीन बच्चे हैं, जिन्हें गोद लेने के लिए दंपती अप्लाई कर सकते हैं.

ETV BHARAT GFX
ETV BHARAT GFX

सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइंस: सीडब्ल्यूसी चेयरमैन ने बताया कि शेल्टर होम में बच्चे कम समय रहें, इसके लिए सुप्रीम कोर्ट का गाइडलाइंस भी है. जिसमें कहा गया है कि बच्चे को शेल्टर होम के बजाय परिवार के बीच रखने की जरूरत है. उसे एक पारिवारिक माहौल उपलब्ध कराना है. इसी के मद्देनजर फोस्टर केयर के तहत वैसे बच्चों को परिवार के बीच ले जाने का काम किया जा रहा है. इसके तहत सरकार के द्वारा उस परिवार को राशि भी मुहैया कराई जाती है. बच्चे के पालन पोषण के लिए फोस्टर केयर योजना चलाई जा रही है.

फोस्टर फैमिली को मिलता है सरकारी लाभ: फोस्टर केयर की बड़ी बात यह है कि जिस परिवार के बीच बच्चा रहता है. यदि वह उस परिवार से घुल मिल जाता है और वह बच्चा कहीं दूसरी जगह जाने पर आपत्ति जताता है, तो फिर ऐसे हालात में उस परिवार को बच्चे के एडॉप्शन का लाभ भी मिलता है. यही नहीं फोस्टर फैमिली को स्पॉन्सरशिप योजना का लाभ भी मिलता है. सरकार के द्वारा चार हजार रुपए प्रतिमा की राशि उस बच्चे की देखभाल और पालन-पोषण के लिए दी जाती है. 6 साल से ऊपर के बच्चे फोस्टर केयर के तहत आते हैं.

Last Updated : Jul 26, 2023, 7:56 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.