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शिक्षा विभाग के फरमान से उड़ी गरीब अभिभावकों की नींद, ऑनलाइन क्लास नहीं करने पर ड्रॉप आउट होंगे बच्चे

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Published : Jul 9, 2021, 7:00 PM IST

Updated : Jul 9, 2021, 10:55 PM IST

कोरोना ने देश की आर्थिक पहिए को पटरी से उतार दिया. लगभग लाखों लोगों का रोजगार चला गया. कोरोना के कारण अधिकतर शिक्षण संस्थानों (Educational Institution) में बच्चों की ऑनलाइन पढ़ाई (Online Education) करवाई जा रही है, लेकिन कई ऐसे गरीब परिवार हैं, जिनके पास न एंड्रॉयड फोन और न ही ऑनलाइन पढ़ाई करने की कोई व्यवस्था. ऐसे में शिक्षा विभाग ने फरमान जारी कर कहा है, कि ऑनलाइन क्लासेस में शामिल नहीं हो रहे बच्चों को स्कूल से ड्रॉप आउट समझा जाएगा. इस फरमान के बाद गरीबों को अपने बच्चे के भविष्य की चिंता सताने लगी है.

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कैसे होगी बच्चों की पढ़ाई

धनबाद: वैश्विक महामारी कोरोना काल (Corona Period) में देश के सभी शिक्षण संस्थानों (Educational Institution) में बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा (Online Education) दी जा रही है. इस दौर में आर्थिक रूप से समृद्ध परिवार के बच्चों की पढ़ाई जारी है, लेकिन गरीब तबके के अधिकतर बच्चे शिक्षा से वंचित रह रहे हैं. वैसे बच्चों के अभिभावकों को उनके भविष्य की चिंता सताने लगी है.

इसे भी पढे़ं: स्मार्ट फोन और नेटवर्क सपना, ऑनलाइन पढ़ाई एक मजाक...पाकुड़ में मुठ्ठी भर बच्चे ही ले रहे आखर ज्ञान



झारखंड के मसीहा कहे जाने वाले स्वर्गीय बिनोद बिहारी महतो ने 'पढ़ो और लड़ो' का नारा दिया था, लेकिन इस नारे पर चलने में गरीब तबके के लोगों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है. कोरोना काल में आर्थिक रूप से मजबूत परिवार अपने बच्चों को एंड्रॉयड फोन, लैपटॉप और डेस्कटॉप से ऑनलाइन पढ़ाई करा रहे हैं, लेकिन गरीब तबके के लोगों को इस संक्रमण काल में दो जून की रोटी ही बड़ी मुश्किल से नसीब हो रहा है. ऐसे परिवारों के पास न ही एंड्रॉयड फोन और न ही ऑनलाइन पढ़ाई करने की कोई व्यवस्था है, जिसके कारण उन परिवारों के बच्चों का भविष्य अंधकार में जा रहा है.

देखें स्पेशल स्टोरी

कोरोना काल में कई लोग हुए बेरोजगार

अभिभावकों का कहना है, कि दूसरे राज्यों में रोजगार करते थे, उस कमाई से परिवार का भरण पोषण होता था, लेकिन कोरोना संक्रमण काल में रोजगार खत्म हो गया, जिसके बाद से घर में बैठे हैं. उन्होंने बताया, कि कभी-कभार दिहाड़ी मजदूरी का काम मिलता है, उस पैसे से ही बड़ी मुश्किल से घर चलता है, मजदूरी के नाम पर महज 200 रुपए ही मिलता है. उन्होंने बताया कि सरकार के ओर से जो अनाज मिलता है, उससे घर चलाने में थोड़ी मदद मिल जाती है, ऐसे में बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए लैपटॉप, स्मार्ट फोन की व्यवस्था कहां से हो पाएगा.

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ऑनलाइन पढ़ते बच्चे

इसे भी पढे़ं: लातेहार के गांवों में रेडियो के सहारे पढ़ाई, टूट रहे सपनों को फिर लगे पंख

बच्चों की नहीं हो पा रही पढ़ाई
वहीं बच्चों का कहना है, कि स्कूल बंद हो जाने से पूरी पढ़ाई चौपट हो गई है, ऑनलाइन क्लासेज चल रहे हैं, लेकिन एंड्रॉयड फोन नहीं होने के कारण क्लास पढ़ाई नहीं हो पा रही है.

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बच्चों को पढ़ाती उसकी मां

ऑनलाइन क्लासेस में शामिल नहीं होने वाले बच्चे स्कूल से होंगे बाहर

वहीं डीएसई इंद्रभूषण सिंह इस मामले को लेकर अभिभावकों को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. उनका कहना है, कि अभिभावक में सामर्थ्य है, लेकिन वह अपने बच्चों को एंड्रॉयड फोन नहीं देना चाहते हैं. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, कि वैसे बच्चे जो ऑनलाइन क्लासेस में शामिल नहीं हो रहें हैं, उन्हें स्कूल से ड्रॉप आउट समझा जाएगा. उन्होंने कहा, कि एक सप्ताह के अंदर इसके लिए विभागीय पत्र निकाला जाएगा.


इसे भी पढे़ं: आम बेचकर पैसे जुटा रहे बच्चे, बोले- ऑनलाइन पढ़ाई के लिए मोबाइल खरीदना है

ग्रामीण इलाकों में अधिकतर परिवारों के पास एंड्रॉयड फोन नहीं
ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाले अधिकतर लोग गरीब तबके हैं. वहीं शहर में दिहाड़ी मजदूरी का काम करने वालों के पास भी एंड्रॉयड मोबाइल फोन उपलब्ध नहीं है. कोरोना की पहली लहर से गरीब परिवारों के बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. कोरोना की दूसरी लहर के बाद तो इन लोगों की आर्थिक स्थिति और दयनीय हो गई. ऐसे लोगों को एंड्रॉयड मोबाइल फोन, लैपटॉप या डेस्कटॉप का व्यवस्था करना काफी मुश्किल होगा. वहीं शिक्षा विभाग का फरमान के बाद से गरीब परिवारों को अपने बच्चों के भविष्य की चिंता सताने लगी है.

धनबाद: वैश्विक महामारी कोरोना काल (Corona Period) में देश के सभी शिक्षण संस्थानों (Educational Institution) में बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा (Online Education) दी जा रही है. इस दौर में आर्थिक रूप से समृद्ध परिवार के बच्चों की पढ़ाई जारी है, लेकिन गरीब तबके के अधिकतर बच्चे शिक्षा से वंचित रह रहे हैं. वैसे बच्चों के अभिभावकों को उनके भविष्य की चिंता सताने लगी है.

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झारखंड के मसीहा कहे जाने वाले स्वर्गीय बिनोद बिहारी महतो ने 'पढ़ो और लड़ो' का नारा दिया था, लेकिन इस नारे पर चलने में गरीब तबके के लोगों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ रहा है. कोरोना काल में आर्थिक रूप से मजबूत परिवार अपने बच्चों को एंड्रॉयड फोन, लैपटॉप और डेस्कटॉप से ऑनलाइन पढ़ाई करा रहे हैं, लेकिन गरीब तबके के लोगों को इस संक्रमण काल में दो जून की रोटी ही बड़ी मुश्किल से नसीब हो रहा है. ऐसे परिवारों के पास न ही एंड्रॉयड फोन और न ही ऑनलाइन पढ़ाई करने की कोई व्यवस्था है, जिसके कारण उन परिवारों के बच्चों का भविष्य अंधकार में जा रहा है.

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कोरोना काल में कई लोग हुए बेरोजगार

अभिभावकों का कहना है, कि दूसरे राज्यों में रोजगार करते थे, उस कमाई से परिवार का भरण पोषण होता था, लेकिन कोरोना संक्रमण काल में रोजगार खत्म हो गया, जिसके बाद से घर में बैठे हैं. उन्होंने बताया, कि कभी-कभार दिहाड़ी मजदूरी का काम मिलता है, उस पैसे से ही बड़ी मुश्किल से घर चलता है, मजदूरी के नाम पर महज 200 रुपए ही मिलता है. उन्होंने बताया कि सरकार के ओर से जो अनाज मिलता है, उससे घर चलाने में थोड़ी मदद मिल जाती है, ऐसे में बच्चों को ऑनलाइन पढ़ाई के लिए लैपटॉप, स्मार्ट फोन की व्यवस्था कहां से हो पाएगा.

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बच्चों की नहीं हो पा रही पढ़ाई
वहीं बच्चों का कहना है, कि स्कूल बंद हो जाने से पूरी पढ़ाई चौपट हो गई है, ऑनलाइन क्लासेज चल रहे हैं, लेकिन एंड्रॉयड फोन नहीं होने के कारण क्लास पढ़ाई नहीं हो पा रही है.

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बच्चों को पढ़ाती उसकी मां

ऑनलाइन क्लासेस में शामिल नहीं होने वाले बच्चे स्कूल से होंगे बाहर

वहीं डीएसई इंद्रभूषण सिंह इस मामले को लेकर अभिभावकों को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं. उनका कहना है, कि अभिभावक में सामर्थ्य है, लेकिन वह अपने बच्चों को एंड्रॉयड फोन नहीं देना चाहते हैं. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, कि वैसे बच्चे जो ऑनलाइन क्लासेस में शामिल नहीं हो रहें हैं, उन्हें स्कूल से ड्रॉप आउट समझा जाएगा. उन्होंने कहा, कि एक सप्ताह के अंदर इसके लिए विभागीय पत्र निकाला जाएगा.


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ग्रामीण इलाकों में अधिकतर परिवारों के पास एंड्रॉयड फोन नहीं
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Last Updated : Jul 9, 2021, 10:55 PM IST
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