धनबाद: 560 बेड वाले SNMMCH अस्पताल में रोजाना करीब 450 मरीजों को नाश्ता और भोजन का वितरण किया जाता है. लेकिन इसे बनाने में सरकार के गाइडलाइंस का पालन नहीं किया जा रहा है. खाना बनाने वालों की लापरवाही का खामियाजा मरीजों को कब उठाना पड़ जाए, यह कहा नहीं जा सकता.
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खाना बनाने के समय होती है लापरवाही
ईटीवी भारत ने इसकी पड़ताल की तो हाफ पैंट और बनियान पहने एक शख्स मरीजों के लिए भोजन तैयार कर रहा है. इसके चेहरे पर मास्क और हाथ में दस्ताना भी नहीं है. कुछ अन्य लोग भी मरीजों के भोजन की तैयारी में लगे हैं, लेकिन इन्होंने भी मास्क नहीं पहना है, जबकि SNMMCH अस्पताल के अधीक्षक अरुण कुमार चौधरी कहते हैं कि खाना हाइजेनिक हो. इस बात का खास ख्याल रखा जाता है. प्रतिदिन बनने वाले इस खाने की जांच पड़ताल खुद डॉक्टर करते हैं.
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50 रुपये में भोजन की व्यवस्था
अधीक्षक अरुण कुमार चौधरी के मुताबिक, मेन्यू के हिसाब से अस्पताल में भोजन दिया जाता है. सप्ताह में दो दिन मरीजों को चिकन दिया जाता है. बाकी के अन्य दिन चावल, दाल और सब्जी दिया जाता है. सुबह नाश्ते में ब्रेड और दूध मरीजों को उपलब्ध कराया जाता है. एक मरीज पर करीब 50 रुपये खर्च होता है. अधीक्षक ने बताया कि पिछले दिनों स्वास्थ्य सचिव SNMMCH दौरे पर पहुंचे थे. इस दौरान उन्होंने कहा कि भोजन की कीमत 50 रुपये से बढ़ाकर 125 रुपये की जाएगी, ताकि मरीजों को और पौष्टिक आहार दिया जा सके. अस्पताल के मरीज कहते हैं कि यहां दिया जाने वाला भोजन कुल मिलाकर ठीक ही है. कहीं कोई कमी नहीं दिखती है.
रोगियों के लिए गुणवत्ता वाला आहार
सरकारी अस्पताल में गरीब मरीजों को विशेषज्ञ की ओर से निर्धारित आहार दिया जाता है. आमतौर पर भोजन की गुणवत्ता और मात्रा के बारे में शिकायतें होती हैं. हालांकि लोगों ने अधिक शिकायत नहीं की.