धनबादः सबसे बड़ी श्रमिक नगरी भूली के लोगों ने धनबाद के रणधीर वर्मा चौक पर धरना दिया. इस दौरान लोगों ने भूली के बगल से गुजरने वाली आठ लेन सड़क पर झारखंड मोड़ से प्रवेश के लिए जंक्शन बनाने की मांग धरना के माध्यम से की. इस दौरान लोगों ने कहा कि आठ लेन से भूली में प्रवेश नहीं देने पर भूली के लोगों को शहर पहुंचने के लिए 16 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ेगी. जिसके कारण स्वास्थ्य, शिक्षा और व्यवसाय प्रभावित होगा. पूर्व में वर्ल्ड बैंक और धनबाद के उपायुक्त ने झारखंड मोड़ से भूली जाने के लिए कट बनाने का आश्वासन दिया था, लेकिन आश्वासन के बाद भी आठ लेन सड़क पर कट नहीं बनाया गया है.
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आठ लेन सड़क पर भूली में प्रवेश के लिए जंक्शन या कट बनाने की मांग धनबाद में भूली को सबसे बड़ी श्रमिक नगरी कहा जाता है. इन दिनों भूली के रहनेवाले लोग बेहद परेशान हैं. उनकी परेशानी का सबब यहां से गुजरने वाली आठ लेन सड़क है. कहते हैं कि सड़क से विकास की गति को और भी रफ्तार भी मिलती है, लेकिन भूलीवासियों के लिए यह एक बड़ी परेशानी का सबब इसलिए है कि आठ लेन सड़क से भूली नगरी में प्रवेश के लिए में ना तो जंक्शन बनाया गया है और ना ना ही कोई कट. इस कारण भूली के लोगों को धनबाद शहर तक आने जाने के लिए 16 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ेगा, जबकि झारखंड मोड़ से भूली नगरी प्रवेश करने के लिए अभी महज आठ किलोमीटर का ही सफर तय करना पड़ता है.
पूर्व में भूली के लोगों ने मांग को लेकर उपायुक्त को सौंपा था आवेदनः नागरिक संघर्ष मोर्चा के द्वारा पूर्व में वर्ल्ड बैंक और धनबाद के उपायुक्त से लिखित आवेदन देकर झारखंड मोड़ से जंक्शन या कट देने की मांग की गई थी. वर्ल्ड बैंक के पदाधिकारी और उपायुक्त ने निरीक्षण के बाद लोगों को आश्वासन भी दिया था. आश्वासन में झारखंड मोड़ से भूली नगरी में प्रवेश के लिए कट या जंक्शन बनाने का आश्वासन दिया गया था, लेकिन अब आठ लेन सड़क का निर्माण बिना कट या जंक्शन के किया जा रहा है. जिसे लेकर आज नागरिक संघर्ष मोर्चा ने जिले के रणधीर वर्मा चौक पर धरना दिया है. धरना के माध्यम से झारखंड मोड़ पर कट या जंक्शन देने की मांग की गई है.
शहर पहुंचने के लिए 16 किमी की दूरी तय करनी होगीः लोगों का कहना है कि झारखंड मोड़ पर कट या जंक्शन नहीं बनाने से स्वास्थ्य, शिक्षा और व्यवस्था प्रभावित होगा. शहर के अस्पताल तक पहुंचने के लिए मरीजों को 16 किलोमीटर की दूरी तय करनी पड़ेगी. देर होने पर मरीज की मौत तक हो सकती है. यही नहीं बच्चों को पढ़ाई के लिए भी एक लंबी दूरी तय करनी पड़ेगी. व्यवसाय करने वाले कारोबारियों को भी ट्रांसपोर्टिंग चार्ज अधिक चुकाना पड़ेगा.