धनबादः लगभग 10 साल का इंतजार, दशक बीत रहा है और एक अदद पुल का निर्माण तक पूरा नहीं हुआ. ऐसे आसार हैं कि आगामी एक या दो महीनों में इसका काम पूरा हो जाएगा और ये इस्तेमाल के लिए आम जनता को सौंप दिया जाएगा. लेकिन इन 9 वर्षों में किसने कितना संघर्ष किया, किसने आवाज उठाई, किसके प्रयासों से काम शुरू हुआ और किसने काम पूरा कराया. इन बातों का हिसाब किया जा रहा है. प्रदेश के सियासी दल के साथ साथ, स्थानीय विधायक, पूर्व एमएलए के साथ साथ अन्य जनप्रतिनिधि भी जनता के सामने अपने कर्मों का हिसाब गिना रहे हैं. हर किसी का कहना है कि उनके ही प्रयासों से कुमारधुबी रेलवे ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य आज पूरा हो रहा है.
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निरसा के कुमारधुबी में बन रहे नवनिर्मित रेलवे ओवर ब्रिज इन दिनों काफी सुर्खियों में है. आम लोगों के बीच चर्चा इस बात की है कि एक लंबे इंतजार के बाद उनका सपना साकार हो रहा है, उन्हें जाम से मुक्ति दिलाने वाला मार्ग उनके इस्तेमाल के लिए खोला जाएगा. लेकिन इसके साथ साथ जनप्रतिनिधियों के लिए मुद्दे की बात ये है कि मई महीने में इसका उद्घाटन किया जाएगा और इसका फीता कौन काटेगा, कैंची कौन चलाएगा और रिबन कौन पकड़ेगा, अखबार में उद्घाटन करते हुए सुर्खियों में तस्वीर किसकी छपेगी. इसके लिए इलाके के तमाम जनप्रतिनिधि, मौजूदा विधायक, पूर्व विधायक, जनता के नुमाइंदे, पक्ष और विपक्ष के दल, स्थानीय नेता हर कोई खुद को जनता का हमदर्द बता रहा और इस पुल के लिए किए गए संघर्षों का बखान कर रहा है.
रेलवे ओवर ब्रिज उद्घाटन के पूर्व ही सभी राजनीतिक दलों द्वारा इसका श्रेय लेने की होड़ मची हुई है. चाहे वह मासस हो, भाजपा, कांग्रेस या झामुमो सभी अपनी अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. किसी ने इसे सपनों का ब्रिज बताया है तो कोई सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास का ब्रिज बता रहा है तो किसी ने इसे लंबी लड़ाई के जीत का ब्रिज बताया है. सभी राजनीतिक दल इस ब्रिज के निर्माण को लेकर श्रेय लेने में जुटे हैं. ब्रिज का कार्य अंतिम दौर में है अनुमान लगाया जा रहा है कि ब्रिज का इसी वर्ष मई माह में उद्घाटन कर आम लोगों के लिए शुरू कर दिया जाएगा.
कुमारधुबी रेलवे ओवर ब्रिजः झारखंड और पश्चिम बंगाल की सीमा पर यह 26 पिलर वाला ओवर ब्रिज का निर्माण कार्य वर्ष 2014 से चल रहा है. कछुऐ की चाल से हो रहे निर्माण के कारण आम जनता को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता था. कुमारधुबी जीटी रोड पर बने रेलवे का अंडर ब्रिज ब्रिटिश काल में बनाया गया था, जो अब जर्जर हो चुकी है, जगह-जगह दरारें पड़ चुकी हैं और वर्षा के दिनों में पानी टपकता है.
रेलवे द्वारा कई बार इसकी मरम्मती भी की जा चुकी है लेकिन पुराना ब्रिज की चौड़ाई काफी कम है, जिससे आवागमन में दिक्कत होती है और अक्सर यहां लंबा जाम लगता है. ओवर ब्रिज निर्माण को लेकर सभी राजनीतिक दलों ने आंदोलन किए हैं. सभी दलों ने ब्रिज निर्माण से लेकर इसकी धीमी रफ्तार को लेकर कुमारधुबी चौक पर सभा भी की थी. वर्ष 2014 से शुरू होकर वर्ष 2023 में यह ब्रिज का कार्य अंतिम चरण में है. इलाके के लोगों को को 9 साल का लंबा इंतजार करना पड़ा. कोरोना काल के दौरान ब्रिज का काम 2 साल तक पूरी तरह से बंद था.
वर्तमान समय में ब्रिज का कार्य लगभग 80 प्रतिशत काम पूरा हो चुका है और जल्द ही क्षेत्रवासियों को नया ब्रिज का सौगात मिलने वाला हैं. फिलहाल नवनिर्मित ब्रिज पर दो पहिया वाहन सरपट दौड़ रही है, सुबह शाम ब्रिज पर लोगों का हुजूम लगा रहता है. लेकिन इस निर्माण का श्रेय लेने की होड़ से शायद ही जनता इत्तेफाक रखती है. राजनीतिक दलों के आपसी मतभेद या आरोप-प्रत्यारोपों से आम जनता को क्या लेना देना. ओवर ब्रिज जल्द से जल्द चालू हो जिससे क्षेत्रवासियों को इसका सीधा लाभ मिल सके. वैसे ये पब्लिक है सब जनती है कि किस नेता या दल के कितने संघर्षों से यह ब्रिज निर्माण हुआ है. अगर जिस राजनीतिक दल द्वारा श्रेय लेने की होड़ मची हुई है वह नेता इतने ही तत्पर होते तो क्षेत्रवासियों को 9 साल का इतना लंबा इंतजार नहीं करना पड़ता.