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कोयलांचल की इस हवेली में बसती हैं गांधीजी की यादें, चार बार यहां आ चुके हैं बापू

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की सुनहरी यादें कोयलांचल से भी जुड़ी हुई हैं. प्रसिद्ध व्यवसायी रामजस अग्रवाल की झरिया के लक्ष्मीनिया मोड़ स्थित वर्षों पुरानी हवेली आज भी उनकी यादों को अपने आप में समेटे हुए है. आज भी यह हवेली उन बीते दिनों की याद दिलाती है.

कोयलांचल में बसती हैं बापू की यादें
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Published : Oct 2, 2019, 1:11 PM IST

Updated : Oct 2, 2019, 1:21 PM IST

धनबाद: झरिया के लक्ष्मीनिया मोड़ स्थित हवेली, प्रसिद्ध व्यवसायी रामजस अग्रवाल की है. रंग-रोगन और मरम्मती के अभाव में अब यह दम तोड़ती नजर आ रही है, लेकिन यह हवेली आज भी इतिहास के पन्नों को अपने आप में समेटे हुए है. कभी इस हवेली में रौनक रहा करती थी.

देखें स्पेशल स्टोरी

बापू को हमेशा मदद करते थे रामजस अग्रवाल
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एक नहीं बल्कि चार-चार बार इस हवेली में आ चुके हैं. उन्हें जब भी बड़ी राशि की जरूरत होती थी. रामजस अग्रवाल से उस राशि की जरूरत को पूरा करने के लिए पहुंचते थे. साल 1922 से 1934 के बीच बापू ने चार बार कोयलांचल का दौरा किया था. साल 1922 में बिहार के गया में कांग्रेस अधिवेशन की तैयारी चल रही थी.

सहायता राशि के लिए आए थे बापू
अधिवेशन में एक बड़ी राशि की जरूरत थी. देशबंधु चितरंजन दास ने उस राशि के लिए रामजस अग्रवाल का नाम सुझाया था, फिर बापू देशबंधु चितरंजन दास के साथ इस हवेली में रामजस अग्रवाल से मिलने पहुंचे थे. बापू को देखने के लिए लोगों की काफी भीड़ इकट्ठा हो गई. अधिवेशन की बात सुनकर रामजस अग्रवाल ने ब्लैंक चेक देकर बापू से खुद राशि भरने का आग्रह किया था.

जिस पर किसी ने कमेंट कर दिया कि 'चेक तो दियो भजेगो तो' रामजस अग्रवाल ने यह कमेंट सुनकर चेक फाड़ दिया. उसके बाद उन्होंने एक सादे कागज पर रकम और हस्ताक्षर कर बापू को सौप दिया. साथ ही कोलकाता से लेकर कानपुर तक किसी भी गद्दी में भंजा लेने की बात कही.

ये भी देखें- ईटीवी भारत की ओर से देश के सर्वश्रेष्ठ गायकों ने बापू को दी संगीतमय श्रद्धांजलि

हवेली को मरम्त की जरुरत
बापू की यादें संजोए यह हवेली अब वीरान हो चली है. हवेली की दीवारों पर अब दरारें पड़ने लगी है. वयोवृद्ध पत्रकार और गांधीवादी लेखक वनखंडी मिश्रा कहते हैं कि मौजूदा सरकार इसे राष्ट्रीय धरोहर के रूप में ले और ऐसी हवेली को टेक ओवर करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हवेली को स्मारक के रूप में विकसित किया जाना चाहिए. हवेली बापू की यादों को जरूर संजोए है, लेकिन हवेली की दीवारों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि यदि शीघ्र ही इसके रख रखाव और मरम्मती का कार्य नही किया गया, तो भविष्य में लोग यही कहेंगें कि यहां कभी एक हवेली हुआ करती थी, जिसमें हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कभी आए थे.

धनबाद: झरिया के लक्ष्मीनिया मोड़ स्थित हवेली, प्रसिद्ध व्यवसायी रामजस अग्रवाल की है. रंग-रोगन और मरम्मती के अभाव में अब यह दम तोड़ती नजर आ रही है, लेकिन यह हवेली आज भी इतिहास के पन्नों को अपने आप में समेटे हुए है. कभी इस हवेली में रौनक रहा करती थी.

देखें स्पेशल स्टोरी

बापू को हमेशा मदद करते थे रामजस अग्रवाल
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एक नहीं बल्कि चार-चार बार इस हवेली में आ चुके हैं. उन्हें जब भी बड़ी राशि की जरूरत होती थी. रामजस अग्रवाल से उस राशि की जरूरत को पूरा करने के लिए पहुंचते थे. साल 1922 से 1934 के बीच बापू ने चार बार कोयलांचल का दौरा किया था. साल 1922 में बिहार के गया में कांग्रेस अधिवेशन की तैयारी चल रही थी.

सहायता राशि के लिए आए थे बापू
अधिवेशन में एक बड़ी राशि की जरूरत थी. देशबंधु चितरंजन दास ने उस राशि के लिए रामजस अग्रवाल का नाम सुझाया था, फिर बापू देशबंधु चितरंजन दास के साथ इस हवेली में रामजस अग्रवाल से मिलने पहुंचे थे. बापू को देखने के लिए लोगों की काफी भीड़ इकट्ठा हो गई. अधिवेशन की बात सुनकर रामजस अग्रवाल ने ब्लैंक चेक देकर बापू से खुद राशि भरने का आग्रह किया था.

जिस पर किसी ने कमेंट कर दिया कि 'चेक तो दियो भजेगो तो' रामजस अग्रवाल ने यह कमेंट सुनकर चेक फाड़ दिया. उसके बाद उन्होंने एक सादे कागज पर रकम और हस्ताक्षर कर बापू को सौप दिया. साथ ही कोलकाता से लेकर कानपुर तक किसी भी गद्दी में भंजा लेने की बात कही.

ये भी देखें- ईटीवी भारत की ओर से देश के सर्वश्रेष्ठ गायकों ने बापू को दी संगीतमय श्रद्धांजलि

हवेली को मरम्त की जरुरत
बापू की यादें संजोए यह हवेली अब वीरान हो चली है. हवेली की दीवारों पर अब दरारें पड़ने लगी है. वयोवृद्ध पत्रकार और गांधीवादी लेखक वनखंडी मिश्रा कहते हैं कि मौजूदा सरकार इसे राष्ट्रीय धरोहर के रूप में ले और ऐसी हवेली को टेक ओवर करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हवेली को स्मारक के रूप में विकसित किया जाना चाहिए. हवेली बापू की यादों को जरूर संजोए है, लेकिन हवेली की दीवारों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि यदि शीघ्र ही इसके रख रखाव और मरम्मती का कार्य नही किया गया, तो भविष्य में लोग यही कहेंगें कि यहां कभी एक हवेली हुआ करती थी, जिसमें हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कभी आए थे.

Intro:ANCHOR:-राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की सुनहरी यादें कोयलांचल से भी जुड़ी हुई है।प्रसिद्ध व्यवसायी रामजस अग्रवाल की झरिया के लक्ष्मीनिया मोड़ स्थित वर्षों पुरानी हवेली आज भी उनकी यादों को अपने आप मे समेटे हुए हैं।आज भी यह हवेली उन बीते दिनों की याद दिलाती है।


Body:VO 01:-झरिया के लक्ष्मीनिया मोड़ स्थित यह हवेली प्रसिद्ध व्यवसायी रामजस अग्रवाल की है।रंग रोगन एवं मरम्मति के अभाव में अब यह दम तोड़ती नजर आ रही है।लेकिन यह हवेली अब भी इतिहास के पन्नों को अपने आप मे समेटे हुए है।कभी इस हवेली में अक्सर रौनक रहा करती थी।राष्ट्रपिता महात्मा गांधी एक नही बल्कि चार चार बार इस हवेली में आ चुके हैं।उन्हें जब भी बड़ी राशि की जरूरत होती थी।वे यहां रामजस अग्रवाल से उस राशि की जरूरत को पूरा करने के लिए पहुँचते थे।साल 1922 से 1934 के बीच बापू चार बार कोयलांचल का दौरा कर चुके हैं।साल 1922 में बिहार के गया में कांग्रेस अधिवेशन की तैयारी चल रही थी।अधिवेशन में एक बड़ी राशि की जरूरत थी।देशबंधु चितरंजन दास ने उस राशि के लिए रामजस अग्रवाल का नाम सुझाया था।फिर बापू देशबंधु चितरंजन दास के साथ इस हवेली में रामजस अग्रवाल से मिलने पहुंचे थे।बापू को देखने के लिए लोगों की काफ़ी भींड इकट्ठा हो गई।अधिवेशन की बात सुनकर रामजस अग्रवाल ने ब्लैंक चेक देकर बापू से खुद राशि भरने का आग्रह किया था।जिस पर किसी ने कमेंट कर दिया कि 'चेक तो दियो भजेगो तो'।रामजस अग्रवाल यह कमेंट सुनकर उन्होंने चेक फाड़ दिया।और उन्होंने एक सादे कागज पर रकम और हस्ताक्षर कर बापू को सौप दिया।साथ ही कोलकाता से लेकर कानपुर तक किसी भी गद्दी में भंजा लेने की बात कही।
BYTE:01:-DILIP AGARWAL,PAUTRA RAMJAS AGRAWAL

VO 02:-बापू की यादें संजोए यह हवेली अब वीरान हो चली है।हवेली की दीवारों पर अब दरारें पड़ने लगी है।वयोवृद्ध पत्रकार एवं गांधीवादी लेखक वनखण्डी मिश्रा कहते हैं कि मौजूदा सरकार को राष्ट्रीय धरोहर के रूप में ऐसी हवेली को टेक ओवर करना चाहिए।उन्होंने कहा कि हवेली को स्मारक के रूप में विकसित किया जाना चाहिए।

BYTE:-VANKHANDI MISHRA,VAYOVRIDH PATRAKAR,GANDHIVADI LEKHAK


Conclusion:हवेली बापू की यादों को जरूर संजोए है।लेकिन हवेली की दीवारों को देखकर ऐसा प्रतीत होता है कि शीघ्र ही यदि इसके रख रखाव और मरम्मति का कार्य नही किया गया तो भविष्य में लोग यही कहेंगें कि यहां कभी एक हवेली हुआ करती थी जिसमे हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी कभी आए थे।
Last Updated : Oct 2, 2019, 1:21 PM IST
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