ETV Bharat / state

धनबाद में दीपावली की धूम, तेजी से घूमने लगे कुम्हारों के चाक, अच्छी कमाई की आस

धनबाद में भी दीपावली की धूम दिखने लगी है. रंग-बिरंगे लाइट के बीच मिट्टी से बने दीये भी मिल रहे हैं. कुम्हारों को उम्मीद है कि इस साल उनकी अच्छी कमाई होगी. Potters of Dhanbad hope to good income

Potters of Dhanbad hope to good income on Diwali
Potters of Dhanbad hope to good income on Diwali
author img

By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 10, 2023, 7:18 AM IST

Updated : Nov 10, 2023, 7:50 AM IST

धनबाद में दीपावली पर कुम्हारों को अच्छी आमदनी की उम्मीद

धनबादः दीपावली आते ही कुम्हारों की चाक घूमने लगती है और मिट्टी के दीये, खिलौने आदि बनाने में कुम्हार जुट जाते हैं. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. धनबाद के कुम्हार भी सपरिवार इस काम में जुट गए हैं. उन्हें इस साल अच्छी आमदनी होने की उम्मीद है.

ये भी पढ़ेंः चाक पर जिंदगी! दूसरों के घर रौशन करने वाले खुद अंधेरे में, माटी कला बोर्ड भी बना मृतप्राय

दीपावली पर मिट्टी के दीयों को सबसे शुद्ध माना जाता है. त्योहार की परंपरा के अनुरूप मिट्टी के दीये ही सर्वमान्य हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि मिट्टी से बने सामग्री भारतीयता की खुशबू से भरपूर होते हैं. कुम्हारों द्वारा दीपावली से कुछ दिन पूर्व ही मिट्टी से तरह-तरह सामग्री बनाई जाती है और बाजारों में ब्रिकी की जाती है. धनबाद में भी कुम्हारों द्वारा इस त्योहार को देखते हुए पूरा परिवार मिलकर तैयारी की जाती है. मिट्टी को गूंद कर चाक पर रख कर दीये बनाते हैं और धूप में सुखा कर भट्टी में ताप के जरिए पकाते हैं.

इतनी मेहनत करने के बावजूद इन कुम्हारों के हाथ ज्यादातर मायूसी ही लगती है, वजह सही दाम नहीं मिल पाना है. कुम्हारों ने बताया कि परिश्रम के हिसाब से उन्हें मेहनताना नही मिलता है. उस पर से आज के दौर में बाजारों में तरह-तरह के रंग-बिरंगे लाइट उपलब्ध हैं, जिसकी वजह से दीये की डिमांड कम हो गई है.

वहीं कुम्हारों का यह भी कहना है कि तेल की कीमतों में वृद्धि होने के कारण ज्यादातर लोग घरों में लाइट लगाना पसंद करते हैं. जिसके कारण उनके दीये कम बिकते हैं, जिससे उनकी आमदनी पर असर पड़ता है. हालात ऐसे ही रहे तो जल्दी ही यह व्यवसाय लुप्त हो जाएगा. कुम्हारों का कहना है कि भले ही लोग कितनी रंग-बिरंगी लाइट लगा लें, लेकिन शुद्धता मिट्टी के दीये से ही आती है.

धनबाद में दीपावली पर कुम्हारों को अच्छी आमदनी की उम्मीद

धनबादः दीपावली आते ही कुम्हारों की चाक घूमने लगती है और मिट्टी के दीये, खिलौने आदि बनाने में कुम्हार जुट जाते हैं. यह परंपरा सदियों से चली आ रही है. धनबाद के कुम्हार भी सपरिवार इस काम में जुट गए हैं. उन्हें इस साल अच्छी आमदनी होने की उम्मीद है.

ये भी पढ़ेंः चाक पर जिंदगी! दूसरों के घर रौशन करने वाले खुद अंधेरे में, माटी कला बोर्ड भी बना मृतप्राय

दीपावली पर मिट्टी के दीयों को सबसे शुद्ध माना जाता है. त्योहार की परंपरा के अनुरूप मिट्टी के दीये ही सर्वमान्य हैं. सबसे बड़ी बात यह है कि मिट्टी से बने सामग्री भारतीयता की खुशबू से भरपूर होते हैं. कुम्हारों द्वारा दीपावली से कुछ दिन पूर्व ही मिट्टी से तरह-तरह सामग्री बनाई जाती है और बाजारों में ब्रिकी की जाती है. धनबाद में भी कुम्हारों द्वारा इस त्योहार को देखते हुए पूरा परिवार मिलकर तैयारी की जाती है. मिट्टी को गूंद कर चाक पर रख कर दीये बनाते हैं और धूप में सुखा कर भट्टी में ताप के जरिए पकाते हैं.

इतनी मेहनत करने के बावजूद इन कुम्हारों के हाथ ज्यादातर मायूसी ही लगती है, वजह सही दाम नहीं मिल पाना है. कुम्हारों ने बताया कि परिश्रम के हिसाब से उन्हें मेहनताना नही मिलता है. उस पर से आज के दौर में बाजारों में तरह-तरह के रंग-बिरंगे लाइट उपलब्ध हैं, जिसकी वजह से दीये की डिमांड कम हो गई है.

वहीं कुम्हारों का यह भी कहना है कि तेल की कीमतों में वृद्धि होने के कारण ज्यादातर लोग घरों में लाइट लगाना पसंद करते हैं. जिसके कारण उनके दीये कम बिकते हैं, जिससे उनकी आमदनी पर असर पड़ता है. हालात ऐसे ही रहे तो जल्दी ही यह व्यवसाय लुप्त हो जाएगा. कुम्हारों का कहना है कि भले ही लोग कितनी रंग-बिरंगी लाइट लगा लें, लेकिन शुद्धता मिट्टी के दीये से ही आती है.

Last Updated : Nov 10, 2023, 7:50 AM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.