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कुपोषण से कैसे लड़ेगा विभाग, जब केंद्र ही हो कुपोषित! - धनबाद में 'कुपोषित केंद्र'

धनबाद में पूरे सितंबर कुपोषण माह मनाया जा रहा है. इस दौरान जिलेवासियों को कुपोषण से संबंधित जानकारियां दी जाएंगी. लेकिन एक ओर यह जागरूकता कार्यक्रम की बात की जा रही है वहीं दूसरी ओर जिल में कुपोषण केंद्र जर्जर स्थिति में होने के कारण बंद पड़े हैं. गोविंदपुर चिकित्सा पदाधिकारी शीला कुमारी ने कहा कि 2 सालों के अधिक समय से कुपोषण उपचार केंद्र बंद है क्योंकि बिल्डिंग की स्थिति काफी जर्जर है. बिल्डिंग में करंट भी आता है और पानी भी रिसता है जिसके कारण बाथरूम तक ढह गए हैं.

malnutrition centre closed for more than two years in dhanbad
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Published : Sep 5, 2020, 6:09 PM IST

धनबाद: 1 सितंबर से 7 सितंबर तक राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाया जाता है. जिसमें कुपोषण को लेकर जानकारियां लोगों को दी जाती है. धनबाद में स्वास्थ्य विभाग की ओर से पूरे सितंबर पोषण माह मनाया जा रहा है. लेकिन धरातल पर जो सच्चाई है वह कुछ और ही बयां कर रही है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

1 से 7 सितंबर तक राष्ट्रीय पोषण सप्ताह

झारखंड के अन्य पिछड़े जिलों में से एक धनबाद के आदिवासी बहुल क्षेत्र के बच्चों में कुपोषण एक बड़ी समस्या है. खासकर 1 से 5 वर्ष की आयु के बच्चे काफी कुपोषित होते हैं. इस समस्या के समाधान के लिए जागरूकता अभियान के तहत प्रत्येक वर्ष 1 से 7 सितंबर तक राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाया जाता है. कोयलांचल धनबाद में पोषण माह मनाया जा रहा है लेकिन कोयलांचल की जमीनी हकीकत कुछ और ही है. यहां के कुपोषण उपचार केंद्र खुद ही कुपोषित हैं और उन्हें ही पोषण की जरूरत है. ऐसे में यह कयास लगाया जा सकता है कि कुपोषित बच्चों की स्थिति क्या होगी.

malnutrition centre closed for more than two years in dhanbad
केंद्र

गोविंदपुर का कुपोषण केंद्र बंद

टुंडी, तोपचांची और गोविंदपुर में तीन कुपोषण उपचार केंद्र खोले गए हैं, जिनमें टुंडी और तोपचांची दो चालू अवस्था में है, लेकिन 5 महीनों से अधिक समय से एक भी बच्चे वहां भर्ती नहीं हो पाए हैं. वहीं गोविंदपुर का कुपोषण उपचार केंद्र 2 वर्षों से अधिक समय से बंद है जिससे कुपोषित बच्चों के अभिभावकों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. गोविंदपुर आने पर उन्हें पीएमसीएच धनबाद, टुंडी या फिर तोपचांची रेफर कर दिया जाता है. गोविंदपुर से टुंडी और तोपचांची की दूरी लगभग 40 किलोमीटर है.

बिल्डिंग की स्थिति काफी जर्जर

वहीं इस पूरे मामले में गोविंदपुर चिकित्सा पदाधिकारी शीला कुमारी ने कहा कि 2 सालों के अधिक समय से कुपोषण उपचार केंद्र बंद है क्योंकि बिल्डिंग की स्थिति काफी जर्जर है. बिल्डिंग में करंट भी आता है और पानी भी रिसता है जिसके कारण बाथरूम तक ढह गए हैं. ऐसे में बच्चों का इलाज कुपोषण केंद्र में होना संभव नहीं था जिस कारण इसे बंद कर दिया गया. उन्होंने कहा कि रांची की एक टीम निरीक्षण के लिए आई थी उस समय बच्चे भर्ती में थे लेकिन उस टीम ने कहा कि इस स्थिति में बच्चों की स्थिति और बिगड़ सकती है जिस कारण उस टीम ने इसे बंद कर दिया. इस उपचार केंद्र में काम करने वाले सफाई कर्मी भी अब दूसरी जगह झाड़ू-पोछा कर अपनी जिंदगी गुजर बसर कर रहे हैं.

और पढ़ें- रांचीः घर बैठे ही कीजिए स्टांप पेपर की खरीदारी, 5 सितंबर से लागू हो रही झारखंड में नई व्यवस्था

इस पूरे मामले में धनबाद सिविल सर्जन गोपाल दास ने कहा कि पूरे सितंबर माह में जिले भर में पोषण माह मनाया जा रहा है और स्वास्थ्य विभाग की टीम की ओर से सभी लोगों को कुपोषण से बचने की पूरी जानकारी दी जा रही है. उन्होंने कहा कि कोरोना कहर के कारण बाकि उपचार केंद्रों में बच्चे अभी नहीं आ पा रहे हैं कोरोना के कारण थोड़ी परेशानी जरूर हुई है. वहीं गोविंदपुर कुपोषण उपचार केंद्र के बारे में उन्होंने कहा कि उन्हें भी इस बात की जानकारी है और उसे जल्द से जल्द चालू करवाने का प्रयास किया जाएगा.

धनबाद: 1 सितंबर से 7 सितंबर तक राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाया जाता है. जिसमें कुपोषण को लेकर जानकारियां लोगों को दी जाती है. धनबाद में स्वास्थ्य विभाग की ओर से पूरे सितंबर पोषण माह मनाया जा रहा है. लेकिन धरातल पर जो सच्चाई है वह कुछ और ही बयां कर रही है.

देखें स्पेशल रिपोर्ट

1 से 7 सितंबर तक राष्ट्रीय पोषण सप्ताह

झारखंड के अन्य पिछड़े जिलों में से एक धनबाद के आदिवासी बहुल क्षेत्र के बच्चों में कुपोषण एक बड़ी समस्या है. खासकर 1 से 5 वर्ष की आयु के बच्चे काफी कुपोषित होते हैं. इस समस्या के समाधान के लिए जागरूकता अभियान के तहत प्रत्येक वर्ष 1 से 7 सितंबर तक राष्ट्रीय पोषण सप्ताह मनाया जाता है. कोयलांचल धनबाद में पोषण माह मनाया जा रहा है लेकिन कोयलांचल की जमीनी हकीकत कुछ और ही है. यहां के कुपोषण उपचार केंद्र खुद ही कुपोषित हैं और उन्हें ही पोषण की जरूरत है. ऐसे में यह कयास लगाया जा सकता है कि कुपोषित बच्चों की स्थिति क्या होगी.

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केंद्र

गोविंदपुर का कुपोषण केंद्र बंद

टुंडी, तोपचांची और गोविंदपुर में तीन कुपोषण उपचार केंद्र खोले गए हैं, जिनमें टुंडी और तोपचांची दो चालू अवस्था में है, लेकिन 5 महीनों से अधिक समय से एक भी बच्चे वहां भर्ती नहीं हो पाए हैं. वहीं गोविंदपुर का कुपोषण उपचार केंद्र 2 वर्षों से अधिक समय से बंद है जिससे कुपोषित बच्चों के अभिभावकों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. गोविंदपुर आने पर उन्हें पीएमसीएच धनबाद, टुंडी या फिर तोपचांची रेफर कर दिया जाता है. गोविंदपुर से टुंडी और तोपचांची की दूरी लगभग 40 किलोमीटर है.

बिल्डिंग की स्थिति काफी जर्जर

वहीं इस पूरे मामले में गोविंदपुर चिकित्सा पदाधिकारी शीला कुमारी ने कहा कि 2 सालों के अधिक समय से कुपोषण उपचार केंद्र बंद है क्योंकि बिल्डिंग की स्थिति काफी जर्जर है. बिल्डिंग में करंट भी आता है और पानी भी रिसता है जिसके कारण बाथरूम तक ढह गए हैं. ऐसे में बच्चों का इलाज कुपोषण केंद्र में होना संभव नहीं था जिस कारण इसे बंद कर दिया गया. उन्होंने कहा कि रांची की एक टीम निरीक्षण के लिए आई थी उस समय बच्चे भर्ती में थे लेकिन उस टीम ने कहा कि इस स्थिति में बच्चों की स्थिति और बिगड़ सकती है जिस कारण उस टीम ने इसे बंद कर दिया. इस उपचार केंद्र में काम करने वाले सफाई कर्मी भी अब दूसरी जगह झाड़ू-पोछा कर अपनी जिंदगी गुजर बसर कर रहे हैं.

और पढ़ें- रांचीः घर बैठे ही कीजिए स्टांप पेपर की खरीदारी, 5 सितंबर से लागू हो रही झारखंड में नई व्यवस्था

इस पूरे मामले में धनबाद सिविल सर्जन गोपाल दास ने कहा कि पूरे सितंबर माह में जिले भर में पोषण माह मनाया जा रहा है और स्वास्थ्य विभाग की टीम की ओर से सभी लोगों को कुपोषण से बचने की पूरी जानकारी दी जा रही है. उन्होंने कहा कि कोरोना कहर के कारण बाकि उपचार केंद्रों में बच्चे अभी नहीं आ पा रहे हैं कोरोना के कारण थोड़ी परेशानी जरूर हुई है. वहीं गोविंदपुर कुपोषण उपचार केंद्र के बारे में उन्होंने कहा कि उन्हें भी इस बात की जानकारी है और उसे जल्द से जल्द चालू करवाने का प्रयास किया जाएगा.

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