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धनबाद में मनाया गया लोहड़ी का त्योहार, की गई विशेष पूजा

धनबाद में शक्ति मंदिर में धूमधाम से लोहड़ी मनाई गई. इस दौरान दर्जनों की संख्या में सिख समाज के लोग पहुंचे और जमकर लोहड़ी का जश्न मनाया.

Lohri festival celebrated in Dhanbad
धनबाद में मनाया गया लोहड़ी का त्योहार
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Published : Jan 14, 2023, 12:10 PM IST

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धनबादः शहर के जोड़ाफातक स्थित शक्ति मंदिर में धूमधाम से लोहड़ी मनाई गई. इस दौरान विशेष पूजन का भी आयोजन किया गया. इस त्योहार में बड़ी संख्या में सिख और अन्य समुदायों के लोग जुटे और जमकर लोहड़ी का जश्न मनाया.

यह भी पढ़ेंः धनबादः शक्ति मंदिर में मनाई गई लोहड़ी, नहीं हुए सांस्कृतिक कार्यक्रम

शक्ति मंदिर कमेटी के सचिव अरुण कुमार भंडारी ने बताया कि सिख समाज नई फसल आने की खुशी में हर वर्ष हर्षोल्लास के साथ लोहड़ी का त्योहार मनाते है. सिख समुदाय का ऐसा मानना है कि अग्नि में जो कुछ भी डाला जाता है, वह उनके पितरों तक पहुंच जाता है. इस कारण लोग अपने पूरे परिवार से साथ अग्नि की परिक्रमा करते है और नई फसल की पूजा कर उसके दाने अग्नि में डालते हैं. इसके अलावा वह आने वाले साल के लिए अच्छी फसल की दुआ मांगते हैं.

उन्होंने कहा कि विशेष रूप से पंजाब में मनाई जाने वाली लोहड़ी का पर्व को कोयलांचल में भी मनाया जा रहा है. लोहड़ी के कार्यक्रम में पंजाबी समाज के लोगों के साथ साथ सभी जात-पात और मजहब-धर्म के लोग एक साथ आपसी सोहार्द से लोहड़ी के गीतों पर मस्ती करते है. लोहड़ी में लकड़ियों के ढेर पर सूखे उपले रख कर जलाए जाते है. उसकी पूजा करने के बाद उसमें तिल, गुड़, रेवड़ी, एवं मूंगफली का भोग लगाते है. मस्ती से भरे इस पर्व पर लोग ढोल की थाप पर नाचते हैं और महिलाएं गिद्दा करती है.

लोहड़ी का त्योहार अलाव जलाकर मनाया जाता है. अलाव को पवित्र माना जाता है और इसे उर्वरता, सौभाग्य और शुभता का प्रतीक माना जाता है. इसलिए नवविवाहित जोड़े या नवजात शिशु के लिए पहली लोहड़ी का बहुत महत्व होता है. लोहड़ी नृत्य और संगीत के बिना कभी पूरी नहीं होती है. पंजाबियों को उनके विपुल स्वभाव के लिए जाना जाता है और वे अपनी मस्ती में जोर से और अभिव्यंजक होते हैं. स्त्री और पुरुष दोनों ही रंगीन कपड़े पहनते हैं और इस दिन सभी लोग ढोल की थाप पर भांगड़ा और गिद्दा नृत्य करते हैं.

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धनबादः शहर के जोड़ाफातक स्थित शक्ति मंदिर में धूमधाम से लोहड़ी मनाई गई. इस दौरान विशेष पूजन का भी आयोजन किया गया. इस त्योहार में बड़ी संख्या में सिख और अन्य समुदायों के लोग जुटे और जमकर लोहड़ी का जश्न मनाया.

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शक्ति मंदिर कमेटी के सचिव अरुण कुमार भंडारी ने बताया कि सिख समाज नई फसल आने की खुशी में हर वर्ष हर्षोल्लास के साथ लोहड़ी का त्योहार मनाते है. सिख समुदाय का ऐसा मानना है कि अग्नि में जो कुछ भी डाला जाता है, वह उनके पितरों तक पहुंच जाता है. इस कारण लोग अपने पूरे परिवार से साथ अग्नि की परिक्रमा करते है और नई फसल की पूजा कर उसके दाने अग्नि में डालते हैं. इसके अलावा वह आने वाले साल के लिए अच्छी फसल की दुआ मांगते हैं.

उन्होंने कहा कि विशेष रूप से पंजाब में मनाई जाने वाली लोहड़ी का पर्व को कोयलांचल में भी मनाया जा रहा है. लोहड़ी के कार्यक्रम में पंजाबी समाज के लोगों के साथ साथ सभी जात-पात और मजहब-धर्म के लोग एक साथ आपसी सोहार्द से लोहड़ी के गीतों पर मस्ती करते है. लोहड़ी में लकड़ियों के ढेर पर सूखे उपले रख कर जलाए जाते है. उसकी पूजा करने के बाद उसमें तिल, गुड़, रेवड़ी, एवं मूंगफली का भोग लगाते है. मस्ती से भरे इस पर्व पर लोग ढोल की थाप पर नाचते हैं और महिलाएं गिद्दा करती है.

लोहड़ी का त्योहार अलाव जलाकर मनाया जाता है. अलाव को पवित्र माना जाता है और इसे उर्वरता, सौभाग्य और शुभता का प्रतीक माना जाता है. इसलिए नवविवाहित जोड़े या नवजात शिशु के लिए पहली लोहड़ी का बहुत महत्व होता है. लोहड़ी नृत्य और संगीत के बिना कभी पूरी नहीं होती है. पंजाबियों को उनके विपुल स्वभाव के लिए जाना जाता है और वे अपनी मस्ती में जोर से और अभिव्यंजक होते हैं. स्त्री और पुरुष दोनों ही रंगीन कपड़े पहनते हैं और इस दिन सभी लोग ढोल की थाप पर भांगड़ा और गिद्दा नृत्य करते हैं.

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